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SSC MTS फर्जीवाड़ा केस:फ्लाईंग ऑब्जर्वर के बाद रडार पर SSC-TCS के कर्मी; पुलिस रिमांड पर 20 आरोपी, 15 से पहले हो चुकी है पूछताछ

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पूर्णिया में बीते 14 नवंबर को SSC एमटीएस की परीक्षा के दौरान एग्जाम सेंटर पर रेड कर पुलिस ने 35 लोगों को गिरफ्तार किया था। SSC एमटीएस की परीक्षा में फर्जीवाड़े से जुड़े मास्टर माइंड तक पहुंचने पुलिस ने इस केस से जुड़े 15 आरोपियों के बाद 20 अन्य आरोपियों को 48 घंटे की रिमांड पर लिया है। एसपी कार्तिकेय शर्मा खुद सभी आरोपियों से पुलिस पूछताछ कर हैं। इस मामले में पिछले 17 नवंबर की देर शाम साइबर पुलिस केस से जुड़े 15 आरोपियों को 48 घंटे की रिमांड पर लेकर पूछताछ कर चुकी है। रिमांड पर लिए गए 15 आरोपियों ने डील को लेकर किए कई खुलासे पुलिस की रिमांड के दौरान धर्मेन्द्र कुमार, तैयब अंसारी, रौशन कुमार, अभिषेक कुमार, अमित कुमार, अजमुल हक, संजीत कुमार, रजनीश कुमार और नीरज कुमार ने डील को लेकर कई अहम खुलासे किए हैं। सेंटर मैनेज कराने से लेकर परीक्षा पास कराने तक के लिए सेंटर संचालक ने पटना के एक युवक से मिलकर ओरिजनल कैंडिडेट्स से 10 लाख की डील की थी। एग्जाम में बैठने के लिए फर्जी कैंडिडेट को 80 से 1.50 लाख तक दिए जाने थे। वहीं, सेंटर के कर्मियों ने पूछताछ में बताया कि सेंटर संचालक विवेक कुमार और उसका पार्टनर रोशन कुमार, राहुल राज की SSC मध्य क्षेत्र के प्रयाग राज दफ्तर में बहाल कार्यरत इजहार आलम से नजदीकियां हैं। यही इस सेन्टर का पलाईंग ऑब्जर्वर है। इसी की साठगांठ से सेंटर पर फर्जीवाड़ा हो रहा था। 3 लाख रुपए में मिला था सेंटर, हर कैंडिडेट से 10 लाख की डील इस मामले को लेकर एसपी कार्तिकेय शर्मा ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि बीते 14 नवंबर को SSC एमटीएस की तीसरी पाली की परीक्षा के दौरान सदर थाना क्षेत्र के गुलाबबाग के हसदा रोड जीरो माइल स्थित पूर्णिया डिजिटल नाम के ऑनलाइन एग्जामिनेशन सेंटर से फर्जीवाड़े की बात सामने आई थी। इस मामले में सेंटर से 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सेंटर पर चल रहे फर्जीवाड़े के मामले में वैशाली, नालंदा और कटिहार के सेंटर संचालक, फ्लाईंग ऑब्जर्वर, 12 फर्जी कैंडिडेट, 14 ओरिजनल कैंडिडेट कैंडिडेट, 7 स्टाफ और दो दलालों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। सेंटर संचालक वैशाली के रहने वाले विवेक, कटिहार के रहने वाले रौशन और नालंदा के रहने वाले राहुल राज की SSC की ओर से बहाल सेंटर के फ्लाईंग ऑब्जर्वर इजहार आलम से सेटिंग थी। इसी की मदद से उन्हें 3 लाख रुपए में ये सेंटर मिला था। हर कैंडिडेट से 10 लाख की डील फिक्स हुई थी। सेंटर पर चल रहे इस फर्जीवाड़े का भांडा सेंटर पर बहाल को-ऑर्डिनेटर की मदद से खुला। हालांकि फर्जी दस्तावेज से जुड़े एक मामले में बाद में सेंटर को-ऑर्डिनेटर को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। SSC, MTS