ब्रिस्बेन (brisbane) के गाबा स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीसरा टेस्ट खेला जा रहा है। लेकिन मैच पहला दिन बाऱिस की भेंट चढ़ गया। पहले दिन सिर्फ 13.2 ओवर का ही खेल हो पाया। ओवरकास्ट कंडीशन को देखते हुए भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया था। टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन में दो बदलाव हुए थे। रविंद्र जडेजा और आकाशदीप आर अश्विन व हर्षित राणा की जगह टीम में आए हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया एक बदलाव के साथ उतरा है। स्कॉट बोलैंड की जगह जोश हेजलवुड की वापसी हुई है।
पहले बल्लेबाजी के लिए उतरे उस्मान ख्वाजा और युवा नाथन मैकस्वीनी ने अच्छी रक्षात्मक तकनीक का प्रयोग करके जसप्रीत बुमराह के पहले स्पैल को संभलकर खेला लेकिन तीसरे टेस्ट के पहले दिन बारिश के कारण सिर्फ 13.2 ओवर फेंके जा सके जिसमें आस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ बिना किसी नुकसान के 28 रन तक बना लिये। खराब मौसम के कारण पहले सत्र के बाद कोई खेल नहीं हो सका।
मौसम विभाग ने अगले चार दिन भी बारिश का अनुमान जताया है। ख्वाजा 47 गेंद में 19 और मैकस्वीनी 33 गेंद में चार रन बनाकर खेल रहे हैं। टॉस जीतकर गेंदबाजी चुनने वाले भारतीय कप्तान रोहित शर्मा खुश होंगे कि आस्ट्रेलियाई सलामी जोड़ी ज्यादा रन नहीं बना सकी लेकिन उनके गेंदबाजों ने बल्लेबाजों को खेलने के लिये मजबूर ही नहीं किया। अधिकांश गेंदें बल्लेबाजों ने छोड़ना ही मुनासिब समझा। जब लग रहा था कि भारतीय गेंदबाज आक्रमण के मूड में हैं, बारिश हो गई और गेंदबाजों की लय टूट गई। बारिश के कारण लंच ब्रेक जल्दी ले लिया गया और पहले सत्र में 13 .2 ओवर ही फेंके जा सके।
भारत के लिये जसप्रीत बुमराह ने छह ओवर में आठ रन दिये जबकि मोहम्मद सिराज ने चार ओवर में 13 रन दिये। बुमराह का इस श्रृंखला में यह सबसे औसत प्रारंभिक स्पैल है। पिच से उछाल मिलने के बावजूद उन्होंने छह ओवरों के पहले स्पैल में विकेट लेने वाली ज्यादा गेंदें नहीं डाली जबकि सिराज ने ज्यादातर शॉर्टपिच गेंदें फेंकी। ख्वाजा ने उन्हें दो चौके लगाकर नसीहत दी। छठे ओवर में भी बूंदाबांदी के कारण खेल रोकना पड़ा था जब स्कोर 19 रन था। तेज गेंदबाजों को पिच से स्विंग नहीं मिल रही थी और बुमराह कुछ मौकों पर ही ख्वाजा को परेशान कर सके।
सिराज को तीन ओवर के पहले स्पैल के बाद हटाकर आकाश दीप को गेंद सौंपी गई जिन्होंने 3.2 ओवर में दो रन दिये। पहले सत्र में सभी की नजरें इस पर थी कि ख्वाजा किस तरह बुमराह की गेंदों को खेलते हैं। उन्होंने अच्छी तकनीक का इस्तेमाल किया और बल्ले को शरीर के करीब ही रखा। उन्होंने उन्हीं गेंदों को खेला जो उनके शरीर पर डाली गई थी। उन्हें बखूबी पता है कि बुमराह के पहले स्पैल को इत्मीनान से खेलने के बाद वे बाकी गेंदबाजों पर दबाव बना सकते हैं। पांच मैचों की श्रृंखला फिलहाल 1 . 1 से बराबर है।
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