भास्कर न्यूज |सहरसा स्थानीय गायत्री शक्तिपीठ में रविवार को व्यक्तित्व परिष्कार सत्र का आयोजन हुआ। सत्र को संबोधित करते हुए डॉ अरुण कुमार जायसवाल ने सफलता एवं खोखले बहाने पर प्रकाश डाला । बहाना के संबंध में उन्होंने कहा कि मुझे उचित शिक्षा लेने का अवसर नहीं मिला। सफलता के संबंध में बताया कि उचित शिक्षा का अवसर तो फोर्ड मोटर के मालिक हेनरी फोर्ड को भी नहीं मिला। बहाना-मुझे बचपन से मंदबुद्धि थी। सफलता – थॉमस अल्वा एडिशन (बल्ब का आविष्कारक) को भी बचपन में मंदबुद्धि कहा जाता था। उन्होंने कहा कि इन महानायकों की तरह ही आप में भी कोई न कोई प्रतिभा जरूर होगी। जिससे इन दिक्कतों के बावजूद ऊंचाइयों को छू सकते हैं। चुनाव करें कि सफलता चाहिए या खोखले बहाने। उन्होंने कहा कि प्रतिकूल परिस्थिति में जो निखर कर सफलता प्राप्त करे, शिखर पर पहुंचे, वही सचमुच में प्रतिभावान है, विवेक वान है, धैर्यवान हैं। इस अवसर पर विनित साहू एवं इंजीनियर निधि के द्वारा बाल संस्कारशाला के बच्चों एवं गरीब लोगों के बीच कंबल बांटा गया।