गोरखपुर में शीतलहर और सर्द मौसम का सबसे ज्यादा असर उन असहाय और गरीब लोगों पर पड़ता है, जिनके पास ठंडी रातों में सुरक्षित आश्रय नहीं होता। शहरी और कस्बाई क्षेत्रों में कई लोग ऐसे होते हैं जिनके लिए खुले आसमान के नीचे सोना एक कठिन चुनौती बन जाती है। इस समस्या के समाधान के लिए, योगी सरकार ने सर्द रातों में असहायों के लिए एक विशेष राहत अभियान की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट निर्देश है कि कोई भी व्यक्ति खुले आसमान के नीचे न सोए, उन्हें निकटतम रैन बसेरों में आश्रय दिया जाए। प्रशासन का रात्रिकालीन निरीक्षण अभियान
मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद प्रशासन ने रात्रिकालीन निरीक्षण और भ्रमण का अभियान शुरू किया है। अधिकारियों ने अभियान के तहत सड़कों पर सो रहे असहायों को रैन बसेरों तक पहुंचाने का काम किया और सुनिश्चित किया कि वहां उन्हें सम्मानजनक तरीके से आश्रय मिले। राहत आयुक्त ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि शीतलहर के दौरान कोई भी व्यक्ति खुले आसमान में न सोए और उन्हें निकटतम रैन बसेरों में शरण दी जाए। इस दिशा में गोरखपुर जिला प्रशासन ने नगर मजिस्ट्रेट, अपर नगर मजिस्ट्रेट, एसडीएम और तहसीलदारों को सक्रिय रूप से अभियान में शामिल होने के निर्देश दिए हैं। रैन बसेरों में सुविधाओं की व्यवस्था और निरीक्षण
गोरखपुर के अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) और आपदा के प्रभारी अधिकारी विनीत कुमार सिंह के अनुसार, बढ़ती ठंड को देखते हुए निराश्रितों और गरीबों की मदद के लिए रोजाना बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है। सड़कों पर सो रहे लोगों को रैन बसेरों में भेजने के साथ-साथ उन्हें कंबल और अलाव भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन और अधिकारियों की सक्रियता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों और राहत आयुक्त के परिपत्र के अनुपालन में अधिकारियों ने सोमवार रात से सक्रिय रूप से निरीक्षण शुरू कर दिया है। इस दौरान सड़कों पर सोते कई लोगों को रैन बसेरों में भेजा गया और वहां की सुविधाओं का भी निरीक्षण किया गया। गोरखपुर में रैन बसेरों की संख्या और विस्तार
गोरखपुर नगरीय क्षेत्र में 14 रैन बसेरे संचालित हैं, जिनमें से चार रैन बसेरों का निरीक्षण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 10 दिसंबर को किया था। इसके अलावा, उन्होंने तीन नए रैन बसेरों के निर्माण का निर्देश भी दिया था। गोरखपुर शहर के अलावा सभी नगर पंचायतों में भी एक-एक रैन बसेरा संचालित है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को ठंड से राहत मिल सके।