लखनऊ में नगर निगम के जलकल कर्मचारियों ने सोमवार को मौन रखकर विरोध किया। कर्मचारियों का कहना है कि कई बार शिकायत और ज्ञापन देने के बाद भी अधिकारी समस्या का संज्ञान नहीं ले रहे हैं। इसलिए अब विरोध दर्ज करा रहे। इसके पहले एक सप्ताह तक काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया जा गया था। जलकल कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मांग को सुना नहीं जा रहा है। नगर निगम नियमित और आउटसोर्सिंग कर्मचारी संघ की तरफ से यह विरोध किया जा रहा। संघ के अध्यक्ष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि प्रशासन कर्मचारियों की समस्याओं पर मौन है। इसलिए अब कर्मचारी भी मौन हो गए हैं। मौन प्रदर्शन एक सप्ताह तक चलेगा। 550 कर्मचारियों के पीएफ पैसे की जांच कराने की मांग नितिन त्रिवेदी का कहना है कि जलकल विभाग में समूह ‘घ’ और समूह ‘ग’ के पदों पर प्रमोशन नहीं हो रहा। आउट सोर्सिंग कर्मियों के पीएफ और ईएसआईसी की कटौती के बावजूद भी उसकी पेमेंट संबंधित खातों में नहीं की जा रही। जबकि संबंधित फर्म का टेंडर तीन महीने में खत्म हो जाएगा। 850 कर्मचारी दस महीने से काम कर रहे, लेकिन पीएफ नहीं जमा हो रहा। विरोध करने पर सितंबर से 300 कर्मचारियों का पीएफ कटने लगा, लेकिन वह भी एक समान नहीं कट रहा है। मामले में विधायक उमेश द्विवेदी ने भी जांच करने के निर्देश दिए हैं। मैनुअल काम होने पर नाराजगी कर्मचारियों ने कहा कि जलकल का काम ऑनलाइन होने के बावजूद अभी तक इसके कई बिल और टेंडर की रसीद मैनुअल स्तर पर ही जारी की जा रही है। नियमित कर्मचारियों को अभी तक एनपीएस का लाभ नहीं मिल रहा है। मुख्य स्टोर अभी तक ऑफलाइन व्यवस्था में ही संचालित हो रहा है। ई ऑफिस के तहत काम कराने की मांग जलकल कर्मचारियों का कहना है कि नगर निगम लखनऊ की तरह ई-ऑफिस व्यवस्था के तहत यहां पर भी काम कराया जाना चाहिए। लखनऊ के सभी सरकारी बिल्डिंगों की गणना और बिलिंग के नोडल अधिकारी किसको नामित किया गया है। इसकी जानकारी दी जाए। वहीं आरोप है कि जोन-4 जलकल विभाग, गोमती नगर में फाइलों के रखरखाव को लेकर भी सवाल उठाया गया है। इसमें कुछ फाइलें गायब होने और उपभोक्ता की गोपनियता खत्म होने का अंदेशा जताया गया है।