लखनऊ विश्वविद्यालय के योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसीन विभाग में गीता जयंती का आयोजन बड़े उत्साह के साथ किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विभाग के डीन प्रो. अशोक कुमार सोनकर ने दीप प्रज्वलन कर की। उन्होंने कहा कि गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाला मार्गदर्शक है। उन्होंने बताया कि हर व्यक्ति को गीता के संदेश को अपनाकर अपने जीवन को समर्थ बनाना चाहिए। विद्यार्थियों को स्वधर्म अपनाने का संदेश
फैकल्टी की शिक्षिका डॉ. इशिता अरोड़ा ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में सफलता और प्रसन्नता के लिए स्वधर्म का पालन आवश्यक है। इससे न केवल व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि जीवन भी संतुलित और अर्थपूर्ण बनता है। छात्रों ने गीता पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लिया
इस मौके पर कई सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियां आयोजित की गईं। गीता के महत्व पर श्वेता, प्रिया, इतिका, ज्योति, सुधा, रुचि, उर्वशी और नम्रता मिश्रा ने अपने विचार साझा किए। इसके बाद निकिता, अवनी और रागनी ने योग नृत्य की शानदार प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। रोम हेमवानी ने बांसुरी की मधुर धुनें बजाईं, जो दर्शकों के दिलों को छू गईं। साथ ही, गीता पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ने कार्यक्रम में ज्ञानवर्धन का माहौल बनाया। विशेषज्ञों और छात्रों की उपस्थिति
कार्यक्रम में को-ऑर्डिनेटर डॉ. अमरजीत यादव, डॉ. उमेश कुमार शुक्ला, डॉ. सतेंद्र कुमार मिश्र, डॉ. सुधीर मिश्रा, डॉ. इशिता अरोड़ा और शोभित सिंह सहित कई शिक्षक, छात्रों और कर्मचारी मौजूद रहे।