कैमूर के भभुआ शहर के एकता चौक पर किसान मोर्चा के तत्वाधान में दर्जनों किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नए कृषि कानून का विरोध किया। इस दौरान उन्होंने कानून की प्रतियां जलाकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों का कहना है कि सरकार उन पर जबरदस्ती अपनी नीतियां थोप रही है, जो कि अस्वीकार्य है। किसान मोर्चा का विरोध और आरोप किसान मोर्चा के नेता बब्बन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले तीन कृषि कानून लाए थे, जिनका व्यापक विरोध हुआ। चुनावी दबाव के कारण सरकार ने उन कानूनों को वापस ले लिया, लेकिन अब उन्हें चोर दरवाजे से लागू करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि “सरकार यह तय करने का प्रयास कर रही है कि किसान कौन सी फसल उगाएंगे, जो सरासर गलत है। किसान अपने खेत में क्या उपजाना चाहते हैं, यह उनका अधिकार है।” स्थानीय किसानों की समस्याएं और विरोध कमला सिंह, एक स्थानीय किसान, ने बताया कि कैमूर के किसान अपने खेतों में धान, गेहूं, दलहन, और तिलहन की फसलें उगाते हैं। लेकिन सरकार की नई कृषि नीति से किसानों को सीमित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “पहले हम अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे, अब हमें अपने ही देश के चोरों के खिलाफ लड़ना पड़ रहा है। यह नीति किसानों के हितों के खिलाफ है, और हम इसे किसी भी सूरत में लागू नहीं होने देंगे।” प्रदर्शन का स्वरूप किसानों ने शहर में पैदल मार्च किया और प्रदर्शन के अंत में नए कृषि कानून की प्रतियां जलाकर अपना विरोध प्रकट किया। किसानों का संदेश किसानों ने कहा कि वे इस प्रकार के नीतिगत बदलावों का हर स्तर पर विरोध करेंगे। उनका मानना है कि सरकार को ऐसी नीतियां नहीं बनानी चाहिए, जो उनकी आर्थिक स्वतंत्रता और कृषि अधिकारों को सीमित करें। आगामी रणनीति प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना, तो वे अपने विरोध को और अधिक व्यापक स्तर पर ले जाएंगे।