बेंगलुरु, पुणे, मुंबई या विदेश में बस चुके बेटा-बेटी, बहू साथ नहीं रखना चाहती, पति या पत्नी में किसी एक की मृत्यु, बच्चों के पास विदेश में नहीं जाना चाहते…. ऐसे कारण बताकर बुजुर्ग आईडीए के स्कीम-134 में बने सीनियर सिटीजन कॉम्प्लेक्स में रहना चाहते हैं। यहां अभी 32 फ्लैट बने हैं, डिमांड 40 की आ चुकी है। आईडीए की मंशा थी कि अकेले रहने वाले बुजुर्गों को सहारा व सुरक्षा मिल सके। यहां उन्हें सिर्फ रहने आना है, डॉक्टर, केयर टेकर, मनोरंजन, मंदिर, भोजन, लाइब्रेरी, गार्डन, सीसीटीवी सहित हर वो सुविधा जो घर में होती है, वह मुहैया कराई जाएगी। इसे जनवरी से शुरू किया जाएगा। इसके संचालन के लिए एजेंसी तलाशी जा रही है। वही इसका मासिक किराया भी तय करेगी। 1. अपने ही घर में डर लगता है…
रिटायर्ड शिक्षिका के पति का निधन हो चुका है। बहू-बेटे पुणे में रहते हैं। वे अब अच्छा व्यवहार नहीं करते। 74 साल की हैं। रात में स्वास्थ संबंधी परेशानी हो तो किसे बुलाएं। उन्हें घर में अकेले डर लगता है।
2. बेटा विदेश में, भागदौड़ नहीं होती
एयरपोर्ट रोड रहने वाले बुजुर्ग दंपती ने बताया, रोज के जरूरी कामकाज के लिए भागदौड़ नहीं होती। बेटा विदेश में है।
3. बहू साथ में नहीं रखना चाहती
केसरबाग रोड पर रहने वाले बुजुर्ग ने बताया, पत्नी की मृत्यु हो चुकी है। बहू-बेटे मुंबई में रहते हैं। बहू साथ नहीं रखना चाहती। बिल्डिंग में लिफ्ट सहित कॉमन डाइनिंग रूम, क्लब सहित तमाम तरह की सुविधाएं हैं। नीचे एटीएम ही नहीं, बैंक भी खोल रहे हैं। डॉक्टर के साथ अब एक अस्पताल से भी अनुबंध कर रहे हैं, ताकि बुजुर्गों को प्राथमिकता से इलाज मिल सके। एम्बुलेंस के लिए भी कोशिश जारी हैं। – रामप्रकाश अहिरवार, सीईओ, आईडीए