महाकाल मंदिर में तेलगुदेशम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने नियम तोड़कर दर्शन किए। वे गर्भगृह में प्रवेश कर गए। उन्होंने इसके फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी अपलोड किए। विवाद बढ़ने पर उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह ने गुरुवार को जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज निकलवा रहे हैं। एसडीएम ने जांच शुरू कर दी है। बता दें, गर्भगृह में डेढ़ साल से प्रवेश पर रोक है। तेलगुदेशम पार्टी के नेता और स्वच्छ आंध्रा कॉर्पोरेशन के चेयरमैन पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने बुधवर को महाकाल मंदिर में दर्शन किए थे। सोशल मीडिया पर यूजर ने लिखा- कब खत्म होगा वीआईपी कल्चर
कोमारेड्डी ने फेसबुक अकाउंट पर फोटो पोस्ट की हैं। इस पर दूसरे यूजर का भी रिएक्शन आया है। उन्होंने लिखा- कब खत्म होगा बाबा महाकाल के यहां वीआईपी कल्चर? किसी ने लिखा- पैसे वालों की तस्वीर रोजाना सामने आ रही है। विवाद बढ़ने पर फोटो हटाए
उधर, विवाद बढ़ने पर कोमारेड्डी ने दर्शन के फोटो हटा दिए हैं। उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क नहीं हो पाया है। उन्होंने अपने फेसबुक पर इंदौर को स्वच्छ रखने को लेकर किए जा रहे कामों को देखने के भी फोटो डाले हैं। सम्भवतः वे इंदौर को लगातार स्वच्छ शहर का अवार्ड मिलने के बाद यहां किए जा रहे कामकाज को देखने आए थे। सीएम के बेटे ने भी तोड़े थे नियम
महाकाल मंदिर में वीआईपी लगातार नियम तोड़ते रहे हैं। 18 अक्टूबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे सांसद श्रीकांत शिंदे गर्भगृह में प्रवेश कर गए। पत्नी और दो लोगों को भी साथ ले गए। गर्भगृह में चारों 6 मिनट तक रहे थे। वीडियो फोटो जारी होने के बाद विवाद बड़ा तब भी जांच की बात कही गई थी। इसलिए लगी है गर्भगृह में जाने पर रोक 4 जुलाई 2023 को सावन महीने में आने वाली भीड़ को देखते हुए 11 सितंबर 2023 तक के लिए गर्भगृह बंद किया गया था। तब मंदिर समिति ने कहा था कि सावन खत्म होते ही गर्भगृह आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। अब एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी गर्भगृह नहीं खोला गया है। उधर, महाकाल लोक बनने से पहले महाकाल मंदिर में रोजाना 20 से 30 हजार श्रद्धालु पहुंचते थे। अक्टूबर 2022 में महाकाल लोक बनने के बाद भक्तों की संख्या में चार गुना वृद्धि हो गई। यह संख्या बढ़कर डेढ़ से दो लाख तक पहुंच गई है। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश देना नामुमकिन है। इसीलिए मंदिर समिति ने गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा रखी है। गर्भगृह में प्रवेश बंद करने का एक कारण यह भी मंदिर के शिवलिंग क्षरण को लेकर लगी याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मंदिर समिति से क्षरण रोकने के लिए सुझाव मांगे थे। एक सुझाव यह भी था कि गर्भगृह में श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित किया जाए। इसके बाद मंदिर समिति ने दोपहर 12 से 5 बजे तक ही गर्भगृह में श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी। कई बार जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने जांच की। रिपोर्ट कलेक्टर समेत अन्य अधिकारियों और कोर्ट को सौंपी थी। इसके बाद समिति ने तय किया कि गर्भगृह आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाएगा।