इंदौर एयरपोर्ट से महाकाल मंदिर महज 30 मिनट में पहुंचा जा सकेगा। मप्र सरकार इंदौर-उज्जैन के बीच नया फोर लेन ग्रीन फील्ड हाईवे बनाने जा रही है। यानी इस रूट पर कोई भी क्रॉसिंग नहीं होगी, न ही यू टर्न होगा। साथ ही इंदौर-उज्जैन के बीच जो मौजूदा 4 लेन हाईवे है उसे 6 लेन में बदला जा रहा है। इसके अलावा उज्जैन-जावरा के बीच ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोलल्ड हाईवे का भी निर्माण होने वाला है। इसके पूरा होते ही उज्जैन से दिल्ली या मुंबई का सफर 10 घंटे में पूरा होगा। इन तीन प्रोजेक्ट्स के अलावा डॉ. मोहन सरकार भोपाल से विदिशा और सागर से दमोह 4 लेन हाईवे भी बनाने जा रही है। इनके बनने के बाद भोपाल से कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी सीधे कनेक्ट हो जाएंगे। दरअसल, ये सारी तैयारियां 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ को लेकर की जा रही है। सिंहस्थ में इस बार 15 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। नए साल में इन पांचों मेगा प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा। सरकार की कोशिश 2027 तक इन्हें पूरा करने की है। मंडे स्टोरी में पढ़िए क्या है पांचों हाईवे का पूरा प्रोजेक्ट जानिए किस हाइवे से क्या फायदा इंदौर एयरपोर्ट से आधे घंटे में सीधे महाकाल मंदिर
इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड 4 लेन को कैबिनेट से 20 दिन पहले मंजूरी मिल चुकी है। चिंतामन गणेश मंदिर से इंदौर एयरपोर्ट तक की दूरी करीब 70 किमी है। इसे दो हिस्सों में बनाया जाएगा। इसमें उज्जैन सिंहस्थ बाइपास को टू लेन से 4 लेन किया जाएगा। 20 किलोमीटर की इस सड़क के निर्माण की लागत 701 करोड़ होगी। साथ ही उज्जैन-इंदौर के बीच 48 किमी का फोर लेन ग्रीन फील्ड रोड बनेगा। 1370 करोड़ की लागत वाली इस सड़क को प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। यह सड़क पीथमपुर के औद्योगिक क्षेत्र को भी जोड़ेगी। ये तीन फायदे.. 1.एयरपोर्ट से सीधे महाकाल मंदिर: यात्री इंदौर एयरपोर्ट से सिंहस्थ बायपास फोरलेन सड़क मार्ग से चलकर आधे घंटे में सीधे महाकाल मंदिर पहुंच सकेंगे। 2. आर्थिक विकास में मददगार: पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को जोड़ने से क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी मददगार साबित होगी। 3.स्थानीय रोजगार मिलेगा: फोरलेन के निर्माण से जुड़े गांवों में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, होटल, गोदाम और पेट्रोल पंप के लिए जमीन पहले से ही आरक्षित की जा रही है। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। काम कब शुरू होगा
मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार, अधिकारियों को इस परियोजना पर तेजी से काम करने के लिए कहा गया है, जिससे जल्द से जल्द निर्माण प्रक्रिया प्रारंभ हो सके। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक नए साल में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर धरातल पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इंदौर- उज्जैन के बीच ट्रैफिक का दबाव कम होगा इंदौर- उज्जैन सिक्स लेन का निर्माण अगले महीने शुरू हो रहा है। इसके पूरा होने के बाद दोनों शहरों के बीच का सफर महज 30 मिनट में पूरा हो जाएगा। इस हाईवे को सिक्सलेन हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल पर बनाया जा रहा है। जिसका मतलब है कि सड़क के किनारे ब्लॉक लगाए जाएंगे। मार्ग पर 2 नदी पुल, 26 छोटे पुल, 2 फ्लाई ओवर, दो रेलवे ओवरब्रिज और 6 व्हीकुलर अंडरपास का निर्माण किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट दिसंबर 2026 में पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है।यह 6 लेन रोड उज्जैन के हरिफाटक से हुए इंदौर में अरविंदो मेडिकल कॉलेज के पास सुपर कॉरिडोर से कनेक्ट होगा। ये तीन फायदे.. 1.जमीन अधिग्रहण नहीं: 45 किमी लंबे मार्ग में कहीं भी जमीन अधिग्रहण नहीं की जाएगी। दरअसल, फोरलेन में पहले से बहुत जगह खाली मौजूद है। जहां-कहीं निर्माण है, तो उन्हें हटाया जाएगा। 2. वाहनों की क्षमता बढ़ेगी: मौजूदा इंदौर-उज्जैन रोड पर 25 हजार वाहनों का आवागमन होता है। सिक्सलेन बनने के बाद ये क्षमता बढ़कर 60 हजार वाहनों की हो जाएगी। 3. रिहायशी इलाकों को फायदा: इस सड़क से गुजरने वाले रिहायशी इलाके धरमपुरी, सांवेर, पंथपिपलई, कायस्थ खेड़ी, राजोदा को फायदा मिलेगा। आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। काम कब से शुरू
