8 साल का करियर…60 से ज्यादा एनकाउंटर। ये पहचान है यूपी पुलिस महकमे के बेधड़क IPS दीपक भूकर की। दीपक ओलिंपिक पदक विजेता मनु भाकर के गांव से आते हैं। 2016 बैच के IPS अधिकारी दीपक भूकर अभी उन्नाव जिले के SP हैं। इससे पहले प्रयागराज में DCP, हापुड़ के SP और कानपुर नगर में SP साउथ रह चुके हैं। वह मुरादाबाद में भी तैनात रहे। प्रयागराज में तैनाती के समय दीपक भूकर का माफिया अतीक अहमद पर लिया गया एक्शन सबसे ज्यादा चर्चित रहा। उन्होंने एक के बाद एक माफिया अतीक की बेनामी संपत्ति जब्त करवाई। वहीं, उमेश पाल हत्याकांड के दो शूटरों को ढेर कर दिया। IPS बनने से पहले दीपक भूकर क्या थे? उनका बचपन बीता? कैसे उन्होंने खाकी वर्दी तक का सफर तय किया? दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज IPS दीपक भूकर की कहानी 6 चैप्टर में पढ़ेंगे… हरियाणा के झज्जर जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर गौरिया गांव पड़ता है। 1986 में यहां आज जैसी सुविधाएं नहीं थीं। गांव को कम लोग ही जानते थे। यहीं मेरा घर है। ऐसा बताते हुए दीपक भूकर अपने बचपन में खो जाते हैं। दीपक भूकर ने बताया- मेरी डेट ऑफ बर्थ 28 जुलाई,1986 है। पापा नरेंद्र पाल सिंह ने 17 साल इंडियन आर्मी में रहे। फिर इंटर कॉलेज में प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभाली। मेरी मम्मी आशा देवी हाउस वाइफ रहीं। उन्होंने हमेशा मुझे अच्छे-बुरे के बारे में बताया। मेरी शुरुआती पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से पूरी हुई। गांव के सभी बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते थे। हम सभी स्कूल से लौटते समय बहुत मस्ती करते थे। खेतों में घूमते थे। उन दिनों की बात ही अलग है। कई बार तो घर पहुंचने में लेट हो जाता था, तब मम्मी बहुत डांटती थीं। दीपक बताते हैं- सभी बच्चों की तरह मेरा भी ड्रीम था, जब लोग पूछते कि बड़े होकर क्या बनना है, मैं बोल पड़ता- डॉक्टर। गांव के सर्वोदय सीनियर सेकेंड्री स्कूल से 2002 में मैंने फर्स्ट डिवीजन के साथ हाईस्कूल पास किया। जब रिजल्ट आया तो पापा-मम्मी सभी लोग बहुत खुश हुए। इसके बाद गांव के कुछ दूर स्थित खानपुर खुर्द के एक इंटर कॉलेज से पढ़ाई की। 2004 में मैंने इंटर पास किया। अब बचपन से ही डॉक्टर बनने की बात सभी से कहता था, तो पापा भी वही जानते थे। उन्होंने मुझसे कहा- अगर डॉक्टर बनना है, तो पढ़ने के लिए बाहर जाना होगा। फिर क्या था- आगे की पढ़ाई के लिए मुझे दिल्ली भेज दिया गया। दीपक बताते हैं- मेरा दिल्ली के हंसराज कॉलेज में BSC (बॉटनी) में एडमिशन हुआ। दिल्ली में बड़े-बड़े अफसरों की गाड़ियां देखता। अपने साथियों के बीच में चर्चा सुनता, बस यहीं से मन में अधिकारी बनने की बात घर कर गई। हमारे कॉलेज से भी कई अफसर निकले। प्रशांत कुमार साहब भी वहीं से पढ़े हैं, जो हमारे विभाग के डीजीपी हैं। दीपक कहते हैं- यह संयोग है कि जिस जुबली हॉस्टल से पढ़कर डीजीपी सर निकले थे, उसी हॉस्टल में रहकर मैंने भी अपनी पढ़ाई पूरी की। दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैंने MSC की पढ़ाई की। इसी बीच मैंने SSC की तैयारी करनी शुरू कर दी थी। 