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जम्मू-कश्मीर में बसाए 10 हजार रोहिंग्या:6 एनजीओ जांच के घेरे में; कई साल से मानव तस्करी नेटवर्क चल रहा था

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जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या शरणार्थियों को अवैध रूप से बसाने में मदद करने के आरोप में 6 गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) जांच के घेरे में हैं। जांचकर्ता यह भी देख रहे हैं कि क्या इन एनजीओ को विदेशी फंडिंग भी मिली थी। एनजीओ पर आरोप है कि उन्होंने सैकड़ों रोहिंग्याओं को आवास के साथ आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज हासिल करने में मदद की। वैधता मिलने से इन शरणार्थियों को पहचानना और निर्वासित करना और ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया। इससे जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा पर असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है। जम्मू-कश्मीर में अभी 10 हजार से ज्यादा रोहिंग्या अवैध रूप से रह रहे हैं, जिनमें से 6 हजार जम्मू में हैं। उनकी बस्तियां जम्मू रेलवे स्टेशन, कासिम नगर, चन्नी रामा, नरवाल में फैली हैं। रोहिंग्या बस्तियों की निगरानी, उन्हें दस्तावेज देने वाले अफसरों पर नजर
एक अधिकारी ने कहा कि 200 से अधिक रोहिंग्याओं ने अवैध तरीकों से आधार और राशन कार्ड प्राप्त किए हैं। जम्मू के डिप्टी कमिश्नर ने मकान मालिकों के लिए अनिवार्य किरायेदार सत्यापन सहित सख्त उपाय लागू करना शुरू कर दिया है। बिना उचित सत्यापन के रोहिंग्याओं को संपत्ति किराए पर देने वाले मकान मालिकों के खिलाफ केस दर्ज हुए हैं। इसके अलावा उन सरकारी अधिकारियों की भी जांच हो रही हैं, जिन्होंने रोहिंग्याओं को अवैध दस्तावेज हासिल करने में मदद की हो। उधर, सुरक्षा एजेंसियों ने रोहिंग्या बस्तियों पर निगरानी कड़ी कर दी है। एजेंट ने स्थानीय युवाओं की 180 रोहिंग्या लड़कियों की शादी कराई
संदेह है कि इन शरणार्थियों को जम्मू में बसाने से पहले बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल और असम के रास्ते म्यांमार से लाया होगा। अधिकारी जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या लड़कियों की तस्करी की भी जांच कर रहे हैं। करीब 180 से ज्यादा लड़कियों ने स्थानीय निवासियों से शादी की है। अधिकारियों का दावा है कि ये शादियां रोहिंग्या परिवारों के स्थायी निवास की सुविधा के लिए की जा रही हैं। ऐसी शादियां रणनीतिक रूप से योजनाबद्ध की जाती हैं ताकि शरणार्थी सहज रूप से घुलमिल जाएं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की नजरों से बच सकें। रोहिंग्याओं के मुद्दे पर भाजपा और नेकां आमने-सामने
अधिकारियों ने रोहिंग्या बस्तियों में पानी और बिजली के कनेक्शन रोकने का फैसला किया है। हालांकि, इस कदम से सीएम उमर अब्दुल्ला और भाजपा के बीच राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुनील सेठी ने रोहिंग्याओं को तत्काल निर्वासित करने की मांग की है। उन्हें अवैध घुसपैठिए और राष्ट्र-विरोधी तत्वों का समर्थक करार दिया है। उनकी उपस्थिति क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है। दूसरी ओर, सीएम उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र से रोहिंग्याओं के भविष्य के बारे में स्पष्ट नीति बनाने का आग्रह किया है। उमर ने इस मुद्दे को ‘मानवीय विवाद’ बताते हुए उन्होंने तर्क दिया कि उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। उमर ने कहा कि उन्हें मरने नहीं दे सकते हैं। ———————– रोहिंग्या से जुड़ी ये खबर भी पढे़ं… फारूक अब्दुल्ला बोले- रोहिंग्या शरणार्थियों को पानी-बिजली देंगे, ये हमारी जिम्मेदारी, उन्हें केंद्र सरकार ने JK में बसाया​​​​​​​ जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि राज्य में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को पानी और बिजली जैसी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इन शरणार्थियों को भारत सरकार यहां लाई है। हम उन्हें यहां नहीं लाए। सरकार ने उन्हें यहां बसाया है और जब तक वे यहां हैं, ये हमारी ड्यूटी है कि उन्हें पानी और बिजली मुहैया कराएं। पढ़ें पूरी खबर…

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