स्वास्थ्य विभाग जिले में अस्पतालों को लगातार अपग्रेड कर रहा है। व्यवस्था अपग्रेडेशन के नाम पर आलीशान भवन बन रहे हैं और जांच के लिए बड़े-बड़े उपकरण खरीदे जा रहे हैं। बावजूद, व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा है। इसका मुख्य कारण जिले में डॉक्टरों एवं कर्मियों की भारी कमी है। लिहाजा, जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है। कहीं महिला चिकित्सक तो कहीं जनरल फिजिशियन, कहीं सर्जन के अभाव में मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है। विभाग भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवा का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत दावे के उलट है। स्टाफ की कमी के कारण वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं। चार साल में पांच वेंटिलेटर के सील तक नहीं खुले हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों में 380 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं। इनमें सिर्फ 192 कार्यरत हैं। 188 पद अब भी खाली हैं। सदर अस्पताल में केवल एक महिला डॉक्टर है और पूरे जिले में छह। कई बार डिमांड के बाद भी चिकित्सकों की कमी पूरी नहीं हो पा रही है। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सेवा के दावे बेमानी हैं। अधिकारियों के अनुसार कई बार मांग के बावजूद डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो सकी। बता दें जिले में एक सदर अस्पताल, तीन अनुमंडलीय अस्पताल, एक रेफरल अस्पताल, 7 सीएचसी, 2 पीएचसी और 21 एपीएचसी संचालित हैं। लेकिन, किसी भी पीएचसी में सर्जन नहीं है। कई एपीएचसी में महिला और बाल रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। सदर अस्पताल में 4 साल से रखा वेंंटिलेटर, जिसका सील तक नहीं खुला। कोरोना की दूसरी लहर में सरकार ने सदर अस्पताल को 6 वेंटिलेटर दिए थे। लेकिन, प्रशिक्षितकर्मियों की नियुक्ति नहीं होने से ये अब तक चालू नहीं हो सके हैं। चार साल बीतने के बाद भी 5 वेंटिलेटर की सील तक नहीं खुली है। अधिकारियों ने कई बार विभाग को पत्र लिखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस कारण मरीजांें को निजी अस्पताल का रूख करना पड़ता है, जहां वेंटिलेटर पर मरीजों को रखने के लिए 8 से 14 हजार रुपए प्रतिदिन वसूले जा रहे हैं। अगर सदर अस्पताल में वेंटिलेटर चालू हो जाए तो मरीजों को बड़ी राहत मिलती। विभागीय अनदेखी के कारण अब तक प्रशिक्षित कर्मियों की नियुक्ति नहीं हो सकी। सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी के 183 पद स्वीकृत हैं। इनमें 99 डॉक्टर कार्यरत हैं। जनरल सर्जन के 21 पदों में सिर्फ 6 डॉक्टर हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ के 21 में 6, चर्म रोग विशेषज्ञ के 4 में 1, शिशु विशेषज्ञ के 22 में 8, एनीस्थिसिया के 22 में 8, कान-नाक व गला विशेषज्ञ के 4 में 1, रेडियोलॉजिस्ट के 7 में 1 डॉक्टर कार्यरत हैं। इसके अलावा फिजिशियन के 11 में 1 और आयुष डॉक्टर के 50 पदों में 7 डॉक्टर कार्यरत हैं। पैथोलॉजिस्ट, एएनएम, जीएनएम समेत सैकड़ों पद खाली है। हड्डी रोग विशेषज्ञ के 4 स्वीकृत पदों पर डॉक्टर तैनात हैं। ^डॉक्टरों की कमी को लेकर बार-बार विभाग को लिखा जाता है। लेकिन, नियुक्ति नहीं हो रही है। जिस वजह से परेशानी बनी हुई है। वेंटिलेटर के ट्रेंड स्टाफ की नियुक्ति के लिए भी कई बार लिखा गया है। अब तक कर्मियों की बहाली नहीं की गई है। – डॉ. ललन कुमार ठाकुर, सिविल सर्जन। निजी में वेंटिलेटर पर मरीजों को रखने के लिए 8 से 14 हजार रुपए लगते हैं
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