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AI इंजीनियर सुसाइड केस-बेटा होगा पिता की संपत्ति का मालिक:अतुल के पिता ने रोते हुए कहा- ऐसे खूनी लोगों के हाथ में उनका पोता, अब किस हाल में होगा

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AI इंजीनियर अतुल सुभाष के खुदकुशी मामले में तीन आरोपी गिरफ्तार हो गए हैं। अतुल के पिता ने कहा- इसके लिए बेंगलुरु पुलिस को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। इसके बाद वह फफक- फफक कर रोने लगे कहे कि मैं अपने पोते के लिए परेशान हूं कि निकिता, उसकी मां और भाई तो गिरफ्तार हो गए। पोता कहां है किस हालत में है। यह सोचकर मेरा दिल बैठ जा रहा है। ऐसे खूनी लोगों के हाथ में उनका पोता है। अब वह गिरफ्तार हो गए हैं। पोते को लेकर बहुत चिंतित हूं। मैं आप लोगों से मांग करता हूं कि मेरी बात प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तक पहुंचाएं कि मेरे पोते को मुझे सौंप दिया जाए। पता नहीं उसका क्या होगा वह किस हाल में होगा। आरोपियों ने जो अपराध किया है, वह हत्या से भी बड़ा अपराध है। बार-बार मेरे बेटे को सुसाइड के लिए उकसाया गया। पवन ने जज पर भी आरोप लगाया। बार- बार सुसाइड की बात बेटे के दिमाग में घर कर कर गई थी और मेरे बेटे ने इतना बड़ा कदम उठा लिया। ऐसे आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। बेटे के तहरीर बदलने के मामले में कहा कि उस समय तो हम लोग एकदम बेहाल थे। अब बंद हो जाएगा, भरण-पोषण राशि वसूली का मुकदमा
जौनपुर के जिस मुकदमे को लेकर जल्दी-जल्दी तारीख पड़ने और अत्यधिक धनराशि का आदेश होने का हवाला देते हुए अतुल ने सुसाइड कर लिया, वह मुकदमा अब नहीं चलेगा। परिवार न्यायालय ने 29 जुलाई को आदेश दिया था कि अतुल अपने चार वर्षीय बेटे व्योम को भरण-पोषण राशि ₹40000 अदा करें। कोर्ट ने पत्नी निकिता के संबंध में दावा खारिज कर दिया था क्योंकि वह नौकरी कर रही थी। तनख्वाह पा रही थी। और अपना भरण पोषण करने में सक्षम थी। बेटे व्योम के संबंध में₹40,000 भरण पोषण का आदेश दिया था। आदेश में उल्लिखित धनराशि की वसूली के लिए निकिता ने व्योम की तरफ से अतुल के खिलाफ मुकदमा दाखिल किया था। इस मुकदमे की सुनवाई आज है। बेटा स्वयं हो जाएगा पिता की संपत्ति का मालिक तो किससे करेगा वसूली
इस संबंध में अतुल के अधिवक्ता अवधेश तिवारी ने बताया- भरण पोषण का फौजदारी का मुकदमा आरोपी की मृत्यु के बाद समाप्त हो जाता है, जहां तक अतुल की संपत्ति से वसूली का प्रश्न है, तो अब वह बेटा अतुल की संपत्ति का खुद ही मालिक हो जाएगा। अपनी ही संपत्ति से अपने लिए वसूली का कोई मतलब नहीं है। चूंकि वह मुकदमा केवल अतुल के खिलाफ चल रहा था। अतुल की मृत्यु के बाद वह उस मुकदमे में वकील भी नहीं रह गए। अब या तो बच्चे व्योम के पक्ष से कोई उपस्थित नहीं होता तो मुकदमा खारिज हो जाएगा या उसके पक्ष से यह सूचना दे दी जाए की अतुल की मृत्यु हो चुकी है, तब वह मुकदमा निष्प्रभावी हो जाएगा। दहेज उत्पीड़न व घरेलू हिंसा का मुकदमा अन्य आरोपियों के खिलाफ चलता रहेगा, क्योंकि उसमें अतुल के अलावा अन्य लोग भी मुलजिम हैं। अतुल सुसाइड केस में दोषी पाए जाने पर 10 वर्ष तक की है सजा व जुर्माना
अतुल सुसाइड केस में पत्नी निकिता गुरुग्राम से और मां निशा व भाई अनुराग प्रयागराज से गिरफ्तार हुए। उन्हें बेंगलुरु की कोर्ट में ले जाकर पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। मृतक के भाई विकास ने धारा 108 व 3(5) बीएनएस में निकिता,निशा,अनुराग व सुशील के खिलाफ 9 दिसंबर को मराठाहल्ली थाना बेंगलुरु में एफआईआर दर्ज कराया था। बीएनएस की धारा 108 आत्महत्या के दुष्प्रेरण से संबंधित है जिसमें यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है तो जो कोई ऐसी आत्महत्या का दुष्प्रेरण करेगा वह 10 वर्ष तक कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाएगा। धारा 3(5) बीएनएस के अनुसार जब कोई आपराधिक कार्य कई व्यक्तियों में से प्रत्येक द्वारा अपने सामान्य आशय के अग्रसरण में किया जाता है, तो ऐसे व्यक्तियों में से प्रत्येक व्यक्ति उस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्वाधीन है, मानो वह कार्य अकेले उसी ने किया हो अर्थात सभी को समान दंड मिलेगा। धारा 108 बीएनएस संज्ञेय (बिना वारंट गिरफ्तारी), अजमानतीय व सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है। अर्थात यदि भविष्य में अतुल सुसाइड केस के आरोपी बेंगलुरु