5 दिसंबर, 2024। वो तारीख, जब मेरठ के कैपिटल अस्पताल की लिफ्ट अचानक गिर गई। लिफ्ट में बंद 28 साल की करिश्मा, जिसने महज 30 मिनट पहले एक बेटी को जन्म दिया था, वो फंस जाती हैं। 45 मिनट लिफ्ट में तड़पने के बाद करिश्मा अपनों के सामने दम तोड़ देती हैं। 4 साल की बेटी ईवा अपने बर्थडे के दिन मां को तड़प कर मरते देखती है। फौज से छुट्टी लेकर पत्नी की देखभाल करने मेरठ आए पति अंकुश भी पत्नी को तड़प-तड़प पर मरता देखते हैं। मगर ईवा के जेहन में उसकी मां अभी भी बसी हैं। पिता ने बेटी को बताया कि मां स्टार बन गई हैं। इस पर ईवा कहती है कि मुझे भी स्टार बनना है, ताकि मां के पास जा सकूं। इस हादसे को 11 दिन से ज्यादा समय हो चुके हैं, लेकिन मुकदमा लिखने के बाद भी पुलिस ने अब तक एक भी आरोपी को अरेस्ट नहीं किया। परिवार को अब तक न्याय नहीं मिला। दैनिक भास्कर की टीम जब करिश्मा के घर पहुंची तो इस परिवार ने अपना दर्द बयां किया…
भास्कर की टीम जब करिश्मा के घर पहुंची तो सामने चारपाई पर उनके पति अंकुश बैठे मिले। साथ ही घर के कुछ और लोग भी बैठे थे। सब यही चर्चा कर रहे थे कि आखिर कहां गुहार लगाएं, जहां हमारी सुनवाई हो जाए। तभी अंकुश की 4 साल की बेटी ईवा वहां पहुंचती है। ईवा जब अपने पापा को उदास देखती है, तो कहती है कि पापा मेरी मम्मा तो स्टार बन गईं हैं। मैं कभी मम्मा को तंग नहीं करुंगी, बस मम्मा मेरे पास आ जाएं…। ये 4 साल की मासूम अपनी मां के आने की राह देखते हुए अपने रोते हुए पिता को संभालती है। पिता के आंसू पोंछते हुए कहती है- पापा आप मत रो, मैं आपको परेशान नहीं करूंगी..कोई चीज नहीं मांगूगी। पापा मैं भी अपनी मम्मा के पास चली जाऊंगी। मम्मा स्टार बन गई, स्टार तो ब्रेक हो जाते हैं… वो भी ब्रेक होंगी क्या, जमीन पर वापस आएंगी क्या? इन मासूम सवालों का वहां मौजूद किसी भी शख्स के पास जवाब नहीं थे। मुझे मम्मा के बिना नींद नहीं आती
बच्ची ईवा जो 5 दिसंबर को अपनी छोटी बहन को देखने कैपिटल अस्पताल पहुंची थी। लेकिन वहां उसने अपनी मां की मौत को नजदीक से देखा। उसके सामने मां ने दम तोड़ दिया। ईवा कहती है- मुझे मम्मी के बिना नींद नहीं आती। मेरी छोटी सी बहन ने तो मम्मा को देखा भी नहीं, वो मम्मा के बिना बहुत रोती है। मैं स्कूल भी नहीं जा पा रही। मेरा कुछ मन नहीं करता, कुछ अच्छा नहीं लगता। अब बात पिता की… करिश्मा के पति अंकुश मावी फौज में हैं। उनकी पोस्टिंग राजौरी में है। अंकुश बार-बार अपनी बेटियों का चेहरा देखते हैं और अपने आंसुओं को छिपाते हैं। अंकुश ने बताया- 5 दिसंबर को मेरी बड़ी बेटी का बर्थडे था, छोटी बेटी का भी उसी दिन जन्म हुआ। हम तो खुशी मनाने वाले थे, लेकिन जिंदगी भर का गम मिल गया। मैं पुलिस, प्रशासन से केवल अपने लिए न्याय चाहता हूं। मेरे साथ गलत हुआ है, मेरी पत्नी वहां अस्पताल की लिफ्ट में तड़पकर मर गई। उसे किसी ने नहीं बचाया। तो क्या मैं अपने लिए इंसाफ भी नहीं मांग सकता। ‘बेटियों की खातिर मैं फौज की नौकरी भी छोड़ दूंगा’
अंकुश सिस्टम की लापरवाही और इस हादसे के कारण इतना टूट चुके हैं कि फिलहाल ड्यूटी जाने का भी नहीं सोच रहे। कहते हैं, मेरे आफिस और फौज से मुझे बहुत सपोर्ट मिल रहा है। लेकिन ऐसी हालत में अपनी दो छोटी बच्चियों को छोड़कर मैं कैसे ड्यूटी जाऊं? मेरा मन भी नहीं करता। छोटी बेटी तो कुल 10 दिन की है, उसे अपनी बहन के यहां भेजा हुआ है। ये बड़ी बेटी, जो 4 साल की है वो मुझे एक मिनट के लिए नहीं छोड़ती। यही हालत रही तो मुझे ये नौकरी छोड़नी पड़ेगी और घर पर ही रहकर कोई काम करुंगा। 10 दिनों से हम पिता, बेटी ठीक से सोए नहीं
