अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के उत्सव की तैयारियां चल रही है। 25 दिन बाद रामलला की स्थापना के 1 साल पूरे हो जाएंगे। 3 दिन तक उत्सव चलेगा। इससे पहले कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज अयोध्या पहुंचे। दैनिक भास्कर से उन्होंने कहा- मेरा सौभाग्य होगा कि अयोध्या में रामलला की मूर्ति बनाने के बाद मुझे मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के लिए कान्हा की मूर्ति को गढ़ने का मौका मिले। उन्होंने कहा- रामलला को कभी किसी ने नहीं देखा, मैं हर रोज पूजा करके संकल्प सूत्र पहनता कि मूर्ति जब बने, उसे सभी भगवान की तरह स्वीकार करें। रामलला की मूर्ति बनाने के बाद जब मैं वापस घर पहुंचा, तब मेरी बेटी ने मुझे रामलला की मूर्ति गिफ्ट की। पिछले 1 साल से मेरे घर में फल नहीं खरीदे गए। हर रोज कोई न कोई प्रसाद की तरह फल दे जाता है। पढ़िए मूर्तिकार अरुण योगी का खास इंटरव्यू… सवाल : रामलला की मूर्ति गढ़ रहे थे, मन में क्या आकृति थी, जिसे साकार किया?
जवाब : हमारी कोशिश थी कि रामलला की मूर्ति के जरिए लोगों के सामने भगवान प्रकट हो जाए। हमने शुरू से यही ध्यान दिया। शहर-गांव हर जगह से आने वालों का मूर्ति के साथ एक कनेक्ट हो जाए। ये जरूरी था, क्योंकि रामलला को किसी ने नहीं देखा। हम पहली बार आए थे, रामलला नहीं दिखे थे। अब रामलला हर जगह दिख रहे हैं। घर-घर पहुंच गए हैं। आप सोचिए, मेरी बेटी ने मुझे रामलला की मूर्ति गिफ्ट की है। सवाल : मूर्ति बनाने, स्थापित होने से पहले और अब के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
जवाब : देखिए, पहले भी हम काम करते थे, आज भी कर रहे हैं। इसमें कोई बदलाव नहीं है। मगर अब देशभर के लोग मुझे ऐसे ट्रीट कर रहे है, जैसे उनके घर के बच्चे ने कोई बड़ा काम किया है। एक बड़ी बात ये है कि अब लोग मूर्तिकार के प्रोफेशन की तरफ बढ़े है। पेरेंट्स अपने बच्चों को अनुमति दे रहे हैं कि तुम मूर्तिकार बनो। सवाल : श्रीकृष्ण जन्मभूमि का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आया, तो क्या कान्हा की प्रतिमा गढ़ेंगे?
जवाब : इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा। रामजी की सेवा करने का मौका मिला, अगर श्रीकृष्ण मुझे मौका देते है, तो मैं जरूर ये सेवा करना चाहूंगा। सवाल : रामलला की मूर्ति के लिए आपको क्या मिला था?
जवाब : ये हम आपके साथ शेयर नहीं कर सकते हैं। क्योंकि जो भी मिला, वो प्रसाद था। पैसे से ज्यादा बहुत कुछ दिया है। अब और 10 पीढ़ी इस काम को करके जी सकती है। कम से कम 10 पीढ़ी इसको महसूस करके गर्व महसूस कर सकती हैं। ये पैसे से बहुत ज्यादा है। सवाल : एक वर्ग ऐसा, जो मंदिर को डेवलपमेंट से जोड़कर नहीं देखता। कांग्रेस-सपा भी मंदिर से कटे हुए हैं?
जवाब : मैं अयोध्या के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानता। मगर पिछले साल से आज तक देखा तो कितना डेवलपमेंट हो गया है। ऐसा काम किया है कि जो भी यहां आ रहे हैं, वह 2 से 3 दिन रुक कर जाना चाहते हैं। सवाल : राम मंदिर में अब आप क्या कोई और भी मूर्ति तैयार कर रहे हैं?
जवाब : इसको लेकर ट्रस्ट के साथ कोई चर्चा नहीं हुआ है। मंदिर की मूर्तियों पर और भी आर्टिस्ट काम कर रहे हैं। सवाल : यूपी के अलावा किस राज्य में और कौन सा बड़ा प्रोजेक्ट आपके पास है?
जवाब : पूरे विश्व में कही भी मंदिर बनता है तो एक बार मुझे पूछा जाता है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को 1 साल पूरे हो रहे हैं। आप सोचिए मेरे घर में 1 साल से फल नहीं खरीदे गए हैं। लोग हर रोज आते हैं, प्रसाद की तरह देकर जाते हैं, अब मैं इससे ज्यादा क्या कहूंगा। सवाल : अमेरिका ने आपका वीजा क्यों कैंसिल कर दिया था?
जवाब : पूरी तरह से मुझे पता नहीं। 10 लोगों में 7 का कैंसिल होता है। मुझे लगता है कि शायद मेरा भी ऐसा ही हुआ होगा। अब 3 स्लाइड में मूर्तिकार अरुण योगीराज के बारे में पढ़िए… ——————– ये भी पढ़ें: रामलला ठंड से बचने के लिए अब ऊनी वस्त्र पहनेंगे, कुल्लू के ऊन से बनी धोती, लद्दाख की पश्मीना ऊन के कपड़े लाए गए अयोध्या में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, तापमान गिरकर 3°C तक रिकॉर्ड किया जा चुका है। इस ठंड से हर कोई बेहाल है। रामलला को भी ठंड से बचाव के लिए अब ऊन से बने कपड़े पहनाए जाएंगे। कुल्लू हिमाचल के ऊन से बनी धोती और लद्दाख की पश्मीना ऊन से बने अंग वस्त्र अयोध्या पहुंचे हैं। पढ़िए पूरी खबर..