भूमि अधिग्रहण के मामले में मुआवजा देने में हुई लापरवाही के चलते तहसील से जुड़े लगभग आठ सौ कर्मचारियों के वेतन का भुगतान फंसा है। आज इस मामले में भूमि अर्जन की अदालत में डीजीसी सिविल और पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता अपनी अपनी दलील न्यायाधीश के सामने पेश करेंगे। मंगलवार को इस मामले में डीजीसी सिविल ने सरकार की तरफ से अपना पक्ष रखा था। अदालत में आज इस प्रकरण में फिर सुनवाई होगी। पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता ने कहा है कि आज अदालत में सुनवाई के दौरान यदि सरकार मुआवजा नहीं देती है तो डीएम के ट्रेज़री कोड खाता संख्या 2053 को भी सीज करने की अपील की जाएगी। उधर, डीजीसी सिविल इस मामले में अदालत से सीज हुए खाता को बहाल करने के लिए अपना पक्ष रखेंगे ताकि कर्मचारियों के वेतन का भुगतान हो सके। दोपहर बाद अदालत का निर्णय आयेगा। भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकरण (लारा) के पीठासीन अधिकारी जिला न्यायाधीश किरण पाल सिंह ने वाराणसी के जिलाधिकारी का सिविल हेड खाता संख्या 2029 को सीज कर दिया है। न्यायाधीश ने वर्ष 1982 में भूमि अधिग्रहण में मुआवजा को लेकर दाखिल एक याचिका पर किया है। सिविल हेड खाता के सीज होने से वाराणसी में कार्यरत लगभग 800 राजस्वकर्मियों के वेतन भुगतान पर रोक लग गई है। खाता सीज होने की जानकारी मिलते ही कलेक्ट्रेट से लेकर तहसील तक हड़कंप मचा है। राजस्व कर्मियों का कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते उनके वेतन भुगतान से संबंधित अकाउंट को सीज कर दिया गया है। समय से वेतन नहीं मिलने के कारण कई तरह की समस्याएं हो गई है। बच्चों की फीस से लेकर पॉलिसी समय से जमा नहीं हो पाई। जानिए क्या था प्रकरण डीरेका ( अब बरेका) के कारखाने के लिए जमीन का अधिग्रहण 1982 में हुआ। कंचनपुर निवासी पुरुषोत्तम जिनकी 87 डिसमिल भूमि (1 बीघा से अधिक) 1982 में डीजल लोकोमोटिव वर्क्स के लिए अधिग्रहित कर ली गई। जमीन का अधिग्रहण 1982 में हुआ था लेकिन पुरुषोत्तम को जमीन का किसी तरह का मुआवजा नहीं मिला, इसलिए उन्होंने 1988 में वाराणसी जिला न्यायालय में मुकदमा दायर किया था। सुनवाई के दौरान मामला तत्कालीन अपर जिला जज की अदालत में स्थानांतरित हो गया था। 1994 में तत्कालीन अपर जिला जज ने आदेश पारित कर जिला कलेक्टर को वादी को मुआवजा देने का निर्देश दिया था। लेकिन आदेश का अनुपालन नहीं हुआ। पुरुषोत्तम मुआवजा पाने के लिए दर-दर भटकता रहा। लेकिन उसे मुआवजा नहीं मिला। इस बीच वर्ष 2007 में 31 दिसंबर को पुरुषोत्तम की मौत हो गई। उनकी मौत के बाद बड़े बेटे नंदलाल ने वकील के जरिए मुआवजा के लिए केस लड़ना शुरू किया। प्राधिकरण में आया केस वर्ष 2022 में मुआवजा से संबंधित मुकदमा भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकरण (लारा) में आया। मुकदमा लड़ रहे अधिवक्ता आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि 27 फरवरी 2024 को लारा में याचिका दायर कर मामले में पक्षकार वाराणसी के कलेक्टर का खाता कुर्क करने का आदेश मांगा गया। वजह – पुरूषोतम की जमीन कलेक्टर ने डीरेका के लिए अधिग्रहित की थी। जानिए न्यायाधीश ने क्या दिया है आदेश भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकरण (लारा) के पीठासीन अधिकारी जिला न्यायाधीश किरण पाल सिंह ने विभिन्न तिथियों पर अपनी कोर्ट में दोनों पक्ष की दलीलें सुनीं। 27 जनवरी को LARA के पीठासीन अधिकारी न्यायाधीश किरण पाल सिंह ने कलेक्टर वाराणसी के सिविल हेड खाता संख्या 2029 ट्रेजरी, वाराणसी को कुर्क करने का आदेश पारित किया। मुआवजे की राशि जमा करने के लिए पर्याप्त समय दिए जाने के बावजूद, राशि जमा नहीं हुई। तदनुसार, कलेक्टर वाराणसी के सिविल हेड खाता संख्या 2029 ट्रेजरी, वाराणसी को 10,70,026.49 रुपये की सीमा तक कुर्क किया जाता है। आंदोलन के मूड में कर्मचारी 06 दिन हो गए लेकिन खाते में पैसा नहीं आया है जिसको लेकर राजस्वकर्मियों में रोष है। तहसील कर्मचारियों ने आला अधिकारियों से मिलकर अपनी परेशानी बताते हुए अतिशीघ्र ट्रेज़री कोड को बहाल कराने की अपील की है ताकि वह बच्चों की फीस जमा कर सकें। कई कर्मचारियों की बीमा पॉलिसी का प्रीमियम नहीं जमा हुआ है जिसके परेशानी बढ़ गई है। कहा कि अगर आज इसपर निर्णय नहीं हुआ तो वह धरना प्रदर्शन को बाध्य होंगे।