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गोरखपुर जेल में शिक्षा-तकनीकी विकास की होगी शुरुआत:बंदी अब बनेंगे डिजिटल शिक्षक, अब जेल में ही मिलेगी डिजिटल ट्रेनिंग

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गोरखपुर जिला कारागार में शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। शिव नाडर फाउंडेशन की पहल पर, 10 बंदियों को स्मार्ट क्लासेस के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, जो अब जेल के भीतर अन्य बंदियों को डिजिटल शिक्षा देने का कार्य करेंगे। यह पहल जेल में बंदियों के लिए एक नया आशा का स्रोत बन सकती है, क्योंकि अब वे न केवल शिक्षा प्राप्त करेंगे, बल्कि तकनीकी कौशल में भी निपुण होंगे। शिक्षण सामग्री और संसाधनों का वितरण
शिव नाडर फाउंडेशन ने इस परियोजना के तहत बंदियों को शिक्षण सामग्री जैसे किताबें, कॉपी, और अन्य जरूरी साधन प्रदान किए हैं। इसके साथ ही, स्मार्ट क्लासेस में शिक्षा के आधुनिक तरीकों को अपनाया जाएगा, ताकि बंदियों को सिर्फ सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि डिजिटल कौशल भी मिले। इन बंदियों को जो ट्रेनिंग दी जा रही है, उसका उद्देश्य उन्हें न केवल सीखने का अवसर देना है, बल्कि उन्हें समाज में पुनः सफल जीवन जीने के लिए सक्षम बनाना है। बंदी अब बनेंगे डिजिटल शिक्षक
फाउंडेशन की योजना है कि ये प्रशिक्षित बंदी अन्य कैदियों को डिजिटल तरीके से पढ़ाएं और उन्हें आधुनिक शिक्षा से जोड़े। यह कदम न सिर्फ बंदियों के लिए शिक्षा के द्वार खोलता है, बल्कि उनके मानसिक और सामाजिक विकास की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। जेल प्रशासन के अधिकारियों का मानना है कि इस पहल से बंदियों का व्यक्तित्व विकास होगा, जिससे उनका सामाजिक पुनर्वास आसान होगा और वे जेल से बाहर आने के बाद समाज में एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभा सकेंगे। बंदियों की जीवनशैली को बेहतर बनाने का प्रयास
जेल प्रशासन और समाज के सभी वर्गों में इस पहल की सराहना की जा रही है। खासकर, शिव नाडर फाउंडेशन की इस पहल को एक सकारात्मक और प्रभावी कदम माना जा रहा है, जो जेलों में सुधारात्मक उपायों को बढ़ावा देने के साथ-साथ बंदियों की जीवनशैली को बेहतर बनाने का एक सार्थक प्रयास है। इस कदम से यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि अन्य कारागारों में भी ऐसी पहलें शुरू हो सकती हैं, जो बंदियों के पुनर्वास और सुधार के प्रयासों को मजबूत करें। बंदी के व्यक्तित्व विकास और जीवन कौशल में होगा सुधार
इस पहल के तहत, बंदियों को न केवल तकनीकी शिक्षा मिलेगी, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक समझ और जीवन कौशल में भी सुधार होगा। यह पहल न केवल गोरखपुर जिला कारागार के लिए, बल्कि पूरे राज्य में एक नई दिशा की शुरुआत मानी जा रही है, जिससे बंदियों को अपनी जिंदगी में एक नया मोड़ मिल सकता है।

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