राजस्थान में स्कूल और कोचिंग में पढ़ रही नाबालिग बच्चियां ‘धर्मांतरण कराने वाली गैंग’ के टारगेट पर हैं। अजमेर में 1992 में हुए चर्चित ब्लैकमेल कांड की तर्ज पर कम उम्र की बच्चियों को बहला-फुसला कर उन्हें दोस्ती और प्रेम जाल में फंसाया जा रहा है। रेप के बाद उनकी अश्लील फोटो-वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया जा रहा है। इतना ही नहीं, बच्चियों पर दूसरी सहेलियों से दोस्ती का दबाव बनाकर उनको भी अपना शिकार बना रहे हैं। एक के बाद एक नाबालिग बच्चियों को फंसाकर लंबी चेन बना रहे हैं। कई मामलों में ब्लैकमेल कर उनका धर्म तक बदलवाने का प्रयास किया जा रहा है। बीते कुछ महीनों में सामने आए 3 बड़े मामलों की हमने पड़ताल की। उदयपुर में 2 बहनों का इस तरह से ब्रेनवॉश किया कि सोशल मीडिया पर अपना नाम बदलकर मुस्कान और अनीसा रख लिया था। उनकी स्कूल की नोटबुक में उर्दू में आयतें लिखी मिलीं। करीब 3 माह पूर्व अजमेर के क्रिश्चियनगंज थाने और अभी हाल ही में बिजयनगर में भी नाबालिग बच्चियों के साथ इसी पैटर्न पर ब्लैकमेल-रेप का मामला सामने आया है। पुलिस ने ऐसे मामलों में कार्रवाई तो की है, लेकिन इनके नेक्सस का खुलासा नहीं हो पाया है। पुलिस जांच में इन मामलों में क्या सामने आया? क्या इसके पीछे कोई गैंग काम कर रही है? आखिर क्यों पुलिस अभी तक इनके पैटर्न को डिकोड नहीं कर पाई है? संडे बिग स्टोरी में पढ़िए पूरी रिपोर्ट…. हिंदू बच्चियों से मजहबी गैंग की हैवानियत की वारदातें… केस-1 : ब्लैकमेल से सहमी दोनों बहनों ने सुसाइड किया
उदयपुर के गोगुंदा क्षेत्र में 3 महीने पहले 11 नवंबर 2024 को 2 चचेरी बहनों ने सल्फास की गोलियां खाकर सुसाइड कर लिया था। परिजनों ने दोनों के मोबाइल खंगाले तो आखिरी बार यूपी के किसी युवक के नंबर पर रुपए ट्रांसफर करने और सोशल मीडिया पर उससे आपत्तिजनक बातचीत का रिकॉर्ड मिला था। करीब 16 और 17 साल की दोनों बच्चियां सरकारी स्कूल में 11वीं कक्षा की छात्राएं थीं। दोनों बच्चियों की कॉपियों में आयतें व कलमा लिखे हुए थे। हिंदी-उर्दू के वाक्य भी लिखे हुए थे। इससे पता चला कि लड़कियां उर्दू सीख रही थीं। मामले की पड़ताल में जुटी गोगुंदा थाना पुलिस ने पहले तो इस मामले को नॉर्मल सुसाइड केस माना था। जब परिजनों ने तथ्यों के आधार पर दबाव बनाया तो गोगुंदा पुलिस ने इस मामले में 800 किमी दूर उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के हाफिजपुर निवासी शहवाज को गिरफ्तार किया। पूछताछ में सामने आया कि शहवाज ने बॉलीवुड फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ की तरह दोनों चचेरी बहनों का ब्रेन वॉश किया था। उन्हें सुसाइड के लिए मजबूर किया था। इस केस में इन्वेस्टिगेशन पूरा कर हाल ही में पुलिस ने चार्जशीट भी पेश कर दी है। बच्चियों (मृतक) के परिजनों का दावा था कि इस केस में शहवाज के अलावा पूरी गैंग है। दोनों बच्चियों के साथ पढ़ने वाली एक छात्रा और एक लोकल युवक के भी गैंग में सहयोगी होने के आरोप लगाए गए थे। हालांकि इस केस की जांच कर चुके तत्कालीन गोगुंदा हाल खमनोर थाना एसएचओ शैतान सिंह ने बताया- एक ही आरोपी के इन्वॉल्व होने के तथ्य मिल पाए थे। इसी आधार पर उसकी गिरफ्तारी और बाद में चार्जशीट पेश की गई थी। चार्जशीट के अनुसार, परिवार ने दोनों लड़कियों के मोबाइल और नोटबुक पुलिस को सौंप दिए थे। जांच में सामने आया कि सोशल मीडिया पर बच्चियों ने अपना नाम बदलकर मुस्कान और अनीसा रख लिया था। दोनों बहनों की कॉपियों में कुरान की आयतें और कुछ कलमा लिखे हुए थे। लड़कियों और आरोपी शहवाज के बीच करीब 3 हजार से ज्यादा बार बातचीत हुई थी। पुलिस इन्वेस्टिगेशन में क्या नहीं हो पाया डिकोड?
