Drishyamindia

हरियाणा में राखीगढ़ी महोत्सव आज से:यहां 9 हजार साल पुरानी हड़प्पाकालीन सभ्यता; एक साथ 60 कंकाल, महिलाओं के आभूषण मिल चुके

Advertisement

हरियाणा में हिसार के राखीगढ़ी में 3 दिवसीय महोत्सव आज से शुरू हो रहा है। 20 से 22 दिसंबर तक चलने वाले इस महोत्सव में लोग हजारों वर्ष पुराने मकान की दीवारें और उनके पानी की निकासी के मैनेजमेंट का सिस्टम देख सकेंगे। बता दें कि राखीगढ़ी में 9 हजार साल पुरानी हड़प्पाकालीन सभ्यता की खोज की जा चुकी है। यहां से एक साथ 60 कंकाल मिल चुके हैं। इसके अलावा महिलाओं के आभूषण से लेकर पुरानी लिपि और पानी का ड्रेनेज सिस्टम भी मिल चुका है। इससे पता चलता है कि हजारों साल पहले भी देश में एक सभ्यता ऐसी थी, जो विकसित नगर में रहती थी। अब इस जगह पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली की टीम लगातार काम कर रही है। टीलों ने खींचा राखीगढ़ी की तरफ ध्यान
राखीगढ़ी में ऊंचे टीले हैं। जिनका आकार पिरामिड जैसा है। यह 9 टीले 550 हेक्टेयर एरिया में फैले हुए हैं। इस वजह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का ध्यान इन पर गया। ASI ने राखीगढ़ी का सर्वे किया। राखीगढ़ी की 3 बार खुदाई में क्या-क्या मिला? पहली बार मानव कंकाल मिला
करीब 28 साल पहले ASI ने यहां खुदाई का फैसला लिया। 1997-98 में अमरेंद्र नाथ की अगुवाई में राखीगढ़ी में टीले नंबर 6 और 7 की खुदाई की गई। टीले नंबर 7 से तब एक मानव कंकाल मिला था। जिसके बाद पता चला कि यहां मानव जीवन रहा है। यह कंकाल अब दिल्ली स्थित नेशनल म्यूजियम में रखा हुआ है। दूसरी बार 60 कंकाल, मानव अवशेष मिले
मानव सभ्यता की खोज के लिए राखीगढ़ी में दूसरी बार डेक्कन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर वसंत सिंधे की अगुआई में 2013–14 में खुदाई की गई। इस यूनिवर्सिटी को खुदाई के लिए एएसआई ने ही रिकमेंड किया था। खुदाई की निगरानी भी एएसआई ने ही की थी। उन्होंने 6–7 नंबर टीले के साथ 1–2 की भी खुदाई की। जिसमें करीब 60 कंकाल मिले थे। उनमें से 8-10 कंकाल अच्छी हालत में थे। उन्हीं में से एक कंकाल का डीएनए लेकर जांच भी की गई। इससे यह अनुमान लगा कि यह सभ्यता करीब साढ़े 5 हजार वर्ष पुरानी है। जब कंकालों के नीचे खुदाई को आगे बढ़ाया तो वहां पर मानव के रहने की अवशेष मिले थे। जब उनकी कार्बन डेटिंग की गई तो यह अवशेष करीब 9 हजार वर्ष पुराने मिले। जिसमें सूखी नदी, बर्तन, कुएं आदि मिले। तीसरी खुदाई में मकान की दीवार, ईंटें, तांबा मिले
इसके बाद 2023-24 में खुदाई का काम एएसआई ने अपने हाथ में ले लिया। एएसआई के अपर महानिदेशक डा. संजय कुमार मंजुल की अगुआई में खुदाई हुई तो इस टीले पर 6 हजार वर्ष पुरानी मकान की दीवार, शंख की चूड़ी, कच्ची ईंटें, तांबा, मनके, मोहरें मिल चुकी हैं। तब से लगतार यहां टीलों की खुदाई की जा रही है। एएसआई का अनुमान, नदी के सूखने पर हुआ नगर का अंत
राखीगढ़ी को हड़प्पाकालीन सभ्यता सबसे बड़ी साइट माना जाता है। जो करीब 550 हेक्टेयर में फैली हुई है। यहां मिले 9 टीलों में से पुरातत्व विभाग ने अब तक 5 टीलों की जमीन को एक्वायर किया है। अब राखीगढ़ी में टीले नंबर 6 और 7 को प्रोटेक्ट करने की तैयारी है। राखीगढ़ी साइट प्राचीन सरस्वती नदी के किनारे बसी थी। सरस्वती नदी की सहायक नदी दृष्टवती यहां से बहती थी। यहां बसे नगर का अंत भी नदी के सूख जाने के बाद हुआ था। राखीगढ़ी महोत्सव में हजारों मेहमान हेरिटेज वॉक कर सकेंगेराखीगढ़ी के ऐतिहासिक महत्व को देश–विदेश में फैलाने के मकसद से हरियाणा सरकार यह महोत्सव करा रही है। इसका उद्घाटन पर्यटन मंत्री अरविंद शर्मा करेंगे। वहीं समापन मुख्यमंत्री नायब सैनी करेंगे। वे यहां संग्रहालय में नवनिर्मित विश्राम गृह, हास्टल और कैफे भवन का उद्घाटन भी करेंगे। लोग टीला नंबर 1 और 3 पर हेरिटेज वॉक भी कर सकेंगे।

​ 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

मध्य प्रदेश न्यूज़

यह भी पढ़े