अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने पदभार संभालते ही अवैध रूप से अमेरिका में घुसे भारतीयों समेत नागरिकों को वापस भेजने का सिलसिला शुरू हो गया है। बीते बुधवार को अमेरिकी वायुसेना का एक विमान पंजाब के अमृतसर पहुंचा, जिसमें अवैध रूप से वहां रह रहे भारतीयों को लाया गया। इनमें पंजाब के 30, हरियाणा और गुजरात के 33-33 लोग शामिल हैं। गुजरात के रहने वाले लोग आज सुबह अमृतसर से अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचे। निर्वासित गुजरातियों में 28 लोग उत्तर गुजरात के हैं। इनमें से 4 लोग मध्य गुजरात से हैं और एक दक्षिण गुजरात से है। इसी के चलते दिव्य भास्कर की टीम ने मेहसाणा, पाटण और गांधीनगर में रहने वाले उनके परिजनों से बातचीत की। इस दौरान लंबे समय से अपने बच्चों का इंतजार कर रहे माता-पिता ने उनकी हालत पर दुख व्यक्त किया और उनके सकुशल लौट आने के लिए भगवान का धन्यवाद दिया। सबसे पहले दिव्य भास्कर की टीम पाटण तालुका के पाटण तालुका के मनुद गांव पहुंची। यहां रहने वाले केतुल पटेल आज अपने परिवार के साथ अमेरिका से स्वदेश लौट रहे हैं। केतुल मूल रूप से पाटण के रहने वाले हैं, लेकिन हीरे का कारोबार शुरू करने के लिए 25 साल पहले परिवार के साथ सूरत में बस गए थे। लेकिन, बिजनेस में घाटे के बाद उन्होंने अपना मकान बेच दिया था और एक एजेंट के जरिए अवैध रूप से अमेरिका पहुंच गए। आज, यह समाचार सुनकर कि उनके बेटे और उसके परिवार को अमेरिका से निर्वासित कर दिया गया है, पाटन में रहने वाले उनके माता-पिता के होठों पर केवल एक ही शब्द है… वे सुरक्षित वापस लौट आएं। केतुल की मां हीराबेन पटेल ने कहा- हम चिंतित हैं, लेकिन भगवान को जो अच्छा लगे, वही सही है। हमारे लिए केवल यही बात मायने रखती है कि बस सुरक्षित घर पहुंच जाए। उन्होंने खेत बेचकर अपने दो बेटों को मकान खरीदने के लिए पैसे दे दिए थे। केतुल ने अपना हिस्सा वाला मकान बेच दिया और अमेरिका चला गया। वह 5-6 महीने पहले ही 50 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका गया था। टीवी पर देखकर मुझे पता चला कि ट्रम्प सभी को वापस भेज रहे हैं, तो मैंने सोचा कि हमारा बेटा भी इसमें शामिल होगा और वही हुआ। बेटे के अमेरिका जाने के बाद से ही उससे अब तक बात नहीं हुई है। अब मेरा बेटा वापस आए रहा है। हम शांति और खुशी से रहेंगे। बेटी यूरोप घूमने गई थी, पता नहीं अमेरिका कैसे पहुंच गई
इसके बाद हमारी टीम कनुभाई के घर पहुंची, जो मेहसाणा के डभाला के पास चंद्रपाड़ा में रहते हैं। जिनकी बेटी आज एक महीने बाद अमेरिका से लौट रही है। जब उनकी बेटी ने पिता कनुभाई से पूछा बेटी के अमेरिका जाने के बारे में पूछा तो उन्होंने चौंकाने वाला जवाब दिया। उन्होंने कहा- मेरी बेटी निकिता तो यूरोप घूमने गई थी, हमें पता ही नहीं कि वह अमेरिका कैसे पहुंच गई। इस बारे में उन्होंने विस्तार से बताया- मेरी बेटी ने एमएससी की पढ़ाई की है, लेकिन उसे अभी तक अच्छी जब नहीं मिल पाई है। करीब एक महीने पहले ही अचानक बेटी ने अपने दोस्तों के साथ यूरोप घूमने की योजना बनाई थी। निकिता अपनी दो सहेलियों के साथ गई थी। आखिरी बार मैंने उनसे 15 जनवरी को बात की थी और उसके बाद से हमारी उससे बात नहीं हुई। हमें तो यह भी नहीं पता कि हमारी बेटी अमेरिका कैसे पहुंची। पैसा कमाने के लिए इस तरह अमेरिका जाने का तरीका सही नहीं है। लोग पैसे लेकर जाते हैं और फिर खाली हाथ घर लौट आते हैं। बेटी घर आएगी तो हम उसे कोई काम दिलवा देंगे। बेटे को दोबारा कहीं नहीं जाने दूंगी
मानसा तालुका के बोरू गांव के मूल निवासी करण सिंह और उनके परिवार को भी अमेरिका से निर्वासित कर दिया गया है। इस बारे में करण की मां ने कहा- मेरा बेटा एक महीने पहले ही अमेरिका गया था। हमें नहीं पता कि अमेरिका जाने के लिए उसने कौन सा तरीका अपनाया। टीवी पर देखकर हमको मालूम हुआ कि बहुत से गुजराती भी वापस आ रहे हैं। जो भी हो, मैं अपने बेटे को अब कहीं नहीं जाने दूंगी। यात्रियों में से अधिकांश युवा
सुबह जब विमान अहमदाबाद हवाई अड्डे से इन्हें बाहर निकाला गया तो स्थानीय पुलिस ने उनके पासपोर्ट और संपर्क नंबरों का सत्यापन किया। अमृतसर से पहले से आई सूची के अनुसार सभी को बाहर निकाला गया। आने वाले यात्रियों में से अधिकांश युवा थे। इसमें एक परिवार का सदस्य भी शामिल है और अब स्थानीय एलसीबी इस बारे में प्रारंभिक बयान लेगी कि कब इन सभी की आगे की जांच की जाएगी और आगे की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा। दो परिवार भी शामिल
जबकि मनसाणा में गोस्वामी हार्दिक मुकेशगिरी (उम्र 29), गोस्वामी हिमानी हार्दिकगिरी (उम्र 27), गोस्वामी हेमल हार्दिकगिरी (उम्र 8), गोस्वामी ध्रुव हार्दिकगिरी (उम्र 5) के साथ-साथ जिग्नेश प्रभातभाई झाला (उम्र 37), अरुणाबेन जिग्नेश झाला (उम्र 34), जाला एंजल जिग्नेश झाला (उम्र 11) और माही जिग्नेश झाला शामिल हैं। दो परिवारों को भी वापस लाया गया है।