कर्मियों की संलिप्तता से इनकार नहीं एसपी कार्तिकेय शर्मा ने इस मामले में नया खुलासा करते हुए बताया कि SSC MTS की परीक्षा में फर्जीवाड़ा में एसएससी और टीसीएस के कुछ कर्मियों की भी संलिप्तता से इनकार नहीं किया सकता है। जल्द ही पुलिस ऐसे कर्मियों तक पहुंचेगी। फर्जीवाड़ा को लेकर एसएससी और टीसीएस के लोग भी जांच अधिकारी को मदद कर रहे हैं। जांच में जो दोषी कर्मी है, उसकी भूमिका पर गहनता से जांच की जा रही है। गुलाबबाग परीक्षा केंद्र से पकड़े अररिया के शिवपुरी गांव निवासी आदित्य कुमार अमन ने पुलिस की रिमांड के दौरान पूछताछ में बताया है कि उसने सबसे 2022 में आईओएन डिजिटल पूर्णिया में योगदान किया था। इसके बाद ऑनलाइन परीक्षा के समय उसकी ड्यूटी अलग-अलग सेंटर पर बंटने लगी। इसी क्रम में उसकी पोस्टिंग पूर्णिया डिजिटल ऑनलाइन सेंटर पर हुई। बेल्ट्रॉन की परीक्षा के समय से पूर्णिया डिजिटल का टीसीएस कंपनी के साथ एग्जाम कंडक्ट करने को लेकर एग्रीमेंट का करार हुआ। यहां उसकी मुलाकात वैशाली के विवेक से हुई। इसी ने बातचीत के दौरान परीक्षा के समय फर्जी यानी कि दूसरे के बदले परीक्षा देने वाले परीक्षार्थी का प्रवेश कराने और उसे सुरक्षित बाहर निकालने पर बात बनी। इसमें उसे 80 हजार प्रति परीक्षार्थी देना तय किया गया था। साइबर डीएसपी बोले- मामले में कई कड़ियां अभी तक अनसुलझी दैनिक भास्कर से बातचीत में साइबर डीएसपी अनुराग कुमार ने बताया कि इस मामले में कई ऐसी कड़ियां हैं जो अब तक अनसुलझी हैं। ऐसे में पूर्णिया पुलिस ने इस मामले की गुत्थी सुलझाने को लेकर फर्जीवाड़े के आरोपियों से पूछताछ को लेकर कोर्ट में अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने एक्सेप्ट कर लिया है। इस मामले में 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पहली बार में 10 और फिर 5 लोगों से पूछताछ की गई। 48 घंटे तक बारी -बारी से इनसे पूछताछ के बाद एसपी कार्तिकेय शर्मा ने खुद भी कुछ कैंडिडेट्स से पूछताछ की है। बाकी 20 लोगों को 48 घंटे के लिए रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है। सेंटर संचालक, फ्लाईंग ऑब्जर्वर, दलाल, स्टाफ, कुछ फर्जी और कुछ ओरिजिनल कैंडिडेट्स शामिल हैं। साइबर डीएसपी अनुराग कुमार ने बताया कि पुलिस फर्जीवाड़े की पूरी प्रोसेस इन सभी आरोपियों से समझेगी। क्या डील में सेंटर मैनेज से लेकर रिजल्ट तक की पूरी डील थी। इससे पहले ही सेंटर पर 4, 5, 11, 12, 13 नवंबर को SSC एमटीएस की परीक्षा तीन पालियों में हुई। इसके अलावे भी कुछ परीक्षाओं के सेंटर्स पड़े थे। क्या उन सभी परीक्षाओं में भी फर्जीवाड़ा हुआ? इसके मास्टरमाइंड में SSC से जुड़े कौन से चेहरे हैं, जिनकी मदद से ये सब कुछ चल रहा था? पुलिसिया सूत्रों की मानें तो पुलिस इन केस में पॉलिटिकल एंगेजमेंट पर भी काम कर रही है। वहीं इस पूरे प्रकरण में किसी बड़े सियासी रसूख वाले चेहरे के कनेक्शन से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

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