गोपालगंज के व्यवहार न्यायालय परिसर में पुरुष आयोग के गठन की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने एक बैठक आयोजित की। बैठक का नेतृत्व बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विमलेंदु कुमार द्विवेदी ने किया। बैठक में कई वरिष्ठ अधिवक्ता उपस्थित रहे, जहां सरकार और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन से इस मुद्दे पर पहल करने की रणनीति बनाई गई। बैठक में विमलेंदु द्विवेदी ने कहा कि हाल ही में बिहार के समस्तीपुर के एक युवक, अतुल, ने महिला प्रताड़ना से त्रस्त होकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने इसे समाज और सिस्टम के लिए शर्मनाक घटना बताया। द्विवेदी ने कहा कि अतुल को उसकी पत्नी और ससुराल वालों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था, जिसके कारण उसने सुसाइड नोट लिखकर जीवन समाप्त कर लिया। पुरुष आयोग गठन की आवश्यकता द्विवेदी ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने महिला आयोग का गठन किया है, उसी तरह पुरुष आयोग का गठन भी जरूरी है। उनका कहना था कि महिला द्वारा किए गए किसी भी प्रताड़ना के आवेदन की निष्पक्ष जांच पुरुष आयोग के माध्यम से होनी चाहिए। यदि पुरुष दोषी हो, तो उसे सजा मिलनी चाहिए, लेकिन अगर महिला झूठा आरोप लगाकर किसी पुरुष को प्रताड़ित कर रही हो, तो उस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। संघर्ष समिति का गठन बैठक में एक संघर्ष समिति बनाई गई, जो इस मुद्दे को लेकर सरकार से संपर्क करेगी और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा से भी मिलकर इसका समाधान निकालने की अपील करेगी। विमलेंदु द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि जब तक पुरुष आयोग का गठन नहीं होगा, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। मांग का उद्देश्य इस बैठक के जरिए अधिवक्ताओं ने यह संदेश दिया कि समाज में पुरुषों के प्रति हो रहे अन्याय को भी समान रूप से न्याय मिलना चाहिए। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि पुरुष आयोग का गठन करके इस संवेदनशील मुद्दे का हल निकाला जाए।