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ग्लोबल वार्मिंग से फसलों को बचाने पर BHU का गणितीय-मॉडल:फसलों के उत्सर्जन पर किया शोध, किसानों को होगा लाभ

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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन ने एक गणितीय मॉडल दिया है, जो बढ़ते वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के स्तर, वैश्विक तापमान, मानव जनसंख्या और फसल वृद्धि के बीच जटिल संबंधों का पता लगाता है। बीएचयू के प्रोफेसर ए.के. मिश्रा ने बताया कि हालांकि CO2 का बढ़ता स्तर प्रारम्भ में “CO2 उर्वरीकरण प्रभाव” के माध्यम से फसल की वृद्धि को बढ़ावा देता है , लेकिन जब तापमान एक निश्चित बिंदु से अधिक हो जाता है, तो अत्यधिक गर्मी के कारण पैदावार में कमी आ जाती है। अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं: • मानवजनित CO2 उत्सर्जन के लिए एक महत्वपूर्ण सीमा मौजूद है, जिसके बाद फसल की पैदावार में उल्लेखनीय कमी आती है। • विभिन्न फसल किस्में जलवायु परिवर्तन के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया प्रदर्शित करती हैं, जिससे फसल-विशिष्ट रणनीतियों की आवश्यकता पर बल मिलता है। • तापमान-सहिष्णु फसल किस्मों का विकास एक आशाजनक शमन रणनीति के रूप में उभरता है। प्रोफेसर एके मिश्रा ने बताया अध्ययन से पता चलता है कि अपेक्षाकृत छोटे तापमान में वृद्धि भी फसल की पैदावार को काफी प्रभावित कर सकती है । ग्लोबल वार्मिंग के मद्देनजर नीति निर्माताओं और कृषि रणनीतियों के लिए इस खोज के महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। उन्होंने कहा कि गणित के क्षेत्र में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बहुत से शोध हो रहे हैं। इन समीकरण एवं सूत्रों में दिया अहम योगदान प्रोफेसर एके मिश्रा ने बताया – 22 दिसंबर को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन को भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। श्रीनिवास रामानुजन ने लगभग 3900 परिणामों का संकलन किया है। इन कार्यों के अलावा उन्होंने एक और महत्वपूर्ण कार्य पाई (Pi) की अनंत श्रेणी शामिल थी को भी जीवंत किया।। उन्होंने पाई के अंकों की गणना करने के लिये ऐसे बहुत से सूत्र और समीकरणों का बनाया जो परंपरागत तरीकों से अलग थे और बेहद ही सटीक थे।

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