इस मामले में कोर्ट में पैरवी कर रहे एडवोकेट कमलेश शर्मा (उदयपुर) ने बताया कि पुलिस ने मामले की ढंग से जांच ही नहीं की। दबाव और जल्दबाजी में एक आरोपी को दोनों बहनों को सुसाइड के लिए मजबूर करना बताते हुए गिरफ्तार कर चार्जशीट पेश कर दी। ये कोई छोटा मामला नहीं था कि एक तरह से दो बहनों का पहले तो धर्म परिवर्तन जैसी स्थिति में आ जाना और इसके बाद एक ही साथ सुसाइड कर लेना। यदि पुलिस गहनता से जांच करती तो इसमें बड़े रैकेट का खुलासा होता। केस-2 : अजमेर में 11वीं की छात्रा से दोस्ती और फिर गैंगरेप, ब्लैकमेल कर 5 लाख रुपए ऐंठे
पिछले साल 30 मई 2024 को अजमेर के क्रिश्चियनगंज पुलिस स्टेशन में एक शख्स पहुंचा था। उसने पुलिस को शिकायत देते हुए बताया कि साल 2023 के अक्टूबर में उसकी 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी की कोचिंग सेंटर पर एक दूसरी लड़की से दोस्ती हुई थी। उसने बेटी को इंस्टाग्राम पर एक लड़के की आईडी भेजकर फ्रेंडशिप कर बात करने के लिए कहा था। बेटी ने मना किया तो उसे फिर से अपने जाल में फंसाकर इरफान नाम के लड़के से उसकी दोस्ती करवा दी। इरफान ने धीरे-धीरे उसकी बेटी को प्रेम जाल में फंसा लिया और भरोसा दिलाकर इंस्टाग्राम आईडी का पासवर्ड ले लिया। इसके बाद उसकी बेटी की आईडी से कई और लड़कियों को अश्लील मैसेज भेजकर उन्हें भी अपने प्रेम जाल में फंसाने का काम करता रहा। इन अश्लील चैट्स को और बेटी के अश्लील फोटो-वीडियो वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करते हुए रुपए की डिमांड की गई। ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर बेटी ने घर से चोरी छुपे आरोपी को कई बार में कुल 5 लाख रुपए भी दे दिए थे। जब वह रुपए लेने आता, तब हर बार उसके साथ एक नया युवक और होता था। आरोपियों ने उसकी बेटी का उसी के घर में रेप और गैंगरेप भी किया। उसे आजाद करने के नाम पर ब्लैकमेल कर 10 लाख रुपए की डिमांड कर रहे थे। इससे वो मेंटल डिप्रेशन में चली गई थी। घर से लगातार रुपए गायब हुए तो पिता ने पड़ताल की। बच्ची ने रोते हुए आपबीती को बताया तो मामले का खुलासा हुआ। पुलिस ने इस केस में त्वरित कार्रवाई करते हुए 1 जून 2024 को इरफान और अरबाज नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार करने के अलावा एक नाबालिग को भी डिटेन कर लिया। इसके बाद 3 जून 2024 को असलम, रज्जाक, मुबारक और इमरान को भी गिरफ्तार किया। पड़ताल में सामने आया कि सभी आरोपी एक गैंग की तरह काम कर रहे थे। इनके मोबाइल में पीड़ित छात्रा के अलावा भी कई और लड़कियों के नंबर और उनसे अश्लील चैट और उनके न्यूड फोटो-वीडियो थे। आरोपियों ने गिरफ्तारी से पहले ही अपने मोबाइल का काफी डेटा डिलीट तक कर दिया था। जांच में सामने आया था कि सभी आरोपी एक गैंग की तरह काम कर रहे थे और एक के बाद एक लड़की को फंसा रहे थे। साल 1992 में अजमेर में हुए देश के सबसे बड़े ब्लैकमेल कांड के जैसा ही इनका पैटर्न था। पुलिस ने इस केस में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया और एक नाबालिग को पकड़ा था। दबाव बढ़ने पर शहर में चल रहे कई अवैध कैफे, रेस्टोरेंट्स और हुक्का बार पर ताबड़तोड़ कार्रवाई भी हुई थी। डेढ़ महीने में पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन पूरी कर कोर्ट में 3 अगस्त 2024 को चार्जशीट पेश की। अजमेर सीओ (नॉर्थ) रुद्र प्रकाश शर्मा ने बताया- इन्वेस्टिगेशन में किसी भी गैंग का इस केस में इन्वॉल्व होना सामने नहीं आया था। इस मामले में केवल एक ही पीड़ित सामने आई थी। आरोपियों के मोबाइल में जो फोटो मिली थी, उन्हें भी एफएसएल के लिए भेजा गया था। इन्वेस्टिगेशन में क्या नहीं हो पाया डिकोड?