इसका टेंडर हो चुका है और जनवरी से काम शुरू होगा। दिसंबर 2026 तक काम पूरा करने का टारगेट है। ये हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल पर बनाया जा रहा है। यानी प्रोजेक्ट में सरकार 60 फीसदी इक्विटी लगाती है और शेष 40 फीसदी की राशि टेंडर वाली कंपनी करेगी। ठेकेदार जैसे-जैसे काम पूरा करेगा उसे राशि का भुगतान होगा। शेष 40 फीसदी की राशि ठेकेदार को रखरखाव की अवधि के दौरान मिलेगा। 100 किमी में कोई क्रासिंग नहीं केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे का निर्माण किया जा रहा है। जिसका 247 किलोमीटर का हिस्सा मध्य प्रदेश राज्य के मंदसौर रतलाम और झाबुआ जिले से होकर गुजरता है। इस मार्ग से कनेक्टिविटी बनाने के लिए उज्जैन-जावरा के बीच 102 किमी का 6 लेन ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे का निर्माण किया जा रहा है, जिससे मप्र राजस्थान और गुजरात की आदित्य तहसील से जुड़ जाएगा। यह मध्यप्रदेश का पहला ऐसा हाईवे होगा, जहां आसपास के रास्ते सीधे हाईवे से नहीं मिलेंगे। आवारा पशुओं की एंट्री रोकने के लिए पूरे हाईवे की फेंसिंग की जाएगी। इससे दुर्घटनाओं की आशंका कम होगी। यह हाईवे जावरा के पास भूतेड़ा में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से जुड़ जाएगा। ये 3 फायदे… 1. उज्जैन से दिल्ली-मुंबई 10 घंटे में: हाईवे के जावरा के पास भूतेड़ा में जुड़ने से दिल्ली और मुंबई तक का सफर 10 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। अभी उज्जैन से मुंबई जाने में करीब 15 घंटे लगते हैं। 2.औद्योगिक और कृषि गतिविधियों को बढ़ावा: दिल्ली-मुंबई 8 लेन एक्सप्रेस-वे के चालू होते ही जावरा मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब के रूप में उभरेगा। यह उद्योग नगरी पीथमपुर से भी जुड़ेगा। 3. 6 जिलों को फायदा: हाईवे से न केवल उज्जैन और रतलाम बल्कि इंदौर, मंदसौर, नीमच, शाजापुर और देवास को भी फायदा मिलेगा। उज्जैन की महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान से कनेक्टिविटी बेहतर होगी। काम कब से शुरू
उज्जैन के प्रभावित गांवों में प्रशासन ने भू अर्जन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसे मार्च 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है। यह काम पूरा होने के बाद अप्रैल में इसका निर्माण शुरू होने की उम्मीद है। ये दो प्रोजेक्ट भी पाइपलाइन में बुंदेलखंड लॉजिस्टिक हब का फायदा सागर से दमोह के बीच 77 किमी की टू लेन सड़क को फोर लेन में बदलने का प्रोजेक्ट जल्दी ही शुरू हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट को मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति ने मंजूरी दे दी है। सड़क विकास निगम ने इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा है। इस प्रोजेक्ट पर सरकार 2100 करोड़ रुपए खर्च करेगी। खास बात यह है कि भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बुंदेलखंड में लॉजिस्टिक हब और इंडस्ट्री को विकसित करने के उद्देश्य से संभागीय मुख्यालय सागर में रिंग रोड का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। सागर-दमोह फोरलेन बनने से दमोह को भी फायदा होगा। भोपाल से कानपुर 7 घंटे में पहुंच सकेंगे मप्र सड़क विकास निगम के इस प्रोजेक्ट को भी मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति की मंजूरी मिल चुकी है। सरकार ने इस प्रोजेक्ट को मार्च 2028 से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा है। खासबात यह है कि यह सड़क बनने के बाद भोपाल-विदिशा की दूरी 20 किमी कम हो जाएगी। अभी भोपाल से वाया रायसेन जाना पड़ता है क्योंकि सड़क खराब है। ये 4 लेन भोपाल-कानपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर का हिस्सा है। एनएएचई भोपाल से विदिशा होकर सागर तक और सागर से यूपी के महोबा के करवई से कानपुर तक 11300 करोड़ की लागत से इस इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण कर रहा है। इसके निर्माण के बाद भोपाल से कानपुर की दूरी 7 घंटे में पूरी होगी। इसके अलावा भोपाल से लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी की कनेक्टिविटी अच्छी हो जाएगी। एक्सपर्ट बोले- प्रोजेक्ट आर्थिक फायदे के साथ राजनीतिक रूप से अहम
जानकारों के मुताबिक इन मेगा प्रोजेक्ट्स के आर्थिक और राजनीतिक फायदे भी है। उज्जैन में 2028 में सिंहस्थ होना है। ऐसे में सारे प्रोजेक्ट की डेडलाइन 2027 के आखिर तक रखी गई है। सिंहस्थ 2004 की तुलना में सिंहस्थ 2016 में उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तीन गुना की बढ़ोतरी हुई थी। इस बार सिंहस्थ 2028 में 15 करोड़ श्रद्धालुओं के उज्जैन आने की संभावना है। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इन हाईवे के दोनों तरफ इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक्स पार्क डेवलप होंगे। दूसरे राज्यों से प्रदेश की कनेक्टिविटी बढ़ेगी। इससे करीब 2 लाख करोड़ रु. के निवेश का रास्ता खुलेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। जानकारों के मुताबिक ये प्रोजेक्ट राजनीतिक रूप से भी बीजेपी के लिए अहम है। बीजेपी एक चुनाव के बाद अगले चुनाव की तैयारी शुरू कर देती है। पिछले चुनाव में बीजेपी के संकल्प पत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर था। अब इसे जमीन पर उतारने का काम सरकार ने शुरू कर दिया है। इससे साफ है कि भाजपा अगला विधानसभा इन सभी हाईवे के निर्माण के बाद विकास के मुद्दे पर लड़ेगी।