2011 में मैंने पहली बार SSC का एग्जाम दिया। इसमें पास हो गया। इसके बाद मैं सेंट्रल एक्साइज में इंस्पेक्टर बन गया। दीपक भूकर बताते हैं- इंस्पेक्टर के पद पर चयन के बाद मैं बहुत खुश था। मेरी तैनाती चंडीगढ़ में थी। इसके बाद दिल्ली में रहा। इस सफलता के बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़ा। मैंने अगला टारगेट UPSC सेट किया। तीन साल तक मैं बतौर एक्साइज इंस्पेक्टर काम करता रहा। लगातार प्रयास से UPSC में मुझे सफलता मिली, लेकिन SDM बना। पहले दिल्ली के पंजाबी बाग में सब जिला मजिस्ट्रेट के तौर पर नौकरी की। इसके बाद 8 महीने तक लक्षद्वीप में रहा। इन सबके बीच मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। पांचवें प्रयास में UPSC में सफलता मिली। मुझे 2016 बैच और यूपी कैडर मिला। आईपीएस अधिकारी बनने के बाद जब मैं अपने गांव पहुंचा, गांव वालों की खुशी देख मेरी आंखों में आंसू आ गए। दीपक बताते हैं- ट्रेनिंग के बाद 2018 में मेरी पोस्टिंग बतौर ASP मुरादाबाद में हुई। वहां हाजी कुरैशी के स्लाटर हाउस में अवैध तरह से भैंस का कटान किया जाता था। इसे लेकर नगर निगम ने भी कई बार पुलिस को सूचना दी थी। मैंने इस मामले को गंभीरता से लिया। खुद पुलिस टीम के साथ छापेमारी की। सामने आया कि अवैध रूप से भैंसों का कटान किया जा रहा है। पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए गैंग के 75 लाेगाें को अरेस्ट किया। मौके से 10 लाख रुपए बरामद किए गए। पूछताछ में पता चला कि अवैध तरह से पशुओं को कटान के लिए मुरादाबाद और आसपास के जिलों से पशुओं को खरीदा-बेचा जाता था। स्लॉटर हाउस पर कार्रवाई में यहां भारी संख्या में पशुओं को मुक्त कराया गया। गैंग के मुख्य लोगों पर पुलिस ने गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर चार्जशीट फाइल की। इस कार्रवाई का असर यह हुआ कि दूसरे जिलों से आने वाले पशुओं पर रोक लगी। दीपक भूकर कहते हैं- उन दिनों मुरादाबाद में कॉलेजों के बाहर छेड़छाड़ की घटनाओं की सूचना मिल रही थी। इसके लिए मैंने खुद सादे कपड़े पहने। पब्लिक के बीच आम आदमी की तरह जाने लगा। एक्शन लेना शुरू किया तो लोगों से कनेक्टिविटी भी बढ़ी। नागफनी क्षेत्र की एक छात्रा ने पुलिस को बताया कि एक लड़का हर रोज बुलेट बाइक से आता है। मेरा पीछा करता है। करीब एक महीने से वो ऐसा कर रहा है। छात्रा की बात सुनने के बाद हमने उसे प्रॉमिस करते हुए कहा- आप बिल्कुल ना डरो, बस घर जैसे रोज आते-जाते हो। वैसे ही नॉर्मल आना-जाना। छात्रा ने ऐसा ही किया। वह जैसे ही कॉलेज से अपने घर जाने के लिए निकली। लड़का स्टाइल मारते हुए वहां पहुंच गया। उसका पीछा करने लगा। हमने उसे मौके पर ही पकड़ा। उसकी पूरी रंगबाजी उतार दी। दीपक बताते हैं- अक्टूबर 2020, मैं कानपुर में एसपी साउथ था। यहां लड़कों में सट्टेबाजी का शौक चढ़ा हुआ था। यहां कई जगहों पर सट्टा बाजार चल रहा था। पहले तो हमें छोटी सूचनाएं मिलती रहीं। लेकिन फिर पता चला- सट्टेबाजी का यह व्यापार करोड़ों में है। हमने मुखबिर सेट किए। पता चला- सोनू सरदार इंटरनेशल सट्टा माफिया है। वह दूसरे राज्यों में बैठकर करोड़ों रुपए का सट्टा क्रिकेट मैच, IPL में करता है। यह सट्टा माफिया सिर्फ वॉट्सऐप से ही गैंग ऑपरेट करता था, जिससे पुलिस लोकेशन ट्रेस न कर सके। पता चला कि सोनू सरदार जयपुर के होटल में ठहरा है, पहले पुलिस को इसकी लोकेशन नहीं मिली। बाद में