शेखपुरा में अखिल भारतीय किसान महासभा ने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले माले और सीपीएम कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की। शहर के पटेल चौक से कलेक्ट्रेट तक प्रतिरोध मार्च निकला। साथ ही सरकार की इस नई नीति की कलेक्ट्रेट के समक्ष प्रतियां जलाई। इस मौके पर किसान महासभा के जिला सचिव और माले नेता कमलेश कुमार मानव ने मोदी सरकार की ओर से हाल में लाई गयी नई कृषि बाजार व विपणन नीति 2024 को चोर दरवाजे से तीन कृषि कानूनों की वापसी बतातया। उसे तत्काल वापस लेने की मांग की है। किसान महासभा ने कहा कि इस नीति के लागू होने से देश की कृषि मंडियां तबाह हो जाएगी और कृषि बाजार पर क्रूर लुटेरी कारपोरेट कंपनी पर कब्जा हो जाऐगा। इस नीति के जरिये मोदी सरकार धीरे-धीरे देश की खेती, अन्न के भण्डारण, विपणन सहित खुदरा बाजार को भी कारपोरेट कम्पनियों के लिए खोलने का रास्ता बना रही है। किसान महासभा ने देश के विभिन्न राज्यों में विपक्ष की सत्तासीन सभी सरकारों से केंद्र की ओर से भेजे गए इस नीति के प्रस्ताव को विधान सभा सत्र बुलाकर रद्द करने और अपने राज्यों में लागू न करने की अपील की है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के खत्म होने की संभावना मोदी सरकार की इस नई नीति में शामिल प्रमुख सुधारों में निजी थोक बाजारों की स्थापना की जाएगी, कॉर्पोरेट प्रोसेसर और निर्यातकों सीधे खेत पर जाकर फसलों की खरीद कर सकेंगे। एफसीआई के गोदामों की जगह कॉरपोरेट नियंत्रित गोदामों और साइलो को बढ़ावा दिया जाएगा। एक एकीकृत राज्यव्यापी बाजार शुल्क और व्यापार लाइसेंस प्रणाली शुरू की जाएगी। इस नीति के लागू होने से पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे। यही नहीं यह नीति अंततः सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी खत्म करने की तरफ बढ़ेगी, जिससे देश के करोड़ों गरीबों के सामने खाद्य संकट खड़ा हो जाऐगा।