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लखनऊ में तत्पुरुष बाबा फुलसंदे महाराज के सत्संग का आयोजन:परब्रह्म परमात्मा की सुमिरन और ध्यान की विधि बताई, युवाओं को दिया संदेश

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लखनऊ के सीतापुर रोड छठा मील स्थित तिवारी पुरवा में तत्पुरुष बाबा फुलसंदे महाराज का निरंकार ब्रह्म पर सत्संग का आयोजन हुआ। सत्संग में महाराज ने कहा- युवाओं के लिए चरित्रवान होना अति आवश्यक है। युवाओं को नशे से बचना चाहिए और उच्च आदर्श अपनाने चाहिए। तिवारी पुरवा में सत्संग सुनने के लिए सैकड़ों लोग पहुंच रहे है। श्रद्धालु गुरुवाणी का आनंद ले रहे है। दैनिक भास्कर ने बाबा फुलसंदे महाराज से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने युवाओं के लिए खास संदेश दिया। प्रश्न:आपकी यात्रा कहां से शुरू हुई? उत्तर: ‘एक तू सच्चा, तेरा नाम सच्चा।’ परमात्मा पर ब्रह्म एक है। वेद कहता है, ‘एको देवः सर्वभूतेषु गूढः।’ वह ईश्वर सभी प्राणियों में समाया हुआ है। बाल्यकाल से हमें दिव्य अनुभूतियां होती थीं। जब हमारी आयु 19 वर्ष थी। मृत्यु के देवता भगवान यम आए और उन्होंने हमारी आत्मा को शरीर से निकाला और परलोक में ले गए। उन्होंने दिखाया कि यह स्वर्ग है, यह नरक है, देवता है, फरिश्ते हैं। वहां परब्रह्म की यह आवाज गूंजती थी। ‘एक तू सच्चा, तेरा नाम सच्चा।’ यह संदेश हमें ब्रह्म की ओर ले जाता है। प्रश्न: भारत में युवाओं की स्थिति को आप किस प्रकार देखते हैं? उत्तर: युवा, चाहे भारत में हो या अन्य देशों में, वह ऐसी शक्ति हैं जो हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करता है। सबसे महत्वपूर्ण चरित्र निर्माण है। यदि कोई युवा चरित्रवान है तो उसका देश भी आगे बढ़ेगा। यदि वह नशे या डिप्रेशन में पड़ गया तो उसका भविष्य नष्ट हो जाएगा। इसलिए युवाओं को नशे से बचना चाहिए और अपने जीवन में उच्च आदर्श अपनाने चाहिए। प्रश्न: आप सत्संग कब से कर रहे हैं और लोगों को जागरूक कब से कर रहे हैं? उत्तर: हमने 19 वर्ष की अवस्था से सत्संग शुरू किया। हमें कहा गया है कि जो हमें दिखाया गया है, उसे सभी को बताएं। हम उन विषयों पर भी रिसर्च कर रहे हैं, जिनमें लोग मृत्यु के बाद जीवित हो जाते हैं और अपने पिछले जन्म को याद करते हैं। प्रश्न: आज के समय में युवा भयंकर बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। उनका स्वास्थ्य कैसे बेहतर किया जा सकता है? उत्तर: युवाओं को अपने खान-पान पर ध्यान देना चाहिए। बाजार के फास्ट फूड और नशे से बचें। घर का बना शुद्ध भोजन करें। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह अत्यंत आवश्यक है। प्रश्न: परब्रह्म परमात्मा की सुमिरन किस प्रकार करें? उत्तर: परब्रह्म परमात्मा सृष्टि के कण-कण में समाया है। उसने सृष्टि की रचना की और स्वयं इसमें समाहित हो गया। जैसे एक बीज वृक्ष बन जाता है, वैसे ही परमात्मा इस सृष्टि में है। हम मस्तक में ब्रह्म ज्योति का ध्यान करें, सांसों पर ध्यान दें। ‘एक तू सच्चा, तेरा नाम सच्चा’ मंत्र का जाप करें। यह मंत्र खुला है, जिसे सभी लोग जप सकते हैं। प्रश्न:वेद में योग के क्या रहस्य हैं? उत्तर: योग ऋग्वेद के अंतिम मंडल में वर्णित है। योग का प्रारंभ यम और नियम से होता है। यम और नियम में अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह और संयम का पालन करना आवश्यक है। लोभ, लालच और बुरी आदतों से बचना चाहिए। योग हमारे चरित्र और समाज को ऊंचा उठाने का माध्यम है। प्रश्न:मांसाहार करने वालों को आप क्या संदेश देंगे? उत्तर: जैसा भोजन करेंगे, वैसा ही आपका मन और स्वभाव बनेगा। मांसाहार करने से पशु प्रवृत्ति प्रबल हो जाती है। इसलिए मांस और अंडों का सेवन नहीं करना चाहिए। शाकाहार ही उत्तम है। प्रश्न: जातिगत विरोध को कैसे समाप्त किया जाए ताकि भारत की एकता बनी रहे? उत्तर: हमारे वेद कहते हैं, ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः।’ यह सिर्फ सनातनी या हिंदुओं तक सीमित नहीं है। हम समस्त विश्व के सुख, शांति और मार्गदर्शन की प्रार्थना करते हैं। जातिगत विरोध को समाप्त करने के लिए हमें एकता और समानता का संदेश देना चाहिए। प्रश्न: भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार माना जाता है। इस पर आपका क्या विचार है? उत्तर: कई लोग बुद्ध को विष्णु का अवतार मानते हैं, लेकिन अवतार का अर्थ है दिव्य विभूति का पृथ्वी पर आना। परमात्मा असीम और अनंत है। वह शरीर धारण नहीं करता। विभूतियां समय-समय पर पृथ्वी पर आती हैं, जिन्हें हम संत, पैगंबर या अवतार कहते हैं। प्रश्न:आप दिन में आहार जल नहीं करते है, आप इसपर संयम कैसे करते है? उत्तर: यह एक तपो मार्ग है। हम सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जल उपवास रखते हैं। रात्रि में साधारण भोजन ग्रहण करते हैं। ब्रह्म की आराधना में ध्यान लगाते हैं। यह हमें संसार के प्रति सद्भावना और सेवा का भाव देता है।

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