मथुरा के जंगल में 13 दिसंबर को 40 से ज्यादा गायों के अवशेष पड़े मिले। किसी की चमड़ी गायब थी, तो किसी की आंखें। सभी के गले में पीले रंग के टैग बंधे थे, जो गोशाला में हर गाय की स्पेसिफिक पहचान के लिए लगाए जाते हैं। बवाल मचा, तो हिंदूवादी संगठनों ने चक्काजाम कर दिया। पुलिस ने बल प्रयोग करके सबको हटाया। अब तक की जांच में पता चला है, इसमें 5 गाय गोशाला की थीं। अन्य गाय उन गोपालकों की थीं, जिन्हें सरकार ने निराश्रित गायों के पालन का जिम्मा दिया था। इन गायों की मौत हुई, तो जिम्मेदारों ने दफनाने की बजाय जंगल में फेंक दिया। जंगली जानवरों ने इन्हें नोच-नोचकर कंकाल बना डाला। वहीं, बजरंग दल ने गोकशी की बात कही है। जहां इन गायों के शव मिले, वहां 7 किलोमीटर एरिया में 11 गोशालाएं हैं। दैनिक भास्कर ने उसी जंगल में पहुंचकर पड़ताल की। पता किया कि आखिर ये गाय जंगल तक कैसे लाई गईं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 7 KM लंबा जंगल, 4 फीट चौड़ा रास्ता, घुसते ही बदबू शुरू
मथुरा-वृंदावन रोड पर PMV पॉलिटेक्निक कॉलेज है। इसके ठीक सामने करीब 7 किलोमीटर लंबा जंगल है। अंदर इसकी गहराई भी कई किलोमीटर है, जो यमुना नदी से जाकर मिलती है। एक तरह से यह जगह यमुना नदी का खादर क्षेत्र है। सरकारी डॉक्यूमेंट्स में गोचर के नाम जमीन है। गोचर मतलब गायों को चराने वाली जगह। हालांकि, अब ये जगह विशाल जंगल का रूप ले चुकी है। बड़ी-बड़ी कंटीली झाड़ियां उग आई हैं। हम सबसे पहले इसी जंगल में पहुंचे। अंदर जाने के लिए बमुश्किल 4 फीट चौड़ा रास्ता होगा। अंदर सिर्फ बाइक या रिक्शा जा सकता है, इसके अलावा कोई वाहन नहीं। 200 मीटर अंदर घुसते ही बदबू आनी शुरू हो गई। इस रास्ते के बगल में ही हमें एक गोवंश के पैर का टुकड़ा पड़ा मिला। इसके पास ही एक कुत्ता गोवंश के अवशेष नोच रहा था। इस जंगल में पाउच वाली देसी शराब की खाली थैलियां पड़ी थीं। इससे ऐसा लग रहा था, जैसे ये जगह शराबियों का अड्डा भी हो। इस जंगल के सामने PMV पॉलिटेक्निक कॉलेज है। हालांकि, जंगल के रास्ते और कॉलेज के गेट में करीब 200 मीटर की दूरी का फर्क है। इसलिए कॉलेज वालों को कुछ पता नहीं चल सकता कि जंगल में क्या हो रहा है। झाड़ियां इतनी घनी हैं कि सड़क से भी कुछ दिखाई नहीं दे सकता। इसी बात का फायदा उठाया गया। हमने जानकारी की, तो पता चला कि PMV कॉलेज से वृंदावन की तरफ नैती हॉस्पिटल तक करीब 7 किलोमीटर का ये जंगल है। इस एरिया में छोटी-बड़ी कुल 11 गोशालाएं हैं। मरने वाली 5 गाय गोशाला, दो किसान और बाकी गो-पालकों की
जंगल में गायों के शवों के पास से कुल 19 पीले टैग मिले। इन पर यूनीक कोड लिखा था। इस कोड को खास सॉफ्टवेयर में दर्ज करने पर ये पता चल जाता है कि निराश्रित पशु कहां से लाया गया? किस गोशाला में देख-रेख के लिए कब रखा गया? 19 में से 5 टैग गोशाला के मिले हैं। इनमें 3 गाय वृंदावन में पंचायती गोशाला और 2 श्यामा गोशाला बाबा बंशीवाला की निकलीं। अन्य गाय सकराया बांगर क्षेत्र में गो-पालकों की हैं। नगर निगम ने ये गाय इन गो-पालकों को देख-रेख के लिए दे दी थीं। इसके अलावा 2 गाय नीरज और श्याम नामक व्यक्तियों की भी पता चली हैं। 4 टैग ऐसे हैं, जो जंगल में तो मिले, लेकिन उनके गोवंश नहीं मिले। माना जा रहा है, वो गोवंश कंकाल बन गए। अब ये सभी टैग जांच के लिए लखनऊ भेजे गए हैं। ज्यादातर गायों के शव इस हालत में नहीं थे कि उन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए कहीं दूर ले जाया जाए। इसलिए पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने घटनास्थल पर ही पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद उसी जंगल में JCB से गहरा गड्ढा खुदवाकर सभी कंकाल और अन्य अवशेष उसमें दबा दिए गए। माना जा रहा है, इन मृत गायों को बाइक या रिक्शा से ही इन जंगलों तक लाया जाता होगा। क्योंकि इसके अलावा अन्य कोई वाहन जंगल के संकरे रास्ते में घुस नहीं सकता। प्रत्यक्षदर्शी बोले- कदम-कदम पर पड़े थे गायों के शव
