तबला वादक जाकिर हुसैन भले ही अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके तबले से निकली धुन हमेशा हमारे कानों में गूंजती रहेगी। निधन से ठीक 9 साल पहले आगरा भी उनके तबले की थाप का दीवाना हो गया था। ताजमहल के साये में उन्होंने अपने तबले से भगवान शिव के डमरू की ऐसी आवाज निकाली कि ढलती शाम भी सुनहरी सुबह जैसी लगने लगी। 15 दिसंबर 2014…यही वह तारीख थी, जब ताजमहल से बमुश्किल 500 मीटर दूर ताज नेचर वॉक के टीले पर जाकिर हुसैन ने अपने तबले से समा बांधा था। कार्यक्रम का नाम था…धा। गुनगुनी धूप के बाद शाम को सिरहनभरी सर्दी के बीच जब उन्होंने तबले पर अपनी उंगलियां का जादू बिखेरा तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। अब 9 साल पहले की 2 तस्वीरें देखिए… डमरू की आवाज निकलते ही वहां जयकारे लगने लगे
जब जाकिर हुसैन के तबले पर भगवान शिव के डमरू की आवाज बजनी शुरू हुई तो संगीतमयी संध्या में जयकारे लगने लगे। उस कार्यक्रम के संयोजक और समन्वयक सुधीर नारायण बताते हैं, तबला वादक जाकिर हुसैन का आगरा से काफी लगाव था। ताज नेचर वॉक पर जो कार्यक्रम हुआ था, वह तो यादगार कार्यक्रमों में एक था। संगमरमरी ताजमहल के साये में जब जाकिर हुसैन का तबला गूंजा तो मानो वक्त थम सा गया हो। जाकिर के पीछे ताजमहल और सामने हरी घास पर बैठे श्रोता बेसुध से हो गए। इस दौरान न तबले की थाप थम रही थी और न ही वाह-वाह का क्रम। सुधीर नारायण बताते हैं- जाकिर हुसैन 12 साल तक आईटीसी संगीत सम्मेलन के लिए आगरा आए। इस बीच एक बार परिवार के साथ आए थे। तब उन्होंने ताजमहल का दीदार किया था। अरे हुजूर वाह! ताज बोलिए…
जाकिर हुसैन और ताजमहल का साथ काफी पुराना रहा है। पूर्व में एक चाय कंपनी का विज्ञापन आता था, जिसमें जाकिर हुसैन ताजमहल के साये में तबले की थाप देकर कहते हैं…अरे हुजूर वाह! ताज बोलिए। ये विज्ञापन काफी हिट हुआ था। तलत अजीज बोले- उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन परसों हुआ:परिवार ने आज पुष्टि की, 73 साल की उम्र में सैन फ्रांसिस्को में ली अंतिम सांस
विश्वविख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया है। उनके निधन की खबर रविवार रात से आ रही थी, लेकिन सोमवार सुबह परिवार ने इसकी पुष्टि की। वे इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से जूझ रहे थे और दो हफ्ते से सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में भर्ती थे। पढ़िए पूरी खबर