वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए शहर में पीएनजी और सीएनजी का जाल बिछाया जा रहा है। लेकिन, औद्यौगिक इकाइयां मानने के लिए तैयार नहीं हैं। पाटलिपुत्र औद्यौगिक क्षेत्र में करीब 80 फीसदी पाइप लाइन का विस्तार होने के बाद भी फैक्ट्री संचालक पीएनजी का इस्तेमाल नहीं कर रहे है। यहां करीब 60 फैक्ट्रियां हैं। गेल इंडिया के मुताबिक 8 फैक्ट्रियां पीएनजी का इस्तेमाल कर रही हैं। वैसी फैक्ट्री जो कोयले और फर्नेस ऑयल से संचालन कर रहे हैं, उन्हें तत्काल बंद कराने के लिए कार्रवाई की जाएगी। पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री में हर दिन करीब 1200 स्टैंडर क्यूबिक मीटर पीएनजी की खपत है। डीजल की तुलना में पीएनजी जलने पर 10 गुना कम होगा कार्बन का उत्सर्जन वायु प्रदूषण विशेषज्ञ रवि रंजन सिन्हा के मुताबिक इन फैक्ट्रियों में पीएनजी का इस्तेमाल करने से डीजल की तुलना में करीब 10 गुना कार्बन उत्सर्जन कम होगा। पटना के सभी कारखानों में पीएनजी का इस्तेमाल होने लगेगा तो औद्योगिक क्षेत्र से होने वाले वायु प्रदूषण में कमी आएगी। दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में कारखाना में पीएनजी इस्तेमाल किया जा रहा है। पीएनजी गैस हवा से हल्की होती है। इसलिए, रिसाव की स्थिति में यह ऊपर उठती है और पतली हवा में फैल जाती है। इससे आग लगने की संभावना कम होती है। कोयला या फर्नेस ऑयल इस्तेमाल करने वाली करीब 10 फैक्ट्रियों में अब पीएनजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। दो का स्टे लगा हुआ है। आगे भी फैक्ट्री को पीएनजी पर संचालन करने के लिए निर्देश दिया गया है। सभी कारखाना मालिकों को डीजल, कोयल, लकड़ी या अन्य कोई ऑयल से अधिक कार्बन संबंधित गैस का उत्सर्जन होता है। उसे बंद करके पीएनजी इस्तेमाल करने के लिए लिखित निर्देश दिया गया है। डीके शुल्का, चेयरमैन, स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, बिहार नई फैक्ट्री स्थापित करने वाले लोगों को पीएनजी का इस्तेमाल अनिवार्य नई फैक्ट्री स्थापित करने वाले लोगों को निर्देश दिया गया है कि डीजल, कोयला, एलपीजी, लकड़ी सहित अन्य ईंधन का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से पॉल्यूशन सर्टिफिकेट लेते समय ही पीएनजी से संचालन करने के लिए पत्र में लिखना पड़ेगा। इसके बाद ही संचालन की अनुमति मिलेगी। जहरीली गैस पर नियंत्रण करने के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने उठाया कदम पटना की सभी औद्यौगिक इकाइयों को पीएनजी सप्लाई देने के लिए तेजी से काम चल रहा है। पाटलिपुत्र औद्यौगिक क्षेत्र में पाइप लाइन बिछ चुकी है। मालिकों को पीएनजी का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे वायु प्रदूषण कम उत्सर्जन होता है। एके सिन्हा, जीएम, गेल, पटना