आजमगढ़ जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था किस तरह से पटरी से लड़खड़ाई हुई है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आजमगढ़ जिले के मार्टिनगंज ब्लॉक में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर गुरुवार को महिला नसबंदी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। ऐसे में सुबह से ही महिलाएं मार्टिनगंज के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचने लगी थी। इन महिलाओं को आशा बहू द्वारा लाया गया था। इन महिलाओं का दोपहर से ऑपरेशन होना था जिसके बाद इन्हें घर रवाना किया जाना था। पर महिलाओं का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर राम आशीष यादव अपने निर्धारित समय दोपहर 2 बजे के बजे शाम को 7 बजे स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे। ऐसे में इन महिलाओं की नसबंदी का कार्यक्रम इस सर्द रात में रात्रि 9 बजे तक चलता रहा। जिसके कारण नसबंदी कराने आई महिलाओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। अब ऐसे में बड़ा सवाल या उठना है कि जहां एक तरफ सरकार महिला सुरक्षा और चिकित्सा की बात कर रही है वहीं देर रात तक अपने घरों से इलाज के लिए आई यह महिलाएं स्वास्थ्य केंद्र पर भटकती रही। इससे समझा जा सकता है कि महिलाओं की नसबंदी करने वाले यह डॉक्टर महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है। डॉ राम आशीष यादव द्वारा मार्टिनगंज के स्वास्थ्य केंद्र पर देरी से पहुंचने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पूर्वी कई बार दो रामाशीष यादव स्वास्थ्य केंद्रों पर देरी से पहुंचे हैं। इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हुए हैं। प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक भले ही प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने का लगातार दावा करते हो पर आजमगढ़ जिले में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की कहीं भी हनक नहीं दिख रही है। एक माह पहले तैयार होता है माइक्रो प्लान आजमगढ़ जिले के मार्टिनगंज स्वास्थ्य केंद्र पर देर रात में हुई नसबंदी के सवाल पर जब जिले के सीएमओ से उनका पक्ष जानना चाहा तो पता चला कि वह लखनऊ है। सीएमओ का चार्ज देख रहे हैं एडिशनल सीएमओ डॉक्टर अरविंद चौधरी ने बताया कि जहां पर भी नसबंदी का ऑपरेशन होना होता है। उसका माइक्रो प्लान एक माह पहले जारी कर दिया जाता है। इसके साथ ही जिले में तीन नसबंदी के डॉक्टर हैं। जिसमें डॉक्टर अमित सिंह डॉक्टर रामाशीष यादव और तरवा में तैनात डॉक्टर देवेंद्र है। ऐसे में इन्हीं तीनों डॉक्टर के भरोसे प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर होने वाली नसबंदी है। इस दौरान 22 महिलाओं की रात 9 बजे तक नसबंदी की गई। मोहम्मदपुर ब्लॉक में ऑपरेशन के बाद मार्टिनगंज गए डॉक्टर वही इस बारे में अभी जानकारी सामने आई है कि गुरुवार को मार्टिनगंज स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी कार्यक्रम के लिए कैंप लगा था। इसको लेकर आशा बहुओं को जानकारी भी दी गई थी। यही कारण है कि लगभग दो दर्जन महिलाएं नसबंदी कराने मार्टिनगंज में पहुंची थी। पर जिस तरह से डॉक्टर की देरी का खामियां जाए महिलाओं को भुगतना पड़ा निश्चित रूप से दुखद है। क्या कहते हैं नोडल अधिकारी दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए नसबंदी कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एडिशनल सीएमओ उमा शरण पांडे जो कि अपने परिजनों का इलाज करने शहर से बाहर है ने बताया कि सजन के आने में देरी हुई है जिस कारण से ऑपरेशन देर से हो सका है। एडिशनल सीएमओ का कहना है कि जिले के सीएमओ से कहकर इस टीम को चेंज कराया जाएगा। इसके साथी ऑपरेशन में जो देरी हुई है। उसके बारे में डॉक्टर आशीष यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। बड़ा सवाल महिलाओं के साथ हो जाती कोई घटना तो कौन जिम्मेदार ऐसे में सबसे बड़ा सवाल लिया है कि जिस तरह से नसबंदी कराने सुबह से आने वाली इन महिलाओं को देर रात तक स्वास्थ्य केंद्र पर भटकना पड़ा। ऐसे में यदि उनके साथ कोई हादसा हो जाता तो उसका जिम्मेदार कौन होता। ऐसे बहुत से अनुत्तरित सवाल है जो स्वास्थ्य व्यवस्था से जवाब मांग रहे हैं।