अंकुश कहते हैं- हम इतने दुखी हैं कि पिछले 10 दिन से मैं ठीक से सो भी नहीं पाए हैं। मेरी बेटी एक पल भी मुझसे अलग नहीं हो रही। ये कुछ खा नहीं रही, स्कूल नहीं जा रही। मुझे उठने नहीं देती, मेरे साथ ही लेटी रहती है। कोई हमारे दिल से हमारी परेशानी पूछे। मेरी बेटियों का क्या होगा? मैं समझ ही नहीं पा रहा। हम सोए भी नहीं हैं। बस रोते रहते हैं। पुलिस भी हमारी मदद नहीं कर रही। सारी गलती डॉ. कविता की है। हमने तो डॉ. कविता पर पूरा भरोसा किया था। वही मेरी पत्नी का शुरू से इलाज कर रही थीं। उसी ने दबाव डाला कि कैपिटल अस्पताल में ही ऑपरेशन करेंगी और कहीं नहीं जाएंगी। उन्हें तो सोचना चाहिए था कि जिस अस्पताल में लिफ्ट खराब है वहां मरीज के साथ क्या होगा। उन्होंने कहा- पहले से लिफ्ट खराब थी, उसी में जानबूझकर मेरी पत्नी को चढ़ाया। अस्पताल का स्टाफ भी अनट्रेंड था, उसे कुछ नहीं पता था। उसने मरीज को पैरों की तरफ से लिफ्ट से बाहर निकाला। उसी गलत तरह से लिफ्ट में ले गए। अब वो कहती हैं कि उनका कोई दोष नहीं है। पहले भी कई मरीजों ने इसकी शिकायत की थी, लेकिन पुलिस, प्रशासन, डॉक्टर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इंसान निजी अस्पतालों में सुविधाओं के लिए जाता है। यहां सुविधाओं के नाम पर हमारा मरीज ही चला गया। कानून, पुलिस को हमसे और क्या सुबूत चाहिए
अंकुश ने कहा कि अब पुलिस, कानून को हमसे क्या सुबूत चाहिए। सारे सुबूत सामने है। पुलिस के पास सीसीटीवी की डीवीआर है वो देख लें सारा समझ आ जाएगा। सारे आरोपी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं। पुलिस इन हत्यारों को क्यों नहीं पकड़ रही, हम नहीं समझ पा रहे। हम किसे जाकर अपनी परेशानी बताएं। एक हादसे के इससे ज्यादा और क्या सबूत पुलिस चाहती है। जो आरोपियों को पकड़ नहीं रहे। उनके आरोप हैं कि पुलिस ने अस्पताल को भी पहले सील नहीं किया, पीछे से अस्पताल खुला रहा और वहां सारे सुबूत मिटाए जाते रहे। अगर सीएम योगी आदित्यनाथ हमारी बात सुन रहे हैं तो हमें न्याय दें। हम उनसे बहुत आस लगाए हुए हैं। मैं एक बेबस, लाचार पिता इससे ज्यादा और क्या कह सकता हूं। पुलिस हमारी मदद नहीं कर रही। अब कैपिटल अस्पताल की मौजूदा स्थिति को भी जानें… लाइसेंस सस्पेंड, अस्पताल सील
जांच के बाद प्रशासन ने कैपिटल अस्पताल को सील कर दिया था। CMO ऑफिस ने अस्पताल का लाइसेंस भी सस्पेंड कर दिया था। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम बनी थी। जिसने रिपोर्ट CMO और DM ऑफिस में सौंपी है, अधिकारियों ने 26 पॉइंट पर जांच की। रिपोर्ट में लिखा कि उत्तर प्रदेश लिफ्ट एंड एस्कलेटर एक्ट के प्रावधान का पालन नहीं किया गया था। अस्पताल का नक्शा भी गलत मिला है, इसकी जांच प्राधिकरण से कराई जाए। जांच में पता चला कि बिना रजिस्ट्रेशन के ही लिफ्ट चल रही थी। लिफ्ट में सुरक्षा गार्ड भी नहीं था। अस्पताल के मानक की जांच की जा रही
SSP डॉ. विपिन ताडा का कहना है कि पीड़ितों की तहरीर के आधार पर मुकदमा लिखा गया है। अस्पताल में मानक पूरे थे या नहीं इसकी जांच की जा रही है। वहीं, CMO डॉ. अशोक कटारिया का कहना है कि पूरे मामले में प्रशासनिक कमेटी भी जांच कर रही है। डीएम लेवल से जो जांच कमेटी बनी है उसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
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