आगरा में रविवार रात गुरुद्वारा गुरु का ताल में गुरु गोविंद सिंह के चार साहिबजादों, माता गुजर कौर और शहीद सिखों की शहादत को याद किया गया। गुरुद्वारे में विशेष शहीदी समागम का आयोजन किया गया । रागी जत्थों व धर्म प्रचारकों ने कीर्तन व विचारों के माध्यम से संगत को साहिबजादों की शहादत का भावपूर्ण वर्णन किया। गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह जी ने बताया कि जिस समय मुगलिया हुकूमत हिंदुस्तान की जनता पर जुल्म कर रही थी। तब सिख गुरुओं व उनके परिवारों ने अपनी जान देकर धर्म की रक्षा की । पहले गुरु तेग बहादुर साहिब ने शहादत दी। फिर गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह ने मुगलिया हुकूमत के अत्याचार के विरुद्ध अपनी शहादत दी। उन्होंने बताया कि चमकौर की गढ़ी में गुरु गोविंद सिंह के बडे़ साहिबजादे बाबा अजीत सिंह व बाबा जुझार सिंह ने जंग लड़ी। दोनों साहिबजादों के साथ 40 सिख थे। दूसरी तरफ विशाल मुगल फौज थी। इसके बाद भी सिख वीरों ने बहादुरी से युद्द लड़ा। मुगल सेना के दांत खट्टे कर दिए। सवा लाख से एक लड़ाऊं के वचन को सच साबित कर दिखाया। इस जंग में दोनों साहिबजादों की शहादत हुई । छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया। गुरु गोविंद सिंह की माता गुजर कौर ने ठंडे बुर्ज में शहादत दी। रागी जत्थों ने किया संगत को निहाल शहीदी समागम में भूपेंद्र सिंह फिरोजपुरी ने साहिबजादों की शहादत से जुड़े मित्र प्यारे नू , हाल मुरीदा दा कहना , सूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत शबद सुनाकर पूरी संगत में जोश से भर दिया। गुरमत विचार रखते हुए ज्ञानी केवल सिंह ने चमकौर की गड़ी में हुए युद्ध के वृत्तांत विस्तार से सुनाया । उन्होंने बताया कि गुरु गोविंद सिंह ने ही अपने दोनों साहिबजादों को युद्ध के लिए भेजा था। शहीदी समागम के दौरान गुरुद्वारा गुरु का ताल में संचालित गुरमत विद्यालय के बच्चों ने काव्य पाठ प्रस्तुत कर साहिबजादों की शहादत से जुड़ी कविताएं सुनाई । गुरुद्वारा गुरु का ताल के हजूरी रागी भाई हरजीत सिंह ने भी कीर्तन किया। मीडिया प्रभारी जसबीर सिंह ने बताया कि साहिबजादों व माता गुजर कौर की शहादत के दिनों को शहीदी सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान सिख परिवारों व गुरुद्वारों में मिठाई नहीं बनाई जाती है। शुभ कार्यों से परहेज किया जाता है। शहीदी समागम के अंत में आनंद साहिब का पाठ हुआ। अरदास व हुकुमनामा में के साथ समागम की समाप्ति हुई । कार्यक्रम में ये रहे मौजूद इस मौके पर महंत हरपाल सिंह, जत्थेदार राजेंद्र सिंह,बाबा अमरीक सिंह ,ग्रंथि अजायब सिंह टीटू, हरबंस सिंह ,सुशील सिंह, हरनाम सिंह ,वीर सिंह आदि मौजूद रहे।