इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा साइक्लोन स्टाइल आदेश पारित करने को गंभीरता से लिया है और प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा उप्र लखनऊ से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि विवेक का इस्तेमाल किए बगैर अधिकारियों द्वारा साइक्लोन स्टाइल आदेश क्यों और किस कारण से जारी किए जा रहे हैं। याचिका की अगली सुनवाई 5 मार्च को होगी। कोर्ट ने बी एस ए झांसी के 21 दिसंबर 24 को पारित आदेश पर रोक लगा दी है और याची को इस आदेश से पूर्व के स्कूल में काम करने देने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया ने जागृति पाठक की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। प्रश्नगत आदेश से बी एस ए ने जांच के बाद याची का निलंबन वापस लेकर बकाया वेतन सहित सेवा बहाल कर दिया और दूसरी तरफ किसी निश्चित अवधि के लिए वेतन रोकने का आदेश दिया। साथ ही बिना कोई कारण बताए व बगैर सुनवाई का मौका दिए दूसरे स्कूल में तबादला कर दिया था। जिसे चुनौती दी गई है। याची अधिवक्ता का कहना है कि बिना सुनवाई का अवसर दिए कड़ा दंड देना और अकारण तबादला कर देना उसके नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का हनन किया गया है। बिना विवेक का इस्तेमाल किए साइक्लोन स्टाइल आदेश देना नियम तीन का उल्लघंन है। कोर्ट ने कहा ऐसे आदेश अक्सर कोर्ट में आ रहे। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी निंदा भी की है। इसके बावजूद साइक्लोस्टाइल आदेश दिए जा रहे हैं। कोर्ट ने प्रमुख सचिव से 4 मार्च तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।