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अकाली दल के उपाध्यक्ष अनिल जोशी ने इस्तीफा दिया:नीतियों पर उठाए सवाल; लिखा- धर्म और सांप्रदायिक एजेंडे में उलझी है पार्टी

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शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। जोशी ने इस्तीफे में पार्टी की मौजूदा नीतियों और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अकाली दल के वाइस प्रेसीडेंट और अमृतसर नॉर्थ से उम्मीदवार रहे अनिल जोशी ने अपना इस्तीफा पार्टी कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ को भेजा है। इस्तीफे में अकाली दल की कार्य शैली पर सवाल उठाए हैं। उनके इस्तीफा की प्रमुख बातें: जोशी ने अपने इस्तीफे में कहा कि पिछले कुछ समय से पार्टी ने असली मुद्दों को उठाना बंद कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी केवल सांप्रदायिक राजनीति और धर्म आधारित एजेंडे तक सिमट गई है। उन्होंने लिखा- ऐसा लगता है कि शिरोमणि अकाली दल केवल धर्म और सांप्रदायिक एजेंडे में शामिल है। मैं इस सांप्रदायिक राजनीति में अपने लिए कोई जगह नहीं देखता। जोशी ने पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की कार्यशैली पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद पार्टी की स्थिति और ज्यादा खराब हो गई है। सुखबीर सिंह बादल को भी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। अनिल जोशी के इस्तीफे ने शिरोमणि अकाली दल की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी पहले से ही कमजोर स्थिति में है और हाल ही में कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। जोशी जैसे वरिष्ठ नेता का इस्तीफा पार्टी के लिए एक और झटका साबित हो सकता है। अनिल जोशी का राजनीतिक सफर अनिल जोशी पंजाब के अमृतसर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं। भाजपा में रहते हुए वे लोकल बॉडी मिनिस्टर भी रहे। उन्होंने भाजपा के नेता के तौर पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था और राज्य में पार्टी के मजबूत स्तंभों में से एक माने जाते थे। कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के साथ खड़े होने के कारण उन्होंने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला था, जिसके बाद वह 2021 में एसएडी में शामिल हुए।

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