दो दशक बाद पहली बार अबाबील पक्षी का एक बड़ा समूह बक्सर के गंगा तटी इलाके में दिखा है। इससे करीब दो दशक पूर्व इस पक्षी का इतना बड़ा समूह भागलपुर में दिखा था। बिहार के प्रख्यात पक्षी विशेषज्ञ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के गवर्निंग काउंसिल सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया कि अबाबील का इतना बड़ा समूह एक जगह इकट्ठा होना आश्चर्यजनक है। ये पक्षी हर साल बिहार आते रहे हैं, पर किसी एक खास जगह पर उनकी संख्या इतनी ज्यादा नहीं होती है। यह साबित करता है कि गंगा में बालू के टीले व वहां की जलवायु इनके अनुकूल है। अरविन्द मिश्रा बक्सर में पक्षी गणना के सिलसिले में पहुंचे थे। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से विदेशों से पहुंचे मेहमान परिंदों की गणना की जा रही है। अरविन्द ने बताया कि काफी वर्षों पहले मात्र एक बार उन्होंने ऐसा झुण्ड भागलपुर के गंगा तट पर देखा था, वो भी ठंड की शुरुआत होने के पहले। बक्सर पहुंचे 20 प्रजातियों के विदेशी परिंदे पक्षी विशेषज्ञ अरविंद ने बताया कि भ्रमण के दौरान की गई गिनती के अनुसार यहां 43 प्रकार के करीब ग्यारह हजार पक्षियों का झुंड पहुंचा है। इसमें लगभग 20 प्रजाति के पक्षियों का आगमन सुदूर देशों से हुआ है, जिसमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानी शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानी लालसर, यूरेशियन विजन छोटा लालसर, रूडी शेलडक चकवा, कॉमन शेलडक शाह चकवा, अबलक बत्तख, गडवाल, कॉमन पोचार्ड बुरार, नॉर्दर्न पिनटेल सींखपर, टेमिंक स्टिंट छोटा पनलव्वा, ऑस्प्रे मछरंगा, केंटिश प्लोवर मेरवा, लेसर सैंड प्लोवर मेरवा की प्रजाति, लिटिल रिंग्ड प्लोवर जिर्रिया, सफेद खंजन, ब्लैक हेडेड गल धोमरा, पलाश गल बड़ा धोमरा और बार्न स्वालो यानी अबाबील पक्षी आदि हैं। कॉमन शेलडक व ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब का आना सुखद | पक्षी विशेषज्ञ अरविंद ने कहा कि प्रवासी पक्षी कॉमन शेलडक यानी शाह चकवा और सवा सौ के करीब ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब का यहां इस वर्ष भी देखा जाना भी सुखद है। इसके अलावा ग्रे हेरॉन यानी अंजन, एशियन ओपनबिल यानी घोंघिल, रेड नेप्ड आइबिस यानी काला बुजा जैसे स्थानीय पक्षी भी अच्छी संख्या में नजर आए। 50 किमी लंबे क्षेत्र में पक्षियों की गणना| वन विभाग के रेंजर सुरेश कुमार ने बताया कि बक्सर में पक्षी गणना पहले गंगा नदी, गोकुल जलाशय और सुहिया भांगर में ही की जाती थी, लेकिन अब मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बक्सर और भोजपुर के कई और जलाशयों में भी किया जायगा। शुरुआती दौर में गंगा के करीब 50 किमी लम्बे क्षेत्र में पक्षियों की गणना अरविन्द मिश्रा के नेतृत्व में की जा रही है।