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पोटली में बांधे गए ट्रक ड्राइवर की बॉडी के टुकड़े:चश्मदीद बोला- मेरे सामने बस आग का गोला बन गई, LPG टैंकर ब्लास्ट की दर्दनाक कहानियां

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मैं और मेरे कुछ साथी बस के शीशे तोड़कर बाहर निकले। हमारे निकलते ही बस आग का गोला बन गई। धमाका हुआ और आग की लपटें आसमान छूने लगीं। मैंने 400 मीटर दौड़कर पेट्रोल पंप की दीवार कूदकर खेतों में छिपकर अपनी जान बचाई। पहला बयान LPG टैंकर ब्लास्ट का शिकार हुई स्लीपर बस में सवार नरेश मीणा और दूसरा बयान लोडिंग पिकअप में सवार गजराज का है। हादसे के दूसरे दिन (21 दिसंबर) भी भास्कर टीम जयपुर के सवाई मान सिंह (SMS) हॉस्पिटल में थी। इस दौरान कई आपबीती सामने आईं। सबसे दर्दनाक थी संजेश यादव की कहानी… संजेश यादव ट्रक ड्राइवर थे। आज उनकी बॉडी के अवशेष एक छोटी सी पोटली में बंद हैं। LPG टैंकर ब्लास्ट में संजेश इतनी बुरी तरह जले कि सिर्फ हड्‌डियां बचीं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… स्लीपर बस में सवार थे नरेश, शीशा तोड़कर निकले
उदयपुर से स्लीपर बस में बैठकर नरेश कुमार मीणा अपने साथियों के साथ जयपुर नौकरी के लिए डाक्युमेंट्स वेरिफाई कराने आए थे। नरेश ने बताया- हादसे के बाद धमाके से हमारी आंख खुली। किसी ने बताया आगे ट्रैफिक जाम है। अचानक एलपीजी की तेज गंध आने लगी। कुछ लोग बस से उतरकर देख रहे थे। इतनी देर में गैस पूरी बस में फैल गई। कुछ समझ पाते, इससे पहले तेज धमाका हुआ। हर तरफ आग ही आग थी। बस में चीख पुकार मच गई। जिसे जहां रास्ता मिला, भागने लगा। धुएं और अंधेरे के कारण कुछ नजर नहीं आ रहा था। मैं और मेरे कुछ साथी बस के शीशे तोड़कर बाहर निकले। हमारे निकलते ही बस आग का गोला बन गई। आस पास के लोगों ने हमारी मदद की और एंबुलेंस से हॉस्पिटल पहुंचाया। नरेश ने बताया कि उनके 5-6 अन्य साथी भी झुलसे हैं, जो उन्हीं के साथ वार्ड में भर्ती हैं। खुद नरेश के दोनों हाथ-पैर बुरी तरह झुलस गए। 30 घंटे बाद पोटली में हड्डियों के रूप में मिला भाई
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के रहने वाले संजेश यादव 14 दिसंबर की रात 1:15 बजे गुरुग्राम से NL 01 AG 5923 नंबर का लोडिंग ट्रक (कार ले जाने वाला) लेकर कच्छ (गुजरात) के मुंद्रा पोर्ट के लिए निकले थे। उनके साथ ट्रांसपोर्ट कंपनी के 6 ट्रक और थे। 18 दिसंबर को मुंद्रा पोर्ट पर गाड़ी खाली करके संजेश अपने साथियों के साथ गुरुग्राम (हरियाणा) के मानेसर लौट रहे थे। भांकरोटा (जयपुर) के पास उनके साथी मनोज कुमार ने उन्हें कॉल कर चाय पानी के लिए कहीं रुकने का पूछा। इस पर संजेश बोले- आगे जयपुर बाईपास पर ठहर कर इंतजार कर लेना। मैं तुम लोगों से 10 किमी पीछे ट्रैफिक में हूं। इसके बाद दोनों की कोई बात नहीं हुई। जयपुर बाई पास पर चाय की थड़ी पर एक घंटा इंतजार करने के बाद मनोज ने कॉल किया, लेकिन संजेश का फोन स्विच ऑफ आ रहा था। फिर वो आगे बढ़ गए। शाहपुरा पहुंचने पर उन्हें हादसे की जानकारी मिली। मनोज कहते हैं जिंदगी भर इस बात का दुःख रहेगा कि मैं उसकी मदद के लिए जा नहीं सका। संजेश के दो भाई और ट्रांसपोर्ट कंपनी के मैनेजर भी मॉर्च्युरी में उन्हें तलाश करते पहुंचे। आखिर में एक दुकानदार ने उन्हें हादसे के कुछ वीडियो दिखाए, जिसे देखकर उन्होंने ट्रक की पहचान की। मॉर्च्युरी में संजेश का शव हड्डियों के रूप में पोटली में बंधा हुआ रखा है। भाई इंद्रजीत ने DNA के लिए सैंपल दिया था। मैच होने के बाद परिवार को हड्डियों की पोटली के रूप में भाई का शव सौंपा गया। इंद्रजीत और अमरजीत ने बताया कि संजेश पांच भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर था। 400 मीटर दौड़े, दीवार कूदकर जान बचाई