पीड़ित और केस से जुड़े वकील सीमांत भारद्वाज ने कहते हैं- पुलिस ने पहले तो बढ़िया काम किया था। एक के बाद एक आरोपी गिरफ्तार किए। पीड़ित की सहेली, जिसके जरिए उसकी दोस्ती इरफान से हुई, उसे उसके परिजनों ने बाहर भेज दिया, जिससे उसके बयान नहीं हो पाए। इसके अलावा जिन और लड़कियों को आरोपियों द्वारा फंसाने की बात सामने आई थी, उनके परिजनों ने भी शर्म और लोक-लाज के डर से सामने आने से इनकार कर दिया था। कई पीड़ित सामने ही नहीं आ पाईं। इधर पुलिस ने भी आरोपियों को मिल रही फंडिंग, गैंग के पीछे के लोगों की पड़ताल किए बगैर ही इसी एक केस के आधार पर अपनी जांच पूरी कर कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी थी। वकील सीमांत भारद्वाज ने बताया कि पीड़ित के परिजनों के मुताबिक, इसके उलट आरोपी लगातार मामले में समझौते का दबाव डालते रहे। आरोपियों ने 3-3 बार हाई कोर्ट में अपनी बेल लगाई। बार-बार रिजेक्ट होने के बाद आखिरकार चौथी बार में मुख्य आरोपी इरफान को छोड़कर बाकी सभी को हाईकोर्ट से बेल मिल गई है। इस केस में यह भी बड़ा चौंकाने वाला था कि आरोपियों के बेहद लो प्रोफाइल होने के बावजूद उन्हें महंगा लीगल सपोर्ट कहां से मिल रहा था। केस-3 : बिजयनगर में 5 स्कूल गर्ल्स को फंसाकर धर्मांतरण के लिए ब्लैकमेल कर रही थी गैंग
ताजा मामला अजमेर के बिजयनगर में सामने आया है। यहां 10-15 मुस्लिम लड़के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ रही 10वीं कक्षा की 5 नाबालिग बच्चियों को फंसा उन्हें ब्लैकमेल व देहशोषण कर धर्मांतरण का दबाव बना रहे थे। इस मामले में भी सामने आया है कि सभी आरोपी युवक आपस में दोस्त हैं और एक ही मोहल्ले के रहने वाले हैं। ये सभी मजदूरी करते हैं। एक भी आरोपी स्कूल पढ़ने नहीं जाता है। बावजूद इसके एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली कई बच्चियों को फंसा लिया था। सभी आरोपी युवक ट्रेंड बदमाश गिरोह की तरह काम कर रहे थे। एक ही तरीके से एक के बाद एक नाबालिग बच्चियों को जाल में फंसाते जा रहे थे। गिरोह में शामिल हर आरोपी इन बच्चियों के नंबर एक-दूसरे से शेयर करता था। जो भी लड़की आरोपियों का शिकार बनती, उसके अश्लील फोटो-वीडियो बना लिए जाते और उन्हें ब्लैकमेल किया जाता। परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनकी बच्चियों को आरोपी रोजा रखने और कलमा पढ़ने के लिए भी दबाव डालते थे। फिलहाल इस केस में जांच चल रही है। पुलिस ने इसे लव जिहाद मामला होने से इनकार कर दिया है। अजमेर आईजी ओमप्रकाश चौधरी ने इसे सोशल मीडिया के जरिए बच्चियों को फ्रेंडशिप जाल में फंसाने वाला मामला बताया है। इधर, बच्चियों के परिजनों और शहरवासियों का बढ़ते आक्रोश देखते हुए एक दिन पहले ही बिजयनगर नगरपालिका के ईओ प्रतापसिंह ने 5 आरोपियों के घर वालों को उनके मकान के कागजात, शहर जामा मस्जिद के अध्यक्ष को मस्जिद से जुड़े कागजात व कब्रिस्तान से जुड़े कागजात पेश करने का नोटिस दे दिया है। ये निर्माण अवैध पाए जाने पर या कागजात पेश नहीं का पाने पर निर्माण तोड़ने की भी चेतावनी दी गई है। एक साल की 3 बड़ी वारदातें, तीनों में एक जैसा ट्रेंड
