मगध विश्वविद्यालय में पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर आयोजित समारोह में राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने उनके योगदान को ऐतिहासिक बताया। कहा कि अहिल्याबाई होलकर के जीवन से भारत में नारी सम्मान और सेवा की सच्ची प्रेरणा मिलती है। राज्यपाल ने कहा, यह गर्व का विषय है कि यह पहला कार्यक्रम गया के मगध विश्वविद्यालय में हो रहा है। अहिल्याबाई ने विष्णुपद मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। उनका पूरा जीवन राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित था। उन्होंने जोर देकर कहा कि पश्चिमी देश हमारे समाज में नारी शोषण का मिथक फैलाते हैं, लेकिन अहिल्याबाई का जीवन इन दावों को खारिज करता है। धार्मिक एकता के प्रतीक के रूप में याद किया राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में अहिल्याबाई के नाम पर शोध पीठ स्थापित करने का सुझाव देते हुए कहा कि इसमें राजभवन का पूर्ण सहयोग रहेगा। नारी शक्ति और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की प्रतीक अहिल्याबाई को न केवल मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक एकता के प्रतीक के रूप में याद किया गया। उन्होंने भारत की अखंडता के लिए टीपू सुल्तान के क्षेत्र में भी मंदिर निर्माण कराया। यह साहस और नारी शक्ति का अनुपम उदाहरण है। समारोह की सचिव माला ठाकुर ने कहा कि अहिल्याबाई ने भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मधुबनी पेंटिंग से सुसज्जित भेंट की इस अवसर पर मधुबनी पेंटिंग से सुसज्जित उनकी तस्वीर भेंट की गई। मंच संचालन डॉ. दीपशिखा ने किया, जबकि विष्णुपद मंदिर के पुजारी और समिति के सदस्यों ने राज्यपाल को सम्मानित किया। बुद्ध के संदेशों की गूंजमहाबोधि मंदिर में 10 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक पाठ का समापन भी गुरुवार को हुआ। राज्यपाल ने कहा, यही वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया। यह स्थान भारत की सांस्कृतिक विरासत का भव्य प्रतीक है। इस समारोह में 11 देशों के भिक्षु संघ और 31 देशों के श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस आयोजन ने बोधगया में पर्यटन सीजन की शुरुआत को भी खास बना दिया।