SSC MTS परीक्षा में फर्जीवाड़े से जुड़े फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज यानी मास्टरमाइंड तक पहुंचने पुलिस ने इस केस से जुड़े 10 आरोपियों को रिमांड पर लिया है। साइबर पुलिस 48 घंटे तक रिमांड पर लेकर इनसे पूछताछ करेगी। फिलहाल, पुलिस 10 लोगों से पूछताछ कर रही है, जिनमें सेंटर संचालक, फ्लाइंग ऑब्जर्बर, कुछ फर्जी और कुछ ओरिजिनल कैंडिडेट्स शामिल हैं। इनकी रिमांड की अवधि पूरी होने के बाद बाकी 10 लोगों से पूछताछ की जाएगी, जिनमें दलाल, स्टाफ शामिल हैं। इसके बाद बाकी बचे फर्जी और ओरिजिनल कैंडिडेट को रिमांड पर लिया जाएगा और फिर आगे की पूछताछ शुरू होगी। दैनिक भास्कर से बातचीत में साइबर डीएसपी अनुराग कुमार ने बताया कि इस मामले में कई ऐसी कड़ियां हैं जो अब तक अनसुलझी हैं। ऐसे में पूर्णिया पुलिस ने इस मामले की गुत्थी सुलझाने को लेकर फर्जीवाड़े के आरोपियों से पूछताछ को लेकर कोर्ट में अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने एक्सेप्ट कर लिया है। साइबर डीएसपी बोले- पूरी प्रॉसेस समझने की कोशिश की जाएगी साइबर डीएसपी अनुराग कुमार ने बताया कि पुलिस फर्जीवाड़े की पूरी प्रोसेस इन सभी आरोपियों से समझेगी। क्या डील में सेंटर मैनेज से लेकर रिजल्ट तक की पूरी डील थी? इससे पहले ही सेंटर पर 4, 5, 11, 12, 13 नवंबर को SSC एमटीएस की परीक्षा तीन पालियों में हुई। इसके अलावे भी कुछ परीक्षाओं के सेंटर्स पड़े थे। क्या उन सभी परीक्षाओं में भी फर्जीवाड़ा हुआ? इसके फॉरवर्ड लिंकेज में SSC से जुड़े कौन से बड़े चेहरे हैं, जिनकी मदद से ये सबकुछ चल रहा था। पुलिसिया सूत्रों की मानें तो पुलिस इन केस में पॉलिटिकल एंगेजमेंट पर भी काम कर रही है। वहीं इस पूरे प्रकरण में किसी बड़े सियासी रसूख वाले चेहरे के कनेक्शन से भी इनकार नहीं किया जा सकता। 14 नवंबर को छापेमारी कर 35 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी पूर्णिया में 14 नवंबर को SSC MTS परीक्षा के दौरान एग्जाम सेंटर पर रेड कर पुलिस ने 35 लोगों को गिरफ्तार किया था। सेंटर पर चल रहे फर्जीवाड़े के मामले में वैशाली, नालंदा और कटिहार के सेंटर संचालक, फ्लाईंग ऑब्जर्बर, 12 फर्जी कैंडिडेट, 14 ओरिजनल कैंडिडेट कैंडिडेट, 7 स्टाफ और दो दलालों को सलाखों के पीछे भेज दिया था। फर्जीवाड़े को 1 महीने से अधिक का वक्त हो चुका है। फर्जीवाड़े में अब तक क्या जानकारी सामने आई? मामले में परत दर परत कई कड़ी खुलकर सामने आई है। सेंटर संचालक वैशाली के रहने वाले विवेक, कटिहार के रहने वाले रौशन और नालंदा के रहने वाले राहुल राज की SSC की ओर से बहाल सेंटर के फ्लाईंग ऑब्जर्बर इजहार आलम से सेटिंग थी। इसी की मदद से उन्हें 3 लाख रुपए में ये सेंटर मिला था। हर कैंडिडेट से 10 लाख की डील फिक्स हुई थी। सेंटर पर चल रहे इस फर्जीवाड़े का भांडा सेंटर पर बहाल को-ऑर्डिनेटर की मदद से खुला। हालांकि फर्जी दस्तावेज से जुड़े एक मामले में बाद में सेंटर को-ऑर्डिनेटर को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मामला सदर थाना क्षेत्र के गुलाबबाग के हसदा रोड जीरो माइल स्थित पूर्णिया डिजिटल नाम के ऑनलाइन एग्जामिनेशन सेंटर से जुड़ा है। अलग-अलग जिलों के हैं सभी 35 आरोपी मामले में पुलिस ने फर्जी छात्रों में पटना के मनेर के रहने वाले मंजीत कुमार, दिवाकर कुमार (नालंदा), अभिषेक कुमार (मनेर, पटना), धर्मवीर कुमार (नालंदा), मनदीप कुमार (गया), अमर कुमार (नालंदा), बिकांत कुमार (नालंदा), राजन सिंह (रांची), दीपू कुमार (नालंदा), अमित कुमार (पटना), दीपक कुमार (अरवल), नीतिश कुमार (नालंदा) शामिल है। रिमांड से पहले की पूछताछ में इन्होंने बताया कि वे फर्जी छात्र हैं, दूसरे के बदले में परीक्षा देने आये थे। उनलोगों ने आधार कार्ड, एडमिट कार्ड में छेड़छाड़ किया। साथ ही ओरिजिनल कैंडिडेट की जगह अपना फोटो एडमिट कार्ड पर लगा लिया था। ओरिजिनल कैंडिडेट बगल के कमरे में बैठे थे। फ्लैट से फर्जीवाड़ा में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस नेटवर्क वायर को जब्त किया गया। फ्लैट के बाहर लगी गाड़ी में कई सारे एटीएम, 60000 रुपए के चेक और 4 लाख 20 हजार 400 रुपए कैश बरामद किए गए थे। सेंटर के कर्मियों ने पूछताछ में दी थी ये जानकारी सेंटर के कर्मियों ने पूछताछ में बताया कि सेंटर संचालक विवेक कुमार और उसका पार्टनर रौशन कुमार, राहुल राज की SSC मध्य क्षेत्र के प्रयाग राज दफ्तर में बहाल कार्यरत इजहार आलम से नजदीकियां हैं। यही इस सेंटर का पलाईंग ऑब्जर्बर हैं। इसी की सांठगांठ से सेंटर पर फर्जीवाड़ा हो रहा था। सेंटर मैनेज कराने से लेकर परीक्षा पास कराने तक के लिए सेंटर संचालक ने पटना के एक युवक से मिलकर ओरिजनल कैंडिडेट्स से साढ़े लाख की डील की थी। इसमें 5 लाख रुपए पहले जबकि बाकी के रकम परीक्षा पास होने के बाद देने थे। बाकी के 5 लाख मेरिट लिस्ट बनने के बाद देने थे। एग्जाम में बैठने के लिए फर्जी कैंडिडेट को 80 से 1.50 लाख तक दिए जाने थे। हालांकि सेंटर संचालक और उसके पार्टनर के अलावा फ्लाइंग ऑब्जर्बर को इसमें से कितने रुपए मिलते इसका अब तक पता नहीं चल सका है। सेंटर संचालक विवेक कुमार और उसका पार्टनर रौशन कुमार, राहुल राज अपने जिले में छोटे स्तर पर जॉब कंसलटेंसी चलाने का काम करते हैं। इसी के जरिए वे एक दूसरे से मिले थे और फिर नजदीकियां बढ़ी।