बीते एक साल में ये 3 बड़ी वारदातें सामने आई हैं, जिनमें नाबालिग बच्चियों को फंसाने, उनके अश्लील वीडियो बनाने से लेकर रेप करने और फिर ब्लैकमेलिंग का पैटर्न एक जैसा है। एक के बाद दूसरा और फिर तीसरा युवक उनका रेप और गैंगरेप कर रहा था। फिर आरोपी उन्हीं बच्चियों पर उनकी सहेलियों से दोस्ती करवाने का दबाव बना रहे थे। ब्लैकमेल कर रुपए लूटे गए। साथ ही, धर्म बदलने तक के प्रयास के आरोप लगे। बिजयनगर (अजमेर) वाले मामले में यह सामने आया है कि पकड़े गए कुछ आरोपी एक-दूसरे को जानते तक नहीं थे। लेकिन वो बच्चियों को टारगेट बनाकर उनकी इंस्टाग्राम आईडी और नंबर्स आपस में शेयर कर रहे थे। वहीं बच्चियों पर उनसे दोस्ती और रिलेशन बनाने का दबाव डाल रहे थे। केस ऑफिसर्स स्कीम के तहत हो रही बिजयनगर केस की जांच
अजमेर आईजी ओमप्रकाश चौधरी ने बताया- बिजयनगर के केस में एक गैंग की तरह आरोपी बच्चियों को फंसा रहे थे। इनमें दो कैफे संचालक भी इन्वॉल्व थे, जो रुपए लेकर अपना स्पेस आरोपियों को उपलब्ध करवा रहे थे। यहीं बच्चियों से रेप भी हुआ था। बिजयनगर वाले दो केस में पीड़िताें से रेप की बात सामने आई है। इन सभी मामलों को ‘केस ऑफिसर स्कीम’ में लिया है। स्पेशल पीपी नियुक्त कर स्पीड ट्रायल चलवा जल्दी से जल्दी आरोपियों को सजा दिलवाएंगे। अजमेर वाले केस में अलग तरह से बच्ची को फंसाया गया था। एक्सपर्ट बोले- सोशल मीडिया पर दोस्ती से पहले प्रोफाइल को जांचना बेहद जरूरी
एक्सपर्ट आशीष राजोरिया ने बताया कि सोशल मीडिया पर फेक प्रोफाइल भी होते हैं। इसमें फ्रॉड लड़का या लड़की जानबूझकर ऐसी फोटो लगाते हैं, जिसमें वे रईस नजर आएं। फोटोशॉप की मदद से वे अपनी ड्रेस पर महंगे ब्रांड का ‘लोगो’ लगा देते हैं, महंगी कार और आलीशान बंगले के साथ पिक्चर पोस्ट करते हैं। विदेशी लोकेशन पर सैर करने की मॉर्फ्ड पिक्चर अपलोड करते हैं। नाबालिग इसे देखकर आकर्षित हो जाती हैं और यहीं से ट्रैप में आ जाती हैं। नाबालिग लड़कियों के अपहरण, रेप के 80 प्रतिशत मामलों में पीड़ितों की कहानी मोबाइल, सोशल मीडिया से संपर्क से स्टार्ट हो रही है। मामला फ्रेंडशिप, प्यार और फिर शादी का झांसा देकर रेप तक पहुंचता है। इस ट्रेंड को रोकने में अभिभावक भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। बच्चियों की काउंसलिंग की जानी चाहिए कि जिंदगी अच्छी-बुरी सभी चीजों का संगम है। जब कोई भी चीज जरूरत से ज्यादा अच्छी नजर आ रही हो, तो सतर्क हो जाएं और सच को जाने बगैर कोई कदम नहीं उठाएं। पूरा देश सन्न रह गया था, देश का सबसे बड़ा रेप स्कैंडल
देश का सबसे बड़ा रेप स्कैंडल अजमेर में हुआ था। करीब 250 लड़कियों को उनके आपत्तिजनक फोटो और वीडियो से ब्लैकमेल कर महीनों तक रेप किया गया। इस कांड में अजमेर के रसूखदार लोग शामिल थे। जब 1992 में इसका खुलासा हुआ तो पूरा देश सन्न रह गया था।