आग में झुलसने वालों में एक गजराज सिंह तंवर भी हैं। गजराज अपनी लोडिंग पिकअप जोधपुर से लेकर जयपुर आ रहे थे। गजराज ने बताया- भांकरोटा (घटनास्थल) के पास जैसे ही मैं अपनी गाड़ी लेकर यू-टर्न वाले कट के पास पहुंचा, चारों ओर धूल का गुबार नजर आया। कुछ भी नहीं दिख रहा था। पहले लगा कोई एक्सीडेंट हो गया है। गाड़ी को रिवर्स करने की कोशिश की, लेकिन गाड़ी न आगे बढ़ी, न रिवर्स हुई। अचानक हॉर्न बजना शुरू हो गया। ऐसा महसूस हो रहा था जैसे पहिए के नीचे कांच टूट रहा हो। दूसरी गाड़ियों का भी यही हाल था। कुछ समझ पाते, इससे पहले धमाका हुआ और आग की लपटें आसमान छूने लगीं। जान बचाने के लिए मैं गाड़ी से उतरकर उल्टी दिशा में दौड़ा। 400 मीटर दौड़कर पेट्रोल पंप की दीवार कूदकर खेतों में छिपकर अपनी जान बचाई। मेरे पीछे भी बुरी तरह झुलसे 10 से 15 लोग जान बचाने के लिए चिल्लाते हुए दौड़ रहे थे। उनमें से कोई भी दीवार तक नहीं पहुंच सका। मेरी भी दोनों जांघें पीछे से बुरी तरह झुलस गई हैं। दरवाजा खोला तो बस में आग फैल गई
हादसे के एक और चश्मदीद 200 फीट बाईपास (जयपुर) निवासी दीवान सिंह उदयपुर से आ रही स्लीपर बस में थे। दीवान सिंह ने बताया- दिल्ली पब्लिक स्कूल (भांकरोटा) के पास बस बहुत धीरे-धीरे चल रही थी। मुझे लगा शायद टायर पंक्चर हो गया। थोड़ी ही देर में बस में धुआं ही धुआं हो गया। हम खिड़कियों के कांच तोड़कर बस से बाहर निकले। डबल स्लीपर होने की वजह से ऊपर स्लीपर में सो रहे लोगों को तो बहुत बाद में समझ आया कि हादसा हो गया है। लोग अफरा-तफरी में बस से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे। कई इसमें कामयाब नहीं हुए। जयपुर-अजमेर हाईवे पर हुआ था हादसा
जयपुर में एलपीजी टैंकर ब्लास्ट के हादसे में अब तक 13 मौतें हुई है। पहले प्रशासन ने मृतकों की संख्या 14 बताई थी, लेकिन 21 दिसंबर देर शाम FSL की जांच में सामने आया कि बोरी में जो 2 शव के अवशेष आए थे, वो 2 नहीं बल्कि एक ही व्यक्ति के थे। जयपुर के अजमेर रोड पर भांकरोटा (DPS स्कूल के पास) में 20 दिसंबर की सुबह हुए एक्सीडेंट में 4 लोग मौके पर ही जिंदा जल गए, जबकि 9 झुलसे लोगों की सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई। हॉस्पिटल की बर्न यूनिट में अब भी 31 लोग एडमिट हैं। इनमें करीब 20 लोग 80 फीसदी तक झुलसे हैं। हॉस्पिटल लाए गए कुछ शवों की पहचान अब तक नहीं हो सकी है। जयपुर हादसे से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए… बिना सिर-पैर की लाश किसकी?: टैंकर ब्लास्ट का अंतहीन दर्द, सरकार! बंद करो, मौत के यू-टर्न जयपुर-अजमेर मार्ग पर हुए हादसे के बाद ये दिल दहलाने देने वाले दृश्य जयपुर के लोगों ने शुक्रवार को देखे। कहते हैं- किसी के दर्द को बयां नहीं किया जा सकता। पीड़ा काे महसूस नहीं किया जा सकता। पूरी खबर पढ़िए… जयपुर LPG-टैंकर ब्लास्ट में रिटायर्ड IAS की भी मौत:2 बोरी में पहुंचे थे एक ही शव के अवशेष, इसलिए मरने वालों की संख्या 13 हुई जयपुर में एलपीजी टैंकर ब्लास्ट के हादसे में अब तक 13 मौतें हुई है। पहले प्रशासन ने मृतकों की संख्या 14 बताई थी, लेकिन शनिवार देर शाम FSL की जांच में सामने आया कि बोरी में जो 2 शव के अवशेष आए थे, वो 2 नहीं बल्कि एक ही व्यक्ति के थे। पूरी खबर पढ़िए…

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