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महाकुंभ में ब्रह्मचारी दीक्षा का आगाज:अग्नि अखाड़े में सैकड़ों युवाओं को मिली दीक्षा, वेदों का अध्ययन और धर्म प्रचार का दायित्व

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प्रयागराज के संगम तट पर चल रहे महाकुंभ मेले में श्री शंभु पंच अग्नि अखाड़े में मकर संक्रांति के दूसरे दिन से ब्रह्मचारी दीक्षा का कार्यक्रम शुरू हो गया है। इस दौरान सैकड़ों साधकों को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ ब्रह्मचारी की दीक्षा प्रदान की गई। अग्नि अखाड़े में आदि गुरु शंकराचार्य की परंपरा से जुड़े चतुर्विध ब्रह्मचारी निवास करते हैं। ये प्रकाश, स्वरूप, चेतन और आनंद के रूप में चारों शंकराचार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां चारों वेदों का गहन अध्ययन कराया जाता है, जिससे नए दीक्षित ब्रह्मचारी सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कर सकें। डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक भी बन सकते हैं ब्रह्मचारी
दीक्षा प्रक्रिया में कड़ी परीक्षा होती है। इच्छुक साधक को पहले अखाड़े में आकर सनातन धर्म और अखाड़े की परंपराओं को समझना होता है। अखाड़े के पंच द्वारा परिपक्वता की जांच के बाद ही दीक्षा दी जाती है। विशेष बात यह है कि अग्नि अखाड़े में दीक्षित ब्रह्मचारी डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक भी बन सकते हैं, जो समाज और धर्म की सेवा में समर्पित रहते हैं। अग्री अखाड़ा सचिव महामंडलेश्वर संपूर्णानंद ने बताया- श्री पंच अग्नि अखाड़ा में ब्रह्मचारियों को दीक्षा देने का कार्यक्रम शुरू हो गया है। इस कार्यक्रम में सैकड़ों ब्रह्मचारियों को दीक्षा दिलाई जाएगी। मकर संक्रांति के दूसरे दिन से ब्रह्मचारियों को बनाने का काम शुरू कर दिया गया है, आदि गुरु शंकराचार्य की परंपरा से चतुर नाम के ब्रह्मचारी इस अखाड़े में रहते हैं। प्रकाश स्वरूप चैतन्य और आनंद। चार ब्रह्मचारी हैं, इसलिए यहां वेदों का अध्ययन किया जाता है। दीक्षा लेने के बाद वेदों का प्रचार प्रसार करें
इसके बाद वह समाज में जाएं और वेदों का प्रचार प्रसार करें। लाखों ब्रह्मचारी अखाड़े में है जो जो आएंगे उन्हें दीक्षा दी जाएगी। हमारे यहां हर किसी को ब्रह्मचारी नहीं बनाया जाता। पहले व्यक्ति अखाड़े में आएगा, अखाड़े की परंपरा को समझेगा। उन्होंने बताया- अखाड़े को लगता है कि यदि वह परिपक्व को है। तो उसे दीक्षित किया जाता है। ब्रह्मचारी वह हैं, जो वेदों को मानता है सनातन धर्म को जानता है। सनातन धर्म का प्रचार करेगा। अखाड़े में डॉक्टर इंजीनियर जैसे लोग भी अखाड़े से जुड़े हैं, अखाड़े में ब्रह्मचारी बनने के बाद कई ऐसे लोग हैं। जिन्होंने समाज में पद और प्रतिष्ठा हासिल की है। ब्रह्मचारी बनने के बाद अखाड़े के जो पद हैं, उन्हें इसकी जिम्मेदारी योग्यता के आधार पर दी जाती है। सभापति है महामंत्री हैं सचिन हैं, श्री महंत है महंत है थानापति है। पांच अखाड़े के पदाधिकारी होते हैं, उनको पंच कहा जाता है। दीक्षा के बाद अखाड़े में विभिन्न पदों पर किया जाता है नियुक्त
योग्य ब्रह्मचारियों को दीक्षा के बाद अखाड़े में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया जाता है। इनमें सभापति, महामंत्री, सचिव, श्रीमहंत, महंत, थानापति, कोतवाल और पुजारी जैसे महत्वपूर्ण पद शामिल हैं, जो उनकी योग्यता के आधार पर दिए जाते हैं।

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