कौशांबी जिले के मंझनपुर के हाई सिक्योरिटी जोन में न्यायालय की आवासीय और अनावासीय भूमि पर सड़क बनाने की कोशिश की गई है। इस मामले में नगर पालिका कर्मियों की मिलीभगत के आरोप लगे हैं। हालांकि, इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है, और नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने महज टेंडर प्रक्रिया को निरस्त कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। नगर पालिका ने टेंडर प्रक्रिया शुरू की, लेकिन संदिग्ध सड़क निर्माण मंझनपुर नगर पालिका के वार्ड नंबर 5, सरदार पटेल नगर के निवासी सभासद निरंजन चौधरी ने नगर पालिका बोर्ड की बैठक में नहर रोड से विमलेश शुक्ल के घर तक पक्की सड़क और नाली निर्माण का प्रस्ताव दिया था। नगर पालिका ने प्रस्ताव पर अपनी मोहर लगाकर अगस्त 2024 में सड़क और नाली निर्माण के लिए टेंडर जारी कर दिया। सड़क निर्माण के बाद हुआ फर्जी कब्जे का खुलासा अगस्त 21 को जारी किए गए टेंडर के पहले नगर पालिका के जेई ओंकार नाथ पटेल ने भूमि के सर्वे और निर्माण लागत को मंजूरी दी थी। इसके बाद ठेकेदार को 8.83 लाख रुपये का धन आवंटित किया गया और सड़क निर्माण शुरू हुआ। लेकिन जैसे ही काम शुरू हुआ, स्थानीय लोगों ने भूमि पर अवैध कब्जे की जानकारी दी, जिससे न्यायालय और राजस्व अधिकारियों को मामले की जानकारी मिली। डीएम ने कार्रवाई का आदेश दिया, सड़क निर्माण रोका गया मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायिक अफसर ने तत्काल डीएम को मामले से अवगत कराया, जिसके बाद डीएम ने राजस्व टीम को मौके पर भेजकर सड़क निर्माण का काम बंद करा दिया। जांच के दौरान, राजस्व कर्मियों ने भूमि को न्यायालय की अधिग्रहित भूमि के रूप में पहचाना, जो 2014 में प्रयागराज के विशेष भूमि अध्याप्त अधिकारी के आदेश से अधिग्रहित की गई थी। नगर पालिका अधिकारी ने टेंडर प्रक्रिया निरस्त की राजस्व कर्मियों की रिपोर्ट के आधार पर नगर पालिका के जेई और राजस्व अफसर को तलब किया गया और कार्यवाही का निर्देश दिया गया। नगर पालिका की अधिशासी अधिकारी प्रतिभा सिंह ने इस मामले में कहा कि सड़क और नाली निर्माण के टेंडर को निरस्त कर दिया गया है। इसके साथ ही, डीएम को विस्तृत जांच रिपोर्ट भेजी जा रही है।