महोबा में वकीलों ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक-2025 के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। जिला अधिवक्ता समिति के अध्यक्ष रामसहाय राजपूत के नेतृत्व में वकील कचहरी से तहसील तक पहुंचे। उन्होंने एसडीएम को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। वकीलों का कहना है कि वे अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम चाहते थे। लेकिन सरकार अधिवक्ता संशोधन अधिनियम ला रही है। सरकार ने इस विधेयक पर 28 फरवरी तक आपत्तियां मांगी हैं। विधेयक की मुख्य आपत्ति धारा-3ए को लेकर है। यह वकीलों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर तत्काल वकालत करने से रोकती है। धारा-35 में झूठी शिकायतों पर वकालत का अधिकार छीनने का प्रावधान है। वकीलों का कहना है कि उन्हें कोई वेतन नहीं मिलता, ऐसे में यह कार्रवाई गलत है। धारा-36 में बिना जांच के वकील का लाइसेंस निलंबित करने का प्रावधान है। वकीलों का मानना है कि यह संशोधन उन्हें कमजोर करने की कोशिश है। उनका कहना है कि जो वकील अपने अधिकारों के लिए नहीं लड़ सकेगा, वह गरीबों के लिए कैसे लड़ेगा। वकीलों ने कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई के डर से उनकी स्वतंत्रता खत्म की जा रही है। उन्होंने पीएम से विधेयक वापस लेने और महोबा के वकीलों की आपत्तियां स्वीकार करने की मांग की है। इस मौके पर पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुकितुर्रहमान खान, इंद्रपाल यादव,ओमप्रकाश द्विवेदी, मनीष तिवारी, विवेक सिंह, जितेंद्र कुमार, हेमंत राजपूत, इंद्रपाल यादव, सिद्धगोपाल यादव, अनिल खरे, इशहाक अहमद, दीपक कुमार, नेहाल अहमद, भगवानदास प्रजापति, ज्योति शुक्ला, अवधेश कुमार आदि अधिवक्ता मौजूद रहे
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