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2030 तक भारत में आ जायेगा 6G:आईआईटी BHU के वैज्ञानिकों ने जॉइंट सेंसिंग एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी पर किया काम

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”इंटीग्रेटेड सेंसिंग एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी” की मदद से नेटवर्क की समस्या को कम से कम किया जाएगा। टॉवरों में सेंसर लगाए जाएंगे। इससे पता चल सकेगा कि किसी टॉवर पर कितने लोगों का भार है। रियल टाइम में भार का पता होगा तो नेटवर्क को ठीक किया जा सकता है। यह कहना है नेटवर्किंग वैज्ञानिक डॉ. अतुल कुमार ने कहा दैनिक भास्कर ने उससे खास बातचीत की आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ बताया…. सवाल : बीएचयू में आयोजित 6जी पर कांफ्रेंस का क्या उद्देश्य है ? जवाब : आईआईटी-बीएचयू के एबीएलटी हाॅल में ”वायरलेस बॉडी एरिया नेटवर्क्स” थीम पर चल रहे ”19वें ईएआई बॉडीनेट्स 2024” अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में में ”इंटीग्रेटेड सेंसिंग एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी” पर बातें हुईं। बताया गया कि पांच साल में 2030 के बाद 6जी आ जाएगा। ”भारत 6जी” कार्यशाला में डॉ. अतुल कुमार ने कहा कि तकनीक बनाने और कार्यान्वयन में पांच साल का अंतर होता है। सवाल : बात 6G की हो रही लेकिन अभी 5G ही बहुत जगह ठीक से नहीं चल पा रहा ? जवाब : टेक्नोलॉजी दो पार्ट में डेवलप होती है सीजी टेक्नोलॉजी डेवलप हो गई है उन्होंने कहा है कि किसी भी चीज को डेवलप करना और उसको धरातल पर लाने में करीब 5 साल तक का वक्त लगता है। उन्होंने कहा कि 2020 से 6G पर शोध शुरू हो गया। 2020 के बाद से हम उसको किस तरह से लोगों के बीच में ले जाएं इस पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी हम लोग इस पर पूरा शोध कर रहे हैं और 2030 तक हमारी कोशिश रहेगी कि उसको लोगों के बीच में ले आए। ग्राफिक्स के माध्यम से समझें कैसे काम करता है टावर। सवाल : टावर लगने के बाद लोग विरोध करते हैं कि उसे खतरा है क्या वाकई में उसे खतरा है ? जवाब: डॉ अतुल कुमार ने कहा कि यह एक सिर्फ रयूमर है टावर लगने से कोई भी खतरा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि माइक्रो फ्रीक्वेंसी पर आप सभी टॉवर लग रहे हैं और उससे कोई भी खतरा मनुष्य को नहीं होता है। सवाल : आने वाले समय में टॉवर्स का लोड कैसे डेवलप होगा और इसको कैसे स्थापित किया जाएगा ? जवाब : जॉइंट सेंसिंग एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी वह एक इमर्जिंग टेक्नोलॉजी है उन्होंने कहा कि हमने आईआईटी बीएचयू में इसके कम्युनिकेटिव प्रूफ को डेवलप किया है। उन्होंने कहा कि मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशन द्वारा फंडिंग किया गया है। उन्होंने कहा कि हम एक रियल एप्लीकेशन डिफाइन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कम्युनिकेशन के बीच में कोई अनऑथराइज्ड परसों आ जाता है तो वह तुरंत अलार्म जलने लगेगी, उसके लिए अलग से कोई सेंसर भी नहीं लगाया गया है। 6G का काम कहां कहां होगा। सवाल : कॉल ड्रॉप पर अभी तक कितना काम हो पाया है? जवाब : वैज्ञानिक ने बताया कि कर ड्रॉप एक ऐसी समस्या है जैसे अगर किसी सेल पर अधिक यूजर इंक्रीज हो जाते हैं तो कॉल ड्रॉप हो जाता है। इसका एक ही समस्या का समाधान है कि नंबर ऑफ टावर बढ़ाया जाए। लेकिन सेल टावर बढ़ाना कंपनी के लिए कॉस्टली होता है इसीलिए ऑपरेशन कॉस्ट बढ़ने के लिए हम टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दें जॉइंट सेंसिंग एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी इसके लिए काफी कारगर साबित होगा। जिससे या सेंसर बताया कि इस टावर पर अपलोड बढ़ रहा है और इसके बाद वहां जो भी नेटवर्क को संभालने वाले जिम्मेदार होंगे वह उसको दूसरे टावर पर ट्रांसफर कर सकते हैं।

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