पुलिस ने मुखबिर और सर्विलांस का सहारा लिया। हमने सीसीटीवी फुटेज जुटाई। इसके बाद सोनू सरदार को जयपुर से अरेस्ट कर कानपुर लाया गया। इंटरनेशनल सट्टा माफिया को अरेस्ट किया तो 2 करोड़ 15 लाख रुपए कैश बरामद हुआ। यह उस समय की किसी सट्टा माफिया से सबसे बड़ी बरामदगी थी। पूछताछ में पता चला कि सोनू सरदार के तार दिल्ली, जयपुर और बड़े-बड़े शहरों से जुड़े हैं। जहां इस गैंग की रीढ़ तोड़ते हुए 50 से ज्यादा लोगों को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। इस पूरे गैंग से पुलिस ने 10 करोड़ रुपए कैश बरामद किया। अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए, साथ ही पर्याप्त सबूत जुटाए। सोनू सरदार ने सट्टे से अवैध तरह से करोड़ों रुपए की संपत्ति खरीदी। उसकी अरेस्टिंग कर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की। दीपक कहते हैं- कानपुर में ड्रग्स की तस्करी गैंग पर पुलिस ने बड़ा काम किया। वहां छत्तीसगढ़ और दूसरे स्थानों से ऑन डिमांड ड्रग्स मंगाई जाती थी। इसे स्कूल-कॉलेजों के छात्रों को भी सप्लाई किया जाता था। इस गैंग के 45 तस्करों को अभियान चलाकर जेल भेजा गया। कानपुर में एडिशनल DCP क्राइम के पद पर जिम्मेदारी मिली। जहां 40 करोड़ रुपए की नकली दवाइयों का पर्दाफाश करते हुए पूरे गैंग को पकड़ा। यह गैंग लखनऊ, मेरठ, अलीगढ़, बागपत और प्रदेश के अलग-अलग जिलों में नकली दवाइयों को मार्केट में खपा रहे थे। इस गैंग की पूरी कमर तोड़ते हुए 20 से ज्यादा लोगों को अलग-अलग जगहों से अरेस्ट किया गया। दीपक भूकर ने बताया- SP हापुड़ में कई बड़े गैंग की रीढ़ तोड़ी, एक लाख के इनामी मोइनुद्दीन को मुठभेड़ में अरेस्ट किया। इसके बाद प्रयागराज में डीसीपी की जिम्मेदारी मिली। फरवरी 2023 में पुलिस कस्टडी में उमेश पाल की हत्या कर दी गई। यह मर्डर माफिया अतीक और अशरफ ने कराया। पुलिस जांच में पता चला कि उमेश पाल को पहली गोली विजय चौधरी उर्फ उस्मान ने मारी थी। इसी शूटर की गोली से उमेश पाल की सुरक्षा में तैनात गनर गिर पड़ा था। इसके बाद 50- 50 हजार रुपए के इनामी अरबाज और विजय चौधरी उर्फ उस्मान भी पुलिस मुठभेड़ में ढेर हुए। इनकी फायरिंग में 2 सिपाही भी घायल हुए थे। उमेश पाल हत्याकांड में यूपी पुलिस के 2 गनर भी शहीद हुए थे। अतीक अहमद की प्रयागराज में बेनामी संपत्ति की जांच शुरू की। इसमें पुलिस ने मुखबिर लगाए। पहले अतीक के नाम पर कोई भी बोलने की हिम्मत नहीं करता था, लेकिन जब पुलिस ने कार्रवाई शुरू की तो जमीनों पर अवैध कब्जे और बेनामी संपत्ति का रिकॉर्ड मिलने लगा। एक महीने की जांच के बाद पुलिस झोपड़ी में रहने वाले हुबलाल तक पहुंची। इस व्यक्ति को तलाशा गया तो बहुत ही गरीब निकला। लेकिन इसके नाम पर 40 करोड़ रुपए की संपत्ति खरीदी गई थी। इन्हें खुद भी नहीं पता था कि मेरे नाम पर इतनी संपत्ति है। इनसे पूछा गया कि आपके नाम पर बहुत पैसा है। जवाब मिला- दो वक्त की रोटी का गुजारा भी नहीं होता। कच्ची झोपड़ी में जिंदगी गुजार रहा हूं। पूछताछ में बताया- बस कुछ लोग कागज लाए थे और मेरा अंगूठा लगवा लिया था। मुझसे कह रहे थे कि तुम्हारा पक्का घर मिल जाएगा। इसी तरह नैनी में श्याम जी के नाम पर 10 करोड़ रुपए की संपत्ति मिली, यह भी अतीक की बैनामा कराई हुई थी। उसने बताया कि मुझसे तो कागजों पर साइन करा लिए गए थे। दीपक भूकर बताते हैं- मैंने अतीक गैंग की 180 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कराई। इसमें 50 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति भी शामिल रही। 