कोर्ट में ट्रायल के बाद दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें 10 वर्ष तक कारावास व जुर्माने से दंडित किया जाएगा। अतुल के पिता का कहना है कि आरोपियों ने हत्या से भी गंभीर अपराध किया है। उन्हें कठोर दंड मिलना चाहिए। जहां तक ट्रांजिट रिमांड का प्रश्न है, इस संबंध में अधिवक्ता उमेश शुक्ला, अभिषेक भारद्वाज व प्रवीण सोलंकी ने बताया- यदि कोई व्यक्ति दूसरे जिले या राज्य में गिरफ्तार होता है और जिस जिले में अपराध किया गया है, वहां पहुंचने में 24 घंटे से ज्यादा का समय लगता है तो जहां गिरफ्तार किया गया है। वहां की कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड बनवाया जाना आवश्यक है, क्योंकि गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर जहां अपराध हुआ है। उससे संबंधित कोर्ट में पेश करना आवश्यक होता है, लेकिन यदि आरोपी 24 घंटे के भीतर गिरफ्तारी वाले स्थान से अपराध वाले स्थान से संबंधित कोर्ट में पहुंचा दिया जाता है, तो ट्रांजिट रिमांड की आवश्यकता नहीं है। इसमें भी यात्रा का समय घटा दिया जाता है। पहले धारा 167 सीआरपीसी में यह व्यवस्था थी। अब यह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 187 में उल्लिखित है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अतुल सुसाइड प्रकरण में पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर बेंगलुरु कोर्ट के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर दिया। कोर्ट ने आरोपियों को जेल भेज दिया। अतुल के भाई ने कहा- न्याय दिलाने के लिए किसी भी हद तक लडूंगा
मृत अतुल के भाई विकास ने मीडिया को बताया- सुप्रीम कोर्ट से कहूंगा कि कोर्ट कमेटी गठन करें। नरेंद्र मोदी की सरकार को यह कहना चाहता हूं कि वह कुछ अपने लेवल पर कमेटी बनाकर मामले के निष्पक्ष जांच कराएं। मीडिया से कहा- इसमें जज का नाम इंवॉल्वड है तो हो सकता है कि आप लोगों को भी प्रेशराइज किया जाए। आप लोगों से उम्मीद करता हूं कि आप लोग मीडिया वाले हैं तो जज का नाम आने के बाद भी आप लोग से उम्मीद करता हूं कि यह केस को दबाया नहीं जाएगा। जो 3 करोड़ रुपए का डिमांड किया गया था। वह 3 करोड़ रुपए देने के बाद भी क्या हमारे देश में ऐसा कोई कानून है कि रुपए देने के बाद भी वह केस नहीं करती। मेरे भाई को लगा कि हम अपने पैसे देकर उनको मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारे पेसै को यूटिलाइज करो और हमारे ऊपर केस डालो। क्या यही सिस्टम है? बच्चे के संबंध में ₹40,000 का आदेश हुआ । 4 साल के बच्चे के लिए ₹40,000 हर महीने कहां तक जायज है। आपके पास कोई क्राइटेरिया होना चाहिए, आपके पास कोई बेसिस होना चाहिए कि रकम कैसे डिसाइड करते हैं, सिर्फ यह नहीं होना चाहिए कि आपका इनकम ज्यादा है, तो आप ज्यादा रकम डिसाइड कर दोगे। मैं चाहता हूं कि मेरा भाई नहीं रहा तो मेरे बच्चे का अधिकार मुझे मिले, हमारी फैमिली वालों को मिले क्योंकि निकिता और उसके परिवार वाले उसकी अच्छे ढंग से परवरिश नहीं कर सकते, यह तय है। भाई ने सुसाइड नोट में लिखा है कि अब उसके ऊपर सारी जिम्मेदारी है। कहा कि अब मुझे पूरे परिवार को देखना है अपने माता-पिता का ख्याल रखना है। पहले फ्री रहता था। मेरे भाई ने सुसाइड किया है। मैं उसके लिए किसी भी हद तक लडूंगा।मुझे न्याय चाहिए। गिरफ्तार आरोपियों के संबंध में अग्रिम जमानत याचिका हुई निष्प्रभावी
अतुल सुसाइड केस के चारो आरोपी निकिता, निशा अनुराग व सुशील ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका 12 दिसंबर को हाईकोर्ट में सिंगल बेंच के समक्ष दाखिल किए थे जो फ्रेश लिस्ट में लगी है, जिसमें संभवत: सोमवार को सुनवाई होती यह अलग बात है कि उन्हें अग्रिम जमानत मिलती या नहीं, लेकिन इसके पहले ही शनिवार को बैंगलोर पुलिस ने निकिता, निशा व अनुराग को गिरफ्तार कर लिया। बेंगलुरु कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया। अब अग्रिम जमानत याचिका इन तीन आरोपितों के संबंध में निष्प्रभावी हो जाएगी क्योंकि अग्रिम जमानत याचिका में आमतौर पर आदेश होता है कि पुलिस द्वारा कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल करने के पूर्व आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, चार्जशीट तक अरेस्ट स्टे रहता है, लेकिन वह आदेश होने के पहले ही तीनों आरोपी गिरफ्तार हो गए, इसलिए अग्रिम जमानत याचिका स्वयं निष्प्रभावी हो गई।

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