13 दिसंबर को जब गोवंश मिलने की जानकारी हुई तो सबसे पहले आकाश गुप्ता यहां पहुंचे। आकाश का घर इस जंगल से करीब 700 मीटर दूर है। आकाश गोरक्षा संगठनों से भी जुड़े हैं। उन्होंने बताया- मैं जब इस जंगल में आया तो यहां बहुत बुरा हाल था। कदम-कदम पर गायों के शव पड़े हुए थे। कुत्ते और कौवे उन्हें नोच रहे थे। दुर्गंध इतनी थी कि यहां रुकना मुश्किल हो रहा था। ‘गायों के शरीर के टुकड़े पड़े थे’
हमने एक और प्रत्यक्षदर्शी अभिषेक चौहान से बात की। उन्होंने बताया- जिस गोचर भूमि पर गाय माता को भोजन मिलना चाहिए, उस पर उनके अवशेष पड़े थे। आधे शरीर, आधी टांगें, बछड़े के धड़ पड़े थे। अभिषेक को आशंका है कि गोशाला के नाम पर कट्टीघर (स्लॉटर हाउस) चलाए जा रहे हैं। वे कहते हैं- गोशाला में जब गोवंश की मौत हो जाती है, तो उसे दफनाने तक का वक्त किसी के पास नहीं है। ऐसे गोवंश जंगल में फेंक दिए जाते हैं, फिर उन्हें जानवर नोचते हैं। ‘गोशालाओं से लाकर फेंके गए शव’
हरियाणा के मोनू मानेसर ग्रुप के गोरक्षा प्रमुख अभिषेक चतुर्वेदी भी उस FIR का हिस्सा हैं, जो प्रदर्शन करने पर पुलिस की तरफ से दर्ज की गई है। हमने अभिषेक से भी बातचीत की। उन्होंने बताया- धौरेरा गांव के पास 1 किलोमीटर के एरिया में 5-6 गोशाला हैं। हमें शक है कि इन्हीं गोशालाओं में जिन गायों की मौत हुई है। उनके शवों को दफनाने की बजाय जंगल में फेंक दिया गया है। बजरंग दल को गोकशी की भी आशंका
विश्व हिंदू परिषद/बजरंग दल के जिला गोरक्षा प्रमुख नीरज कुमार शर्मा ने बताया- आसपास जो गोशाला हैं, उन्हीं के मृत गोवंश जंगल में पड़े मिले हैं। कुछ ऐसे अवशेष भी मिले हैं, जिससे ऐसा लगता है कि वहां गोकशी भी हुई है। जिस एरिया में जंगल है, वहां विशेष संप्रदाय के लोगों की अच्छी-खासी तादाद है। गोशाला कर्मचारियों के अलावा विशेष सम्प्रदाय के लोगों का भी इस केस में हाथ हो सकता है। अब जानिए इस घटना पर अफसर क्या कहते हैं? अब आखिर में पूरा मामला समझिए मथुरा-वृंदावन रोड पर गांव धौरेरा के जंगलों में 13 दिसंबर 2024 को 40 से ज्यादा गायों के अवशेष बरामद हुए। इसमें ज्यादातर कंकाल बन चुके थे। मौके पर पहुंचकर हिंदू संगठनों ने हंगामा किया और रोड जाम कर दिया। कई घंटे तक हंगामा चलता रहा। पुलिस ने लाठियां फटकार कर भीड़ हटाई। इस मामले में पुलिस ने 37 नामजद और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में थाना जैंत में मुकदमा दर्ज किया है। 6 लोगों को जेल भेजा जा चुका है, जो हिंदू संगठनों से जुड़े हुए हैं। ———— ये भी पढ़ें… मथुरा में 40 गायें मरीं…वहां की गोशालाओं से रिपोर्ट, 1KM के दायरे में 5 गोशाला, समाधि को जगह नहीं; अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- गोरक्षकों को छोड़े मथुरा में 13 दिसंबर को 40 गायों के कंकाल मिलने पर बवाल हो गया। गांव वालों ने मथुरा-वृंदावन रोड पर गायों के कंकाल रखकर जाम लगा दिया। करीब 5 घंटे तक सड़क 2Km लंबा जाम रहा। पुलिस ने लाठी-चार्ज करके लोगों को खदेड़ दिया। गोरक्षकों ने कहा- गायों का चमड़ा खींचा गया। आंखे निकाली गईं। पुलिस ने 97 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई। इसके बाद शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ग्वालियर से VIDEO जारी किया। कहा- गोरक्षकों के हंगामे को समझना चाहिए। यह कोई आपराधिक कृत्य नहीं। उन्हें छोड़ा जाए। पढ़ें पूरी खबर…