10 माह में यह ऐसी कार्रवाई थी, जहां अतीक और इसके गैंग की इस अवैध संपत्ति को सरकारी घोषित कर दिया गया। दीपक भूकर इस समय उन्नाव जिले के SP हैं। सितंबर, 2024 में सुल्तानपुर में हुई डकैती के बाद अन्य जिलों में भी अलर्ट था। पुलिस को सूचना मिली कि डकैती कांड में शामिल बदमाश उन्नाव और दूसरे जिलों में छिपे हुए हैं। 23 सितंबर तड़के की बात हैं, पुलिस को सूचना मिली कि एक संदिग्ध अचलगंज थाना क्षेत्र में कलुआगढ़ा रोड पर जा रहा था। पुलिस ने जब इसे रोकने का प्रयास किया तो उसने पुलिस पर फायरिंग कर दी। इसके बाद पुलिस टीम और दूसरे थानों से भी इस बदमाश की घेराबंदी कराई गई। यूपी एसटीएफ भी इसका पीछा कर रही थी। एसटीएफ से मुठभेड़ में बदमाश मारा गया। उसकी पहचान एक लाख रुपए के इनामी अनुज के रूप में हुई। पता चला कि अनुज सुल्तानपुर डकैती की घटना में शामिल रहा था। उसके अन्य साथियों को भी सुल्तानपुर पुलिस और एसटीएफ ने अरेस्ट किया। एक सप्ताह पहले उन्नाव में हुई 40 साल की महिला का हत्या का चर्चित केस सॉल्व किया। इसमें महिला के देवर को पुलिस ने अरेस्ट किया। दीपक भूकर ने बताया- आसीवन थाना क्षेत्र में महिला की हत्या कर उसका शव जलाने का प्रयास हुआ। जहां पुलिस ने पहुंचकर महिला का शव कब्जे में लिया और पोस्टमॉर्टम कराया। महिला के नाबालिग बेटे ने ही पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस की टीम इस केस में लग गई। जांच में आया कि महिला के साथ देवर ने पहले भी रेप किया था, जिसमें पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट कर जेल भेजा था। इसी विवाद के चलते 27 साल के युवक ने अपनी भाभी की हत्या कर उसका शव जलाने का प्रयास किया। पकड़े गए इस आरोपी ने पुलिस पर भी गोली चलाई, जिसे एनकांउटर में गोली मारकर अरेस्ट किया गया। गांव से निकले पहले IPS दीपक भूकर बताते हैं- हमारे गांव गोरिया की पहचान इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी है। मनु भाकर ने गांव से निकलकर ओलंपिक में पदक हासिल किया। गांव में छोटे-छोटे बच्चे भी यहां खेलते मिलेंगे। जहां बच्चों में अलग ही हुनर देखने को मिलता है। मैं भी पढ़ाई के समय कॉलेज की हॉकी टीम की जिम्मेदारी संभाल चुका हूं। जहां जिला स्तर और दूसरे स्थानों पर खेलों में पदक जीते। गांव से निकलने वाला मैं पहला IPS हूं, इससे पहले गांव से रामवीर सिंह भी IAS बन चुके हैं। अपनी शादी के बारे में बात करते हुए दीपक भूकर कहते हैं कि 2019 में परिवार की मर्जी से IRS अधिकारी अदिति मोर के साथ मेरी मैरिज हुई। अचीवमेंट्स ………………………………………….. 17 बदमाशों को ढेर करने वाले IPS संतोष सिंह: पहले डिप्टी कलेक्टर, फिर पहनी वर्दी, निशाने पर रही मुख्तार-मुन्ना बजरंगी गैंग पूर्वांचल अपराध का अड्डा बन चुका था। डॉक्टर-व्यापारी सुरक्षित नहीं थे। खुलेआम पुलिस को चुनौती दी जाती थी। इन बदमाशों की इसी चुनौती को एक IPS अधिकारी ने कबूल किया। इनके पैटर्न को समझा। अपराधियों को खत्म करने का दृढ़ संकल्प लिया। इस IPS अधिकारी का नाम है- संतोष कुमार सिंह। पढ़ें पूरी कहानी…