गोपालगंज के जादोपुर थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष पिंटू कुमार को जब्त की गई कार का निजी उपयोग करना भारी पड़ गया। इस मामले में पटना उच्च न्यायालय ने सख्त कार्रवाई करते हुए थानाध्यक्ष पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही, केस के जांच अधिकारी (आईओ) और सूचना देने वाले पुलिस कर्मी पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। 25 सितंबर 2024 को जादोपुर थाना पुलिस ने उत्पाद अधिनियम के तहत कररिया गांव के समीप से एक काले रंग की महिंद्रा एसयूवी 700 कार जब्त की थी। यह कार शराबबंदी कानून का उल्लंघन करते हुए पकड़ी गई थी, जिसमें तीन लोग देसी शराब के साथ पाए गए थे। पुलिस ने वाहन जब्त कर चालक समेत तीनों आरोपियों को न्यायालय भेज दिया। हालांकि, जब्त किए गए वाहन का उपयोग तत्कालीन थानाध्यक्ष पिंटू कुमार ने निजी कार्यों के लिए करना शुरू कर दिया। वाहन मालिक हर्ष अग्रवाल, जो उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के निवासी हैं, उन्होंने जीपीएस सिस्टम के जरिए कार के मूवमेंट की जानकारी हासिल की। वाहन स्वामी ने हाईकोर्ट का लिया सहारा वकील हर्ष अग्रवाल ने पटना उच्च न्यायालय में सीडब्ल्यूजेसी 16507/2024 के तहत सचिव उत्पाद विभाग, बिहार सरकार, कमिश्नर, डीएम, एसपी, उत्पाद अधीक्षक, तत्कालीन थानाध्यक्ष पिंटू कुमार, आईओ आलोक कुमार और पीएसआई के खिलाफ मामला दायर किया। हाईकोर्ट का फैसला पटना उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति पीबी बजंतरी और सुनील दत्त मिश्रा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए थानाध्यक्ष पिंटू कुमार पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने आदेश दिया कि यह राशि बिहार सरकार द्वारा वसूल कर वाहन स्वामी हर्ष अग्रवाल को दी जाए। इसके साथ ही, कोर्ट ने संबंधित अधिकारी पर विभागीय कार्रवाई करने और जुर्माने की राशि थानाध्यक्ष के वेतन से वसूलने के निर्देश भी दिए। शिकायकर्ता की सटीकता शिकायकर्ता हर्ष अग्रवाल ने न्यायालय में जीपीएस डेटा प्रस्तुत किया, जिसमें स्पष्ट रूप से दिखाया गया कि वाहन को जब्त करने के बाद थानाध्यक्ष ने उसे किन-किन स्थानों पर उपयोग किया। यह डेटा न्यायालय के समक्ष पुख्ता सबूत के रूप में पेश किया गया।