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CCL, BCCL और ECL के पास 93 हजार हेक्टेयर लैंड:इन्हीं के पास रॉयल्टी का सर्वाधिक बकाया, SC ने कहा था- राज्य का बकाया दें

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झारखंड सरकार का केंद्र के पास 1.36 लाख करोड़ रुपए बकाया है। राज्य सरकार समय-समय पर इसकी मांग केंद्र से करती रही है। इधर केंद्र सरकार ने साफ कह दिया है कि झारखंड का कोई बकाया नहीं है। इस पर राज्य की राजनीति गरमाई हुई है। सरकार से मिले आंकड़े के मुताबिक यह बकाया कोयला कंपनियों का वाश्ड कोल रॉयल्टी, कॉमन कॉज और भूमि मुआवजा मद में है। झारखंड में कोल इंडिया की अनुषंगी इकाईयों में CCL, BCCL और ECL ये तीन कंपनियां हैं, जो सबसे अधिक माइनिंग करती हैं। सरकार से मिले आंकड़े बताते हैं कि इन तीन कंपनियों के पास झारखंड की 93 हजार हेक्टेयर जमीन है, जिसे इन्होंने अधिग्रहित किया है। वहीं सूत्र बता रहे हैं कि ये वो तीन कंपनियां हैं, जिनका रॉयल्टी बकाया सबसे अधिक है। आंकड़े के मुताबिक CCL ने राज्य में कुल 70,000 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। वहीं BCCL ने माइनिंग के लिए कुल 39,463.03 एकड़ (15,970.135 हेक्टेयर) जमीन ली है। वहीं ECL के पास राज्य की 7315.915 हेक्टेयर जमीन है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा था- राज्य का बकाया दें 1.36 लाख करोड़ रुपए के बकाए को लेकर 14 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने आदेश सुनाया था। अदालत ने खनिज संपन्न राज्यों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें खनिजों और खनिज-युक्त भूमि पर केंद्र सरकार से 12 वर्ष में क्रमबद्ध तरीके से रॉयल्टी और कर पर एक अप्रैल 2005 से बकाया लेने का निर्णय सुनाया था। सीएम हेमंत ने बताया था ऐतिहासिक फैसला सुप्रीम कोर्ट से आए निर्णय के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने इस फैसले को बड़ी जीत बताया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का आभार भी जताया था। अपने X अकाउंट पर लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के आज के ऐतिहासिक फ़ैसले से हमारी लगातार मांग सफल हुई है। अब झारखंड को केंद्र से अपने बकाये के 1 लाख 36 हज़ार करोड़ रुपए मिलेंगे। हर झारखंडी के इस बकाये/अधिकार को लेकर आपकी अबुआ सरकार लगातार आवाज़ बुलंद कर रही थी। कब-कब किस मद में रहा है बकाया सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी बताती है कि कोल कंपनियों के पास जो बकाया है, वह अलग-अलग मद में अलग-अलग समय में है। रॉयल्टी की बात करें तो यह बकाया 2007 से 2021तक का है। वहीं कॉमन कॉज का बकाया साल 2000 से 2017 तक का है। वहीं भूमि मुआवजा मद में बकाया साल 2009 से 2019 तक का है। झारखंड ने कब-कब उठाया बकाए की बात ———————————- इस खबर को भी पढ़ें… कोयला चाहिए तो 15 दिन में कोल इंडिया जवाब दे:1.36 लाख करोड़ रुपए बकाए को लेकर हेमंत सरकार सख्त, सीएम बोले-बीजेपी भी आवाज उठाए केंद्र सरकार ने कोयला रॉयल्टी और राजस्व मद में झारखंड के बकाए 1.36 लाख करोड़ की मांग खारिज कर दिए जाने के बाद हेमंत सरकार एक्शन में आ गई है। कोल कंपनियों के यहां 1.36 लाख करोड़ रुपए बकाए की वसूली के लिए राज्य सरकार ने लीगल प्रोसेस शुरू करने का आदेश दिया। राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा आदेश जारी किया गया है। भू-राजस्व विभाग के विशेष सचिव को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। विशेष सचिव 15 दिनों के अंतराल पर भू-राजस्व सचिव को विधिक कार्रवाई की प्रगति से अवगत कराएंगे। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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