श्रीकृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह मामले में आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट से मथुरा में केस ट्रांसफर को लेकर दाखिल की गई याचिका पर हियरिंग है। यह मांग शाही ईदगाह पक्ष ने की है। मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में सुनवाई होनी है। इससे पहले 5 दिसंबर को सुनवाई टल गई थी। मुस्लिम पक्ष बोला- प्रयागराज बहुत दूर है
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया- 23 मई 2023 को मथुरा कोर्ट से जुड़े सभी केस इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर किए गए थे। इसके कुछ समय बाद ही मुस्लिम पक्ष यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट गया कि मामला मथुरा से जुड़ा है। ऐसे में सुनवाई मथुरा में ही होनी चाहिए। मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा कि प्रयागराज बहुत दूर है। आने-जाने में खर्च और समय दोनों लगता है। केस ट्रांसफर मामले में अब तक 5 बार सुनवाई हो चुकी है। पिछली तारीख पर कोर्ट के न बैठने की वजह से सुनवाई टल गई थी। क्या है पूरा विवाद?
यह पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर है। 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण मंदिर है और 2.37 एकड़ हिस्सा शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। हिन्दू पक्ष इस 2.37 एकड़ जमीन पर जन्मभूमि होने का दावा करता रहा है। 1670 में औरंगजेब के शासन में यहां शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई थी। 1944 में ये पूरी जमीन उद्योगपति जुगल किशोर बिड़ला ने खरीद ली। 1951 में उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट बनाया, जिसे ये जमीन दे दी गई। ट्रस्ट के पैसे से 1958 में नए सिरे से मंदिर बनकर तैयार हुआ। फिर एक नई संस्था बनी, जिसका नाम रखा गया श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान। इस संस्था ने साल-1968 में मुस्लिम पक्ष से समझौता किया कि जमीन पर मंदिर-मस्जिद दोनों रहेंगे। हालांकि, इस समझौते का न तो कभी कानूनी वजूद रहा और न ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट ने इस समझौते को कभी माना। हिन्दू पक्ष अब इस मस्जिद को हटाने की मांग करता है तो वहीं मुस्लिम पक्ष प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की दलील देता है। इसे लेकर पूरा मामला निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चल रहा है। 2020 में पहली याचिका से अब तक क्या-क्या हुआ, पढ़िए…