अयोध्या के चहुमुखी विकास का मॉडल हवा हवाई साबित हो रहा है, क्योंकि ब्लॉकों में कर्मचारियों की भारी कमी है। जिले में 11 विकास खंड (ब्लॉक) है, इसमें केवल तीन लेखाकार हैं। सहायक लेखाकार एक भी नहीं है। इनका काम सरकारी धनराशि के आय व्यय पर नजर रखना है, जिसे कोई वित्तीय अनियमितता ना हो सके। सरकारी धनराशि के व्यय में गाइडलाइन का अनुपालन हो। यह अलग तथ्य है कि ग्राम पंचायत का विकास पंचायत सचिव व ग्राम प्रधान के जिम्मे होता है। पर सच यह भी है विकास कार्यों के धनराशि की निगरानी लेखाकार व सहायक लेखाकार ही करते हैं। इस दृष्टि से यह बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसी मकसद से प्रत्येक ब्लाक में दो-दो लेखाकार एवं एक-एक सहायक लेखाकार शासन से अनुमन्य हैं। प्रति ब्लाक दो लेखाकार के अनुमन्य पदों के सापेक्ष जिले में मात्र तीन लेखाकार हैं। इसमें जिला विकास अधिकारी कार्यालय के लेखाकार शामिल नहीं हैं। उनको लेकर चार हो जाएंगे। इस तरह जिले के 11 ब्लाकों में 22 लेखाकार व 11 सहायक लेखाकार होने चाहिए। अगर इनमें जिला विकास अधिकारी कार्यालय के दो लेखाकार व एक सहायक को जोड़ लिया जाए तो जिले में 24 लेखाकार व 12 सहायक लेखाकार होने चाहिए। जिला विकास अधिकारी कार्यालय को लेकर जो चार लेखाकार हैं उनके नाम सयैद मो. मेंहदी, अतहर सिद्दीकी, इंद्रबहादुर सिंह व कृष्णकुमार कनौजिया हैं। कनौजिया जिला विकास अधिकारी कार्यालय में हैं तो तारुन ब्लाक में तैनात अतहर सिद्दीकी को गंभीर बीमारी से पीड़ित होने से उनको अतिरिक्त प्रभार नहीं दिया गया। इनमें बचे मो. मेंहदी की तैनाती मसौधा ब्लाक में है। सोहावल का अतिरिक्त प्रभार है। इंद्रबहादुर सिंह की तैनाती मिल्कीपुर ब्लाक में है। उनके पास अमानीगंज का अतिरिक्त प्रभार है। इसी के साथ जिले में मनरेगा की जिम्मेदारी भी उनके पास है। अतिरिक्त प्रभार लेकर पांच ब्लाकों में ही आय-व्यय की निगरानी लेखाकार के जिम्मे है। जिला विकास अधिकारी महेंद्र देव पांडेय के अनुसार यह अयोध्या नहीं, पूरे प्रदेश की समस्या है। शासन के आदेश पर संबंधित ब्लाक जिनमें लेखाकार नहीं है, उनके वरिष्ठ सहायक को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। शासकीय धनराशि की देखरेख की जिम्मेदारी उन्हीं की है। बताया, अतिरिक्त प्रभार से जुड़ी सारी औपचारिकताएं पूर्ण करा दी गई हैं। डिजिटलाइजेशन होने से मैनुअल की तरह नकदी का लेनदेन न होने से वित्तीय अनियमितता का खतरा नहीं है। देर सबेर पकड़े जाने के डर से गड़बड़ी करने से वे बचते हैं।