Drishyamindia

‘भूल गया कि फिल्म के डायरेक्टर बोमन ईरानी हैं’:अविनाश तिवारी बोले- उनके समर्पण ने सिखाया, ‘द मेहता बॉयज’ में काम करके गर्व महसूस हुआ

Advertisement

एक्टर से डायरेक्टर बने बोमन ईरानी की फिल्म ‘द मेहता बॉयज’ प्राइम वीडियो पर रिलीज हो रही है। पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित इस फिल्म में अविनाश तिवारी ने बोमन ईरानी के बेटे की भूमिका निभाई है। हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान अविनाश तिवारी ने बताया कि शूटिंग के दौरान वो भूल गए थे कि बोमन ईरानी फिल्म के डायरेक्टर हैं। फिल्म के प्रति उनके समर्पण को देखकर बाकी लोगों ने वैसा ही काम किया। इसलिए फिल्म अच्छी बनी है। यह फिल्म सिर्फ पिता-पुत्र की नहीं, बल्कि यह फिल्म इंसानी रिश्तों की कहानी है। पेश है अविनाश तिवारी से हुई बातचीत के कुछ और खास अंश.. फिल्म ‘द मेहता बॉयज’ में आपको क्या खास बात नजर आई? फिल्म का विषय तो हमेशा से काफी दिलचस्प रहा है। इंडियन सिनेमा का इतिहास रहा है कि फिल्मों में पिता-पुत्र के रिश्तों को खास तौर पर दिखाया जाता है। यह सिर्फ इंडियन सिनेमा में नहीं, बल्कि इंटरनेशनल सिनेमा में भी देखने को मिलता है। इस फिल्म में पिता-पुत्र के बीच जिस तरह के रिश्ते को दिखाया गया है। वह बात मुझे बहुत खास लगी थी। इस फिल्म को बहुत ही खास नजरिए से लिखा गया है। फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ते ही मुझे महसूस हुआ कि इस फिल्म का हिस्सा मुझे बनना है। मैंने जिंदगी में बहुत काम किया है और आगे करता रहूंगा। फिलहाल मेरे लिए यह महत्वपूर्ण फिल्म है। इस फिल्म में आपने अमय का किरदार निभाया है। यह किरदार आपके निजी जीवन से कितना मेल खाता है? फिल्म के लिए यह किरदार बहुत महत्वपूर्ण है। इस फिल्म की कहानी मुझे सिर्फ पिता-पुत्र की नहीं लगती है। बल्कि यह फिल्म इंसानी रिश्तों की कहानी है। रिश्तों में कम्यूनिकेशन, ईगो और अपनी बात को सही तरीके से ना पहुंचा पाने की समस्या होती है। उसे इसमें बहुत बखूबी तरह से पिता-पुत्र के रिश्ते के माध्यम से कहा गया है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसी फिल्म का हिस्सा हूं, जो परिवार के बंधन और सुलह जैसे विषयों को इतने सटीक तरीके से रखती है। आम तौर पर देखा गया है कि बचपन में पिता की कही जो बातें बुरी लगती हैं। खुद में समझदारी आने के बाद वही बातें अच्छी लगती हैं। आपके साथ कुछ ऐसा हुआ? पिता जी की मुझे कोई भी बात बुरी नहीं लगी। मैंने जिंदगी में जो भी सीखा और समझा है, उसमें काफी हद तक उनका ही हाथ है। यह जरूर है कि कुछ आदतें बन जाती है कि हम सोचते है कि जैसा हम चाह रहे हैं, वैसा वो कहें, तो यह गलत बात है। वो जिस हिसाब से भी कहें, उसे उसी हिसाब से समझना है। मुझे लगता है कि अब यह समझ मेरे अंदर आ गई है। डायरेक्टर के रूप में बोमन ईरानी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? फिल्म के एक सीन की शूटिंग के दौरान मैं भूल गया कि बोमन सर फिल्म को डायरेक्ट कर रहे हैं। दरअसल, बोमन सर के साथ पहला सीन था जहां हम लोग एक दूसरे को सोने के लिए कहते हैं। इस सीन की रिहर्सल हमने डेढ़-दो महीने खूब की थी। शुरू के दो टेक तो हमने जो रिहर्सल की थी उसके हिसाब से बहुत अच्छा शूट हो गया। उसके बाद हम दोनों आपस में एक्टर के तौर पर डिस्कस कर रहे थे कि सीन कैसा शूट करना है। जो फ्रीडम इस फिल्म की शूटिंग के दौरान मिली, वैसी फ्रीडम आज तक किसी फिल्म की शूटिंग के दौरान नहीं मिली। बोमन सर का इस फिल्म में जो समर्पण देखने को मिला है, उसे देखकर हर किसी को लगता था कि उस लेवल तक कैसे काम करना है। इसलिए यह अच्छी फिल्म बन पाई है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

मध्य प्रदेश न्यूज़